इसलामी आतंकवाद से भारत ही नहीं बल्कि कमोवेश पूरी दुनिया परेशान है। मुसलिम आतंकवाद के शिकार फ्रांस में एक घोषणापत्र लाया गया है। इस घोषणापत्र में मुसलिम धर्मग्रंथ कुरान में दूसरे धर्मो की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली आयतों को हटाने की मांग की गई है। इस घोषणापत्र पर फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी तथा पूर्व प्रधानमंत्री मैनुएल वाल्स समेत करीब 300 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं फ्रांस के मुसलमान अपने धर्मग्रंथ को बदनाम करने की साजिश बताते हुए इस घोषणापत्र के खिलाफ सड़कों पर उतरकर बवाल मचाने लगे हैं।
गौरतलब है कि मुसलिमों के बवाल के बावजूद फ्रांस मुसलिम औरतों के बुरका पहनने पर रोक लगाने में सफल रहा था! अब देखना है कि मुसलिमों द्वारा अंतिम सत्य मान लिए गये कुरान से वह अन्य रिलीजन यानी काफिरों के प्रति हिंसा व विद्वेष की आयतों को हटा पाता है या नहीं?
मुख्य बिंदु
* दूसरे धर्म विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने वाली इन आयतों को हटाने के लिए तैयार किया गया है घोषणापत्र
* फ्रांस में तैयार घोषणापत्र पर राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी समेत करीब 300 लोगों ने किए हस्ताक्षर
ऐसा मुसलमानों के धर्म ग्रंथ में ही संभव है जहां एक विशेष समुदाय के खिलाफ हिंसा को प्रश्रय दिया गया हो। दुनिया का कोई दूसरा ऐसा धर्मग्रंथ नहीं मिलेगा जो मानव के प्रति हिंसा की बात करता हो। फिर भी मुसलमान अपने धर्मग्रंथों में सुधार करने को तैयार नहीं है। इस घोषणापत्र में कहा गया है कि कुरान की उस आयतों में इसलाम न मानने वालों या उस पर अविश्वास करने वालों यहूदियों और ईसाइयों की हत्या करने, उन्हें दंडित करने की बात स्पष्ट रूप से लिखा गया है। घोषणापत्र में कहा गया है कि यह बात बिल्कुल अप्रयुक्त है इसलिए उसे हटा देना चाहिए।
वहीं इस संदर्भ में फ्रांस के मीडिया में आई रिपोर्टों ने तो आग में घी का काम किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फांस में मुसलिम चरमपंथ के उफान के कारण ही यहूदियों का पलायन भी बढ़ा है। फ्रांस में हाल के दिनों में यहूदियों के खिलाफ मुसलिम आतंकवाद की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 12 सालों में फ्रांस में 11 यहूदियों की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि वे लोग यहूदी थे। और सबसे बड़ी बात इन हत्या को अंजाम देने वाला मुसलिम संगठन ही था।
हाल की एक घटना ने तो फ्रांस में मुसलमानों के खिलाफ और भी नफरत फैला दी है। यहूदियों को आहत करने की भावना से ही 82 साल की एक यहूदी महिला को दो चरमपंथी मुसलमानों ने 11 बारा चाकू घोंपकर उसकी जान ले ली और फिर उसे जला दिया। इस घटना ने यहूदी और मुसलमानों के बीच नफरत की दीवार और भी चौड़ी कर दी है।
लेकिन मुसलमान अपनी भूल सुधारने के बजाए घोषणापत्र लाने वालों के खिलाफ बवाल करने पर उतर आये हैं। मुसलमानों ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वालों पर ही कुरान को बदनाम करने की साजिश करने का आरोप लगा दिया है।
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