नई दिल्ली में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में इंडिया नेटबुक्स, बीपीए फ़ाउंडेशन, और अनुस्वार के संयुक्त तत्वावधान में पंडित भगवती प्रसाद अवस्थी की जयंती पर वर्ष २०२२ के लिये इंडिया नेटबुक्स नाट्य रत्न सम्मान विंध्य के सुपरिचित रंगकर्मी नाटककार आलोक शुक्ला को दिया गया, उनको ये सम्मान सुप्रसिद्ध साहित्यकार महेश दर्पण, गिरीश पंकज ने प्रदान किया, इसी के साथ वागीश्वरी सम्मान प्रसिद्द नाटककार श्री प्रताप सहगल को और वेदव्यास शिखर सम्मान सुप्रसिद्ध साहित्यकार चित्रा मुद्गल को दिया गया है।
बता दें कि ने आलोक शुक्ला रीवा शहर से 1986 में अपने रंगकर्म और साहित्य की यात्रा शुरू करते हुए पिछ्ले 35 सालों में पूरे देश के साथ यूरोप सहित जगहों 40 नाटकों के लगभग 600 शोज कर चुके हैं जिसमे 7 नाटकों का निर्देशन और लेखन भी उन्होंने किया । आपने नाटकों के साथ , टी वी धारावाहिकों और फिल्म्स में भी अभिनय किया हालांकि जून 2020 से वे GBS पैरालिसिस से पीड़ित हो गए और अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए है इस दौरान ही उनके सात नाटको का संग्रह “ ख्वाबों के सात रंग” नई दिल्ली के राही प्रकाशन से और उनके रंगकर्म तथा बॉलीवुड के संस्मरण की किताब“ एक रंगकर्मी की यात्रा” नोएडा के इंडिया नेटबुक्स से प्रकाशित हुए, उन्हे 2018 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2018 में लोक रंगकर्म पर सीनियर फेलोशिप अवार्ड से सम्मानित किया था।
अपने रंग सफर के दौरान आलोक शुक्ला ने थिएटर लीजेंड हबीब तनवीर, सागर सरहदी, रंजीत कपूर, मोहिंदर प्रताप सिंह , राजीव राज, योगेश त्रिपाठी, रामचंद्र सिंह, बासु चैटर्जी, अमोल पालेकर जी, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, शिवदास घोड़के,राजकिशोर दुबे , शैलेंद्र गौड़, राजेश अग्रवाल, अरविंद पांडेय, संजीव रजत, प्रो. सतीश मेहता, अनवार सिद्दीकी, अहमद जैदी, राजेंद्र सक्सेना , जॉयस सैबस्टीन , राघवेश अस्थाना , शिवानी अग्रवाल, संदीप मुख़र्जी जी आदि के सानिध्य में काम किया।
आलोक ने नब्बे के दशक में रीवा में एक साप्ताहिक पत्र मीडिया वॉच का संपादन करने के साथ करीब एक दशक तक रीवा और फिर मुंबई आकाशवाणी से नियमित रूप से उनके लिखे नााटकों और कविताओं का प्रसारण होता रहा, आप स्पेस टीवी चैनल के मुंबई हेड के साथ, न्यूज़ एक्सप्रेस, भारत आज, महुआ और प्रज्ञा चैनल में भी कार्यरत रहे, इस दौरान अनेक यात्रा, फिल्मी शो,धार्मिक एवं कुकरी शोज़ लिखे और निर्देशित किये, नानावती कॉलेज मुंबई के मीडिया सेक्शन में विजिटिंग फैकल्टी भी रहे।
आपको डरना जरूरी, पहेली जैसी फीचर फिल्मों के साथ हलुआ जैसी लघु फिल्म सहित क्योंकि सास भी कभी बहू थी, शांति, स्वाभिमान, युग, रूमानी दुनिया, योर ऑनर, मिसिंग, आदि अनेक पुराने सीरियल्स में देखा जा सकता है।
फिलहाल वे दिल्ली में रहकर मितवा न्यूज में बतौर न्यूज एडिटर काम करते हुए लेखन और हबीब तनवीर जी के नया थियेटर तथा खुद की रंग संस्था प्रासंगिक रीवा से काम करते हुए अपने रंग सफ़र को जारी रखें हुए हैं
इसके अतिरिक्त साहित्य विभूषण सम्मान श्री फारुक अफ़रीदी, गिरीश पंकज, राहुल देव, राजेन्द्र मोहन शर्मा मुकेश भारद्वाज और प्रबोध कुमार गोविल को दिया गया।
साहित्य भूषण सम्मान विवेक रंजन श्रीवास्तव,अरूण अर्णव खरे, धर्मपाल महेंद्र जैन (कनाडा), उर्मिला शिरींष, श्याम सखा श्याम, हरिप्रकाश राठी, अनिता कपूर (यूएसए) संध्या सिंह (सिंगापुर), वीना सिन्हा (नेपाल), मंजू लोढ़ा, को दिया गया।
साहित्य रत्न पुरस्कार अंजू खरबंदा, स्वाति चौधरी, सीमा चडढा, अपर्णा, चार्वी अग्रवाल, प्रदीप कुमार (मनोरमा ईयर बुक}, सुषमा मुनीन्द्र, यशोधरा भटनागर, अनीता रश्मि, मनोज अबोध, जयराम जय, धरमपाल साहिल,रोहित कुमार हैप्पी (न्यूजीलैंड), गंगााराम राज़ी, बलराम अग्रवाल, कमलेश भारतीय, देवेंद्र जोशी , राम अवतार बैरवा, शैलेंद्र शर्मा, सुभाष नीरव एवं पारूल तोमर को दिया गया जबकि समाज सेवा में संलग्न सेवियों को समाज रत्न पुरस्कार संजय मिश्रा, रिंकी त्रिवेदी, सुधीर आचार्य, वरुण महेश्वरी , प्रेम विज को दिया गया।
पुरस्कारों की चयन समिति श्रीमती ममता कालिया, सर्वश्री हरिसुमन विष्ट, प्रेम जनमेजय, राजेश कुमार, लालित्य ललित, प्रभात शुक्ला, डा. मनोरमा शामिल थीं। पुरस्कारों के संयोजक सुप्रसिद्ध साहित्यकार और इंडिया नेटबुक्स के प्रकाशक डॉक्टर संजीव कुमार ने सभी का स्वागत और आभार व्यक्त किया।
मंच का संचालन ललित लालित्य और रणविजय राव ने किया। सभी सम्मान व पुरस्कारों का अलंकरण 12 मार्च 2023 को दिन में 11 बजे से होटल क्राउन प्लाज़ा, मयूर विहार फेज़-1 एक्सटेंशन, दिल्ली में किया गया।