कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में हमारे सेना के मेजर सहित कई जवान शहीद हो गये। यह शहादत आतंकियों की गोली से कम, उन कश्मीरियों की वजह से ज्यादा हुई जो सेना के आपरेशन को डिस्टर्ब करने और आतंकियों को बचाने के लिए सेना पर पत्थरबाजी से लेकर पाकिस्तान जिंदाबाद की नारेबाजी कर रहे थे।
सेना के जवानों की शहादत पर न कांग्रेस के किसी नेता का मुंह खुला, न जेडीयू को गम हुआ, न अब्दुल्ला की पार्टी का कोई नेता रोया और न कम्युनिस्टों का ही कोई बयान आया। लेकिन ज्योंही सेना प्रमुख विपिन रावत ने यह कहा कि आतंकवादियों का साथ देने वालों को देशद्रोही समझा जाएगा, त्योंही भारतीय राजनीति और संसद में बैठे ‘पालतू पाकिस्तानी’ बिलबिला कर बिल से बाहर आ गये!
कांग्रेस का संदीप दीक्षित, रंजीता रंजन, जदयू का के.सी त्यागी, पवन वर्मा, कम्युनिस्ट डी राजा आदि ऐसे बड़बड़ाने लगे, जैसे इनके मालिक संकट में पड़ने वाले हों! मेरी नजर में तो ये सभी देशद्रोही नेता हैं, जिन्हें वोट और राजनीति के लिए अपने देश को बेचने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा।
भारतीय रजनीति और मीडिया का बड़ा तबका ISI फंडेड है। इन्हें कुचलना बेहद जरूरी है। ये सांप हैं, जो अपने ही देश को डस रहे हैं। सरकार की अपनी मजबूरी है, लेकिन जनता मजबूर नहीं है! इनके बहिष्कार का वक्त आ गया है। इन्हें सपोर्ट करने वाले भी देशद्रोही श्रेणी में आएंगे! आतंकवाद का समर्थक आतंकवादी- बस वन लाइनर को याद रखने की जरूरत है।