म्यांमार नेता तथा नोबेल शांति विजेता आंग सान सू की ने दो रॉयटर्स पत्रकारों की जेल की सजा के मामले में न केवल अंतरराष्ट्रीय सरकारों तथा संयुक्त राष्ट्र की निंदा को ठेंगा दिखा दिया है, बल्कि इस मामले में अपने देश की न्याय व्यवस्था का भी बचाव किया है। मतलब साफ़ है कि म्यांमार के खिलाफ रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी को आंग सान सू ने समर्थन किया है! यदि यह घटना भारत में घटित होती तो अभी तक अरुंधतीनुमा लोग न जाने कितनी उल्टी कर चुके होते!
हनोई में विश्व आर्थिक मंच पर बोलते हुए सु की ने कहा कि रॉयटर्स के दो पत्रकारों लो लोन और क्यूओ सो को दोषी ठहराने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई लेना देना नहीं है। मालूम हो कि रॉयटर्स के दोनों पत्रकारों के खिलाफ म्यांमार में दस रोहिंग्या पुरुष और बच्चों की हत्या के मामले में भेदभावपूर्ण खबर देने का आरोप था। सू की ने कहा कि उनके खिलाफ खुले कोर्ट में सुनवाई हुई है। इसलिए म्यांमार कोर्ट की निष्पक्ष सुनवाई पर विश्व समुदाय को कोई प्रश्न नहीं उठाना चाहिए? जिस प्रकरा सू की ने अपनी सरकार तथा न्यायपालिका की कार्रवाई का बचाव किया है उसे देखते हुए हमारी सरकार को भी देश के खिलाफ साजिश रचने वाले विदेशी पत्रकारों पर शिकंजा कसने के बारे में सोचना चाहिए।
मुख्य बिंदु
* रखाइन प्रांत में रोहिंग्या नरसंहार के मामले में सरकारी दस्तावेज रखने के लिए रॉयटर के दोषी पत्रकारों की जेल की सजा को सही ठहराया
* म्यांमार कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा के बाद संयुक्त राष्ट्र तथा अंतरराष्ट्रीय सरकारों ने म्यांमार सरकार की आलोचना की थी
गौरतलब है कि रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा किए गए नरसंहार को लेकर कपटपूर्ण तथा भेदभाव परक रिपोर्ट करने के मामले में म्यांमार की न्यायपालिका ने रॉयटर्स न्यूज एजेसी के दो पत्रकारों को दोषी ठहराते हुए जेल की सजा सुनाई थी। म्यांमार कोर्ट के इस फैसले की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थेरेसा मई और अमेरिकी उपाध्यक्ष माइक पेन्स समेत अंतरराष्ट्रीय सरकारों तथा संयुक्त राष्ट्र ने कड़ी निंदा की थी। उनकी आलोचना का जवाब देते हुए सूकी ने इस सम्मेलन के दौरान कहा कि वैसे तो दोषी पत्रकारों की सुनवाई खुली अदालत में हुई थी, फिर भी किसी को लगता है कि न्याय सही नहीं हुआ है तो उनके लिए मैं कोर्ट के फैसले का सारांश बताना चाहती हूं। उन्होंने कोर्ट के फैसले का सारांश बताते हुए कहा कि इस फैसले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से कुछ भी लेनादेना नहीं है। यह मामला विशुद्ध रूप से आपराधिक है। इसी वजह से दोनों पत्रकारों को दोषी ठहराते हुए उन्हें जेल की सजा दी गई है। इसके साथ ही ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सरकारों तथा संयुक्त राष्ट्र को बताया कि उन्हें आश्चर्य है कि फैसला को पढ़े बिना आलोचना शुरू कर दी।
सूकी ने कहा कि दोनों पत्रकारों को रखाइन प्रांत में रोहिंग्या नरसंहार के मामले में सरकारी दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया था। दोनों पत्रकारों ने देश की गोपनीयता कानून का उल्लंघन किया था।
ये भी पढ़ें:
भारत को बदनाम करने वाले रॉयटर के आतंक परस्त दो पत्रकार पहुंचे म्यांमार जेल!
Keywords: world community should not raise any question on the fair trial of the Myanmar court-Aung San Suu Kyi,
Keywords: Myanmar, Aung San Suu Kyi, Reuters, Rohingya, News agencies, reporter arrested in myanmar, South and Central Asia, म्यांमार, आंग सान सू, रायटर, रोहिंग्या, समाचार एजेंसियां, म्यांमार,