हम में से कितने ही लोग एक परिवार के होते हुए भी इलेक्शन के समय पर अपने कीमती वोट के बारे में किसी को भी नहीं बताते। मगर क्या हो यदि जब आपको पता चले कि आप चुनावों में किस नेता का चुनाव करेंगे ये विचार जैसे-जैसे आप के मन में परिपक्व हो रहे हैं वैसे-वैसे कोई और भी है जो आपके अंतर्मन की थाह लेता जा रहा हो? फेसबुक से स्क्रॉल किए गए 87 मीटर रिकॉर्डम, विज्ञापन अभियान कैसे बनते हैं? जो चुनावों को स्विंग करने में मदद कर सकता है? वास्तव में उस डेटा को एकत्रित करने में क्या शामिल है? और वह डेटा हमें अपने बारे में क्या बताता है। ये ऐसे प्रश्न हैं जिनका जवाब आप भी जानना चाहते होंगे।
ब्रिटेन की डाटा माइनिंग कंपनी ‘कैम्ब्रिज अनलिटिका’ के छुपे तरीके से वोट को पता करने की राजनीति तो उसी समय सबके सामने आ गयी थी जब अमरीका के चुनाव ट्रम्प के पक्ष में हो गये थे और हिन्दुस्तान की राजनीति में भी सेंध लगाने के लिए कांग्रेस से राहुल गाँधी कैम्ब्रिज अनलिटिका के सीईओ ‘वाइली’ से मिलने गए थे। ये बात अब सर्वविदित है
क्या आप को पता है आपके 2019 के चुनावों के बारे में आपका क्या मत और विचार हैं यह बात आपके आलावा किस किस को पता हो सकती है? क्या आपको पता है कि आप के मन की बात पर वोट की मोहर लगने से पहले किसी और ने आप के वोट को माइनस में बदलने की तैयारी कर ली आसान शब्दों में कहा जाये तो राजनीतिक दलों के पास साम-दाम, दंड -भेद के अलावा एक और पांचवां हथियार है ‘वोटर का मनोविज्ञान’! इसे ही आपके खिलाफ आपकी काट का साधन राजनैतिक दल बना लेते है और आपको भी नहीं चलता!
आईये आसान शब्दों में समझते हैं, जैसे एग्जाम से पहले स्टूडेंट एक प्लान बनता है और फिर एक स्ट्रेटेजी! ठीक इसी तरह कैम्ब्रिज अनलिटिका ने प्रश्न सर्वेक्षण की एक कूटनीति बनायीं जिस के जवाब वोटर अनायास देते गए। उदहारण स्वरुप -आपको घर का कोई ज़रूरी सामान खरीदना है और आपके पास टाइम नहीं आपने शापिंग वेबसाइट पर जाकर उसे खोजा और उसके दाम का आईडिया लिया या ख़रीदा इन सभी में आपके बारें में इन्फो आपके अकॉउंट और लॉगिन से पहुंच गयी। अगले कुछ मिनटों में ही आप को उस तरह के सामान या उसी सामान के विज्ञापन आपके सोशल साइट पर आपको पॉप -अप होने लगते हैं।
ठीक इसी तरह आपके फेसबुक प्रोफाइल में आपकी सारी जानकारी जो केवल आपके पास होती है। आपने या तो अपने फ्रेंड लिस्ट के लिए दृश्य रखी होती है या अपने लिए वो फेसबुक के कुछ मनोरंजक गेम्स के द्वारा कैम्ब्रिज अनलिटिका तक पहुंच जाती है जैसे- फेसबुक पर आपसे एक सवाल पूछा जाता है आपके कौन से मित्र आपको सबसे ज़्यादा पसंद करते हैं या आप किस अदाकार जैसे दिखतें हैं? या फिर आपके बारे में प्रधानमंत्री क्या कहते हैं? इसको जानने के लिए आप जैसे ही उस लिंक पर क्लिक करते है ,आपसे फिर पूछा जाता है की इसके जवाब के लिए आपका प्रोफाइल स्कैन किया जाएगा और आप सहज ही इसकी इज़ाज़त दे देते हैं। तब आपकी पर्सनल जानकारी एक डाटा जुटाने वाली कंपनी के पास जा चुकी होती है और आपको उस आकर्षित करने वाले प्रश्न का एक ऐसा उत्तर दिया जाता है। जिससे आप बार बार इस तरह के एप से अपने प्रश्नो का उत्तर पूछे। लेकिन ये आँख- मिचौली का खेल यहीं नहीं रुकता इसके बाद वोटर यानि आप जब भी वेब पर ब्राउज़िंग करते हैं तो गतिविधि का पूरा रिकॉर्ड रखा जा रहा होता है।
इसके बाद पर्सनल्टी एप के जवाब में जितने लाइक मिलते हैं उनको पेअर किया जाता है। और फिट उन प्रोफाइल को भी उसी तरह के मनोविज्ञान से उकसाया जाता है। इस सब के लिए 120 प्रश्नों की प्रश्नावली के लिए कुछ हज़ार लोगो को चुना जाता है जो धीरे धीरे लाखों लोगो तक पहुँच उनका डाटा जुटा कर एक विशाल मैट्रिक्स के समान अपने विश्लेषण द्वारा इस प्रश्नोतरी में जीतने वाली पार्टी को हारने की रणनीति तैयार की जाती है।
ये बात कैम्ब्रिज अनलिटिका के पूर्व सीईओ वाइली ने खुद कहा “चीजें जिन्हें आप भविष्यवाणी करने की कोशिश कर रहे हैं। इस से व्यक्ति के व्यक्तित्व लक्षण या राजनीतिक अभिविन्यास, या आप क्या हैं इन सब के बारे में पता चलता हैं?” हालाँकि वाइली ने स्थान पर अब केविन सीईओ हैं मगर भारत के आगामी चुनाव को प्रभावित करने के लिए भी इसी रणनीति का प्रयोग किया गया जिसे भारत के दवाब के बाद फेसबुक स्वीकार कर चुका और कोर्ट की कार्यवाही चल रही है।
मार्च माह में, यूके के डेटा वॉचडॉग के सूचना आयुक्त कार्यालय (आईसीओ) ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के सर्वरों को खोजने के लिए एक वारंट से अनुरोध किया और फेसबुक की ‘डिजिटल फोरेंसिक टीम’ का आदेश दिया, जो साक्ष्य सुरक्षित करने, खड़े होने, बहस करने के लिए अपने कार्यालयों में गया था कि एक फेसबुक ऑडिट संभावित रूप से एक नियामक जांच समझौता कर सकता है।
अभी हाल ही में कैम्ब्रिज अनलिटिका ने अपने दिवालिया होने की भी घोषणा की और कहा की अपनी मातृ शाखा ACL को बंद करने जा रहे हैं। मगर आरोपों के बाद इस तरह का वक्तव्य देने का अर्थ ये नहीं की की डाटा चुराने वाली ये कंपनी बंद हो रही है बल्कि ये भी कोई कूटनीति चाल हो सकती है। बतौर वोटर आज के इस डिजिटल और सोशल मीडिया के युग में केवल अपना वोट किसी को न बताना काफी नहीं बल्कि उसे टेक्नोलॉजी के इस चक्रवयूह से बचाना भी देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है और खुद संभल कर चलना और इसकी जानकारी देना भी देशहित में इस ‘कल’ युग (मशीनी युग) में ज़रूरी हैं।
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5- पहले Facebook और अब Twitter ने बेचा Cambridge Analytica को आपका डाटा !
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