देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सोमवार को दशकों से चले आ रहे अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई तीन मिनट में खत्म करते हुए तीन महीने के लिए उसे लटका दिया। हिंदुओं की आस्था से जुड़ा यह मामला कोर्ट के लिए जरूरी नहीं है, लेकिन वहीं महिलाओं के पैर के पहनावे के लिए चप्पल और सैंडल को परिभाषित करने के लिए पूरा समय है। इतना ही नहीं यह मामला महत्वपूर्ण ही नहीं बल्कि अपरिहार्य भी बन जाता है। कहने का मतलब कोर्ट के लिए चप्पल और सैंडल के मामले में सुनवाई ज्यादा जरूरी है लेकिन करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़े राम मंदिर का मामला गैर जरूरी है। तभी तो सदियों से लटके इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तीन महीने के लिए उसे और लटका दिया। जबकि सैंडल और चप्पल के मामले में मद्रास की कंपनी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई पूरी की गई बल्कि फैसला भी दे दिया गया। दिल्ली हाईकोर्ट ने बगैर पीछे के स्ट्रैप वाले को जहां सैंडल बताया है वहीं पीछे के स्ट्रैप वाले को चप्पल बताया गया है।
मुख्य बिंदु
* दिल्ली हाईकोर्ट ने न सिर्फ सुनवाई पूरी की बल्कि चप्पल को सैंडल मानने का फैसला भी दे दिया
* चेन्नई की कंपनी विशाल इंटरनेशनल ने केंद्र के खिलाफ चप्पल और सैंडल के मामले में अर्जी दी थी
गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट का चप्पल को सैंडल बताने वाला फैसला चेन्नई की फुटवियर निर्माता कंपनी द्वारा दायर याचिका पर आया है। केंद्र के मुताबिक पीछे के स्ट्रैपयुक्त को सैंडल और स्ट्रैप रहित को चप्पल कहा जाता है। लेकिन विशाल इंटरनेशनल कंपनी ने केंद्र की इस मान्यता को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दी थी।
असल में यह मसला कस्टम ड्यूटी को लेकर कोर्ट तक पहुंचा। केंद्र ने जहां सैंडल पर 10 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगा रकी है वहीं चप्पल पर महज 5 प्रतिशत की कस्टम ड्युटी लगा रखी है। कस्टम ड्यूटी के इस झगड़ा में कंपनी ने चप्पल और सैंडल की परिभाषा ही बदलवाने की ठान ली।
विशाल कंपनी ने केंद्र सरकार को अपने उत्पाद पर दिए शुल्क वापसी की मांग की। कंपनी का कहना था कि उनका उत्पाद सैंडल है इसलिए उन्हें 10 प्रतिशत कर पर वापसी हो जबकि राजस्व विभाग का दावा है कि उसका उत्पाद चप्पल की श्रेणी में आता है इसलिए 5 प्रतिशत पर ही रिफंड मिलेगा।
कर वापसी पर विवाद बढ़ने के बाद विशाल कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट में केस दायर कर दी।
कोर्ट ने न केवल सुनवाई की बल्कि उसे पूरी भी की और फैसला भी दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशाल कंपनी के पक्ष में फैसला सुना दिया। कहने का मतलब केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित चप्पल और सैंडल की परिभाषा ही बदल दी। कोर्ट ने विशाल कंपनी की दलील को सही ठहराते हुए अभी तक जो चप्पल की श्रेणी में था उसे सैंडल बता दिया और जो सैंडल की श्रेणी में था उसे चप्पल ठहरा दिया।
न्यायपालिका आज-कल जिस हिसाब से काम कर रही है उससे उनके फैसले पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं। दिल्ली कोर्ट ने जिस प्रकार सैंडल और चप्पल की परिभाषा निर्धारित करते हुए फैसला दिया है इस पर भी सवाल खडे हो गए हैं। सवाल उठता है कि क्या केंद्र सरकार कोर्ट के इस फैसले के बाद उन उत्पादकों को रिफंड करेगी जिससे अभी तक मान्य चप्पल और सैंडल श्रेणी के आधार पर कर वसूले गए हैं?
URL: Court have no time hearing on ram temple but ample time to define sandal and sleepers
Keywords: court, ram temple, court hearing on sandal, court define sleepar, अदालत, राम मंदिर, सैंडल पर अदालत की सुनवाई,