26/11/2008 देश के लिए एक अविस्मरणीय दिन था। तबसे लेकर 26/11 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तिथि बन चुकी है। आज भी 26/11 ही है। इसी दिन मुंबई के ताज होटल, ट्राइडेंट होटल आदि में आतंकवादी हमले हुए थे। इन आतंकी हमलों में बड़ी संख्या में हमारे एनएसजी और अन्य सुरक्षा बलों के सैनिक देश के लिए बलिदान हुए थे, निर्दोष लोग मारे गए थे और 32 घंटों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला था। इन्ही हमलों के दौरान हाथ पर कलावा बांधे हुए एक पाकिस्तानी आतंकी कसाब जिंदा पकड़ा गया था। उन दिनों देश में ‘हिन्दू आतंकवाद’ स्थापित करने की साजिश रची गई थी। ’26/11 आरएसएस की साजिश’ जैसी पुस्तक अपने रिलीज के लिए तैयार की गई थी। शेष इतहास देश की जनता जानती है।
लेकिन, एक व्यक्ति ऐसा भी है, जिसने ’26/11′ की घटना के पहले और बाद में बहुत कुछ देखा, सुना, किया और सहा था/है। यह व्यक्ति हमेशा से ये कहता आया है कि ’26/11′ हमला भारत सरकार और पाकिस्तान के बीच ‘फिक्स्ड मैच’ था। ये वही व्यक्ति है जिसने हिन्दू आतंकवाद स्थापित करने की साजिश का पर्दाफ़ाश किया था। ये वही व्यक्ति है जिससे हिन्दू आतंकवाद की झूठी पटकथा लिखने वाले लोग 2006 में पूछताछ किये थे। ये वही व्यक्ति है जिसको इस विषय में बहुत कष्ट झेलने पड़े और प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी। असमय गृह मंत्रालय से वीआरएस लेना पड़ा।
ये वही व्यक्ति है जिसका अपरहण करके बदले में आतंकी कसाब को छुड़ाने की साज़िश तक रची गई थी। लेकिन, दैवयोग से अपहरण की साज़िश विफल रही और यह व्यक्ति भाग गया। इसी व्यक्ति ने ‘भगवा आतंक एक षड्यंत्र’ और डिसेप्शन जैसी चौकाने वाली पुस्तकें लिखकर देश को राजनितिक साजिशों से सावधान किया और पर्दाफ़ाश भी किया। ये वही व्यक्ति है जिसने 26/11/2008 की रात को गृह मंत्रालय में अकेले मोर्चा संभाला था। ये वही व्यक्ति है जिसके हाथों से भारत सरकार को कई बार ये इनपुट भेजा गया था कि देश के समुद्री तटीय राज्यों के बड़े प्रतिष्ठानों में आतंकी हमला होने की प्रबल संभावना है। लेकिन तत्कालीन भारत सरकार के कण पर जूं तक न रेंगी।
ये वही व्यक्ति है जिसने पहले ही अपने अधिकारीयों को यह सूचित कर दिया था कि 2008 में जब भारत का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान में होगा तो ऐसा आतंकी हमला भारत में होने की संभावना है। इसके पीछे का आधार इस दूरद्रष्टा व्यक्ति की एनालिसिस थी क्योंकि इससे पहले जब जब भारत पाकिस्तान के बीच शिखर वार्ता हुई थी तब-तब आतंकी हमले हुए थे। पहली बार आरएसएस मुख्यालय पर हमला हुआ था और दूसरी बार पाकिस्तान की लाल मस्जिद में। और 2008 में जब भारत का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान में था तब उस प्रतिनिधिमंडल का यात्रा विस्तार 1 दिन के लिए अचानक किया गया था। भारत के गृहसचिव सहित इंटरनल सेक्युरिटी, बॉर्डर मैनेजमेंट, ख़ुफ़िया एजेंसियों के अधिकारी आदि साजिश के तहत पाकिस्तान में रोक लिए गए थे। गृह मंत्रालय में केवल यह व्यक्ति अकेला बचा था जिसने अपनी बाइक से रात में ऑफिस जाकर स्थिति को संभाला था।
यह वही व्यक्ति है जिसके प्रयासों से समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद ब्लास्ट जैसे आतंकी हमलों के बारे में सरकार के पास पहले से ही जानकारी थी, उसके बाद ये सब हमले हुए थे। इसी व्यक्ति को गृहमंत्रालय के लोग ‘ब्लू चिप’ कहते थे। ये वही व्यक्ति है जिसे तत्कालीन गृहमंत्री के यहाँ से गृहमंत्रालय में कॉल आया था कि 26/11/2008 की रात को हुए आतंकी हमले के बाद गृहमंत्री मुंबई जाने वाले हैं और उनके लिए प्रोटोकॉल की व्यवस्था करो। ये वही व्यक्ति है जिसने तब कहा था की कि “साले की अगर माँ भी मरी होगी तो क्या प्रोटोकॉल मांगेगा?”
ये वही व्यक्ति है जिसको ये पता था कि तत्कालीन गृहमंत्री के प्रोटोकॉल के चक्कर में एनएसजी की टुकड़ी को आतंकी हमले के स्थल पर जाने में देरी हुई। ये वही व्यक्ति है जिसे उस समय क्या क्या साजिश हुई थी उसके बारे में सब पता है। ये वही व्यक्ति है जिसका अपहरण आतंकी कसाब को छुड़ाने के लिए किया जा रहा था लेकिन भगवान कृपा से वह अपहरण विफल हो गया।
इसी व्यक्ति ने हिन्दू आतंकवाद की साजिश का पर्दाफाश किया था। आज देश 26/11 आतंकी हमले की वर्षगांठ मन रहा है और उस आतंकी हमले में मारे गए हुतात्मों और बलिदानियों को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि दे रहा है। आज देश तुकाराम ओमले जैसे भारतपुत्र को याद कर रहा है जिसने अपने सीने पर 40 गोलियां खायी थी। सभी देशवासियों के साथ मैं भी अपनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली देता हूँ। लेकिन, इसके साथ ही उस महान हिन्दू योद्धा आर व्ही एस मणि जी को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने अपना सब कुछ दाव पर लगाकर हिन्दू आतंकवाद के झूठ का पर्दाफ़ाश करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यदि मणि जी की बात उस समय सरकार ने मान ली होती तो 26/11 जैसे हमलों को रोका जा सकता था लेकिन, फिक्स्ड मैच के तहत ये सब होने दिया गया। उनकी पुस्तकों में ये सब सविस्तार लिखा हुआ है, मेरे इस लेख का आधार भी मणि जी की पुस्तके ही हैं।
26/11 के आतंकी हमले को आर व्ही एस मणि अनेकों मंचों पर फिक्स्ड मैच कह चुके हैं और अपनी पुस्तकों में इसका विवरण भी दे चुके हैं। संयोगवश पिछले कल ही मैंने आर व्ही एस मणि की डिसेप्शन पुस्तक का हिंदी अनुवाद प्रकाशक को भेजा है। इस पुस्तक में 26/11 हमले की पूरी पृष्ठ्भूमि और उसके बाद क्या क्या हुआ सविस्तार लिखा हुआ है। शीघ्र की यह हिंदी पुस्तक प्रकाशित हो जायेगी आप लोग जरूर पढियेगा। अंग्रेजी भाषा में ये पुस्तक उपलब्ध है। एक बार फिर आर व्ही एस मणि जी को धन्यवाद।