कोई कितना भी कदम फूंक-फूंक कर रखे कांग्रेस या उनके कारिंदे अपना करतब दिखाने से बाज नहीं आएंगे। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में किसी प्रकार की कोई चुनैती नहीं मिलने के सारे उपाय करते हुए संसद के दोनों सदनों में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला 124वां संविधान संशोधन बिल पास कराया। इसके अगले ही दिन उस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई है । इस बिल पर चर्चा करने के दौरान राज्यसभा में कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने कहा था कि सरकार को पहले इंदिरा साहनी केस के बारे में सोचना चाहिए था। जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की संवैधानिक पीठ ने किसी भी सूरत में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने का फैसला सुनाया था। कपिल सिब्बल ने इस बिल का भी वही हश्र होने की बात कही थी। आज उन्ही के बयान को आधार बनाकर यूथ फॉर इक्वलिटी नाम के गैर सरकारी संगठन ने इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की याचिका दायर कर दी है।
A petition filed by Youth for Equality in the Supreme Court challenging The Constitution (103rd Amendment) Bill, 2019 that gives 10 % reservation in jobs and education for the economical weaker section of general category.
— ANI (@ANI) January 10, 2019
सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए शिक्षा तथा नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला बिल लोकसभा में पास होने के बाद कल यानि बुधवार को राज्यसभा से पास हुआ, और आज ही यूथ फॉर इक्वलिटी ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर करते हुए यूथ फॉर इक्वलिटी ने इस बिल को संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ बताया है। इसके अलावा इस संगठन ने गरीबों को आरक्षण देने वाले इस बिल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी बताया है।
गौर हो कि राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान जो बातें कपिल सिब्बल ने अपने भाषण में कही थी, उसी बात को यूथ फॉर इक्वलिटी ने अपनी याचिका का आधार बनाया है। याचिका में इंदिरा साहनी केस में सुनाए गए 9 जजों की बेंच के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह संशोधन संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
मालूम हो कि सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए मोदी सरकार ने संविधान में 124वां सशोधन बिल मंगलवार को लोक सभा पेश कर उसे पास कराया था। अगले ही दिन यानि बुधवार को उस बिल को राज्यसभा से पास कराया। यह बिल दोनों सदनों से पास हो चुका है। अब महज राष्ट्रपति का हस्ताक्षर बचा हुआ है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह बिल कानून बन जाएगा और सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
URL : youth for equality challenged the pro poor reservation bill in supreme court!
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