16वीं लोकसभा के आखिरी सत्र के आखिरी दिन, सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी सरकार का धन्यवाद ज्ञापन कर सत्ता में उनकी वापसी की शुभकामनाएं दी, तो बगल में बैठी यूपीए सुप्रीमो सोनिया गांधी आवाक रह गई। मुलायम सिंह की अब तक की राजनीति भाजपा विरोध के केंद्र में रही। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते सन 90 में राम मंदिर आंदोलन के कारसेवकों के ऊपर हमला करवा कर मुलायम, देश मुसलमानों के सबसे चहेता राज नेता बन गए। अपने उस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में यादव और मुसलमान वोट के ठेकेदार के रुप में उभरे मुलायम अपने विरोधियों द्वारा “मुल्ला मुलायम” नाम दिए जाने पर गौरवान्वित होने लगे। यह उनके वोट बैंक को सूट करता था। और देश के सबसे बड़े राज्य में राजनीतिक दबदबा कायम रखने के में सहायक बने “मुल्ला मुलायम’ का तमगा मुलायम को भी भाने लगा। जब वहीं मुलायम लोकसभा सत्र के आखिरी दिन अपने वोट बैंक के नफरत के केंद्र बने नरेंद्र मोदी का महिमामंडन करने लगे तो टीवी स्क्रीन पर चर्चा का विषय बन गए । मोदी को लेकर, मुलायम इतने नर्म क्यों हुए ? यह मोदी समर्थक और मोदी विरोधियों के लिए भी चौका देने वाला था । राजनीति की रत्तीभर समझ रखने वाला जानता है कि पहलवानी से राजनीति में आए मुलायम, राजनीति का कोई भी दाव यूं ही नहीं चलते। उनके किसी राजनीतिक दाव को हल्के में नहीं लिया जाता। भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई की शिकंजे में चल रहे मुलायम सिंह को पता है कि बुढ़ापे में जेल जाना कितनी परेशानी का कारण बन सकता है। भ्रष्ट और बेईमान रहते लालू या चौटाला होने की परिणति मुलायम बेहतर समझते हैं। खुद को भैंस चरवाहा कहते हुए राजनीति में आकर कुछ ही साल में अकूत संपत्ति हासिल कर लालू को खुद को किंगमेकर कहने की अक़ड़ कैसे नब्बे के दशक में उनके अपनों ने ही ढीली कर दी इसे मुलायम बेहतर जानते थे। ठीक लालू की तरह कंगाली और बदहाली के राह से राजनीति में आए मुलायम ने भी राजनीति के सहारे अकूत संपत्ति हासिल की लेकिन राजनीतिक दांव पेंच के ऐसे खिलाड़ी रहे कि दुश्मनो ने भी कभी उनका कुछ नहीं बिगाड़ा। वे जानते हैं कि पुत्र अखिलेश को बचाना कैसे हैं। वे पुत्र अखिलेश को संदेश देते हैं बेटा…चोरी और सिनाजोरी साथ नहीं चलता। वैसे यह संदेश सिर्फ राजनीति में ही नहीं हर पेशे के लिए मान्य है। पत्रकारिता के लिए भी चोर बोले जोर से यह नहीं चलता। मुलायम जानते हैं कि भ्रष्ट रहते सीना तान कर नहीं चला जा सकता । दरअसल मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में है। जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लगभग डेढ दशक से सीबीआई कर रही है। याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका में मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के पास 100 करोड़ की अवैध संपत्ति का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने चतुर्वेदी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मार्च 2007 में सीबीआई को मामले की जांच करने का निर्देश दिया। अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश की। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव उनके पुत्र अखिलेश यादव, अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव और मुलायम के छोटे पुत्र प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के होने कि पुष्टि की। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुलायम उनके पुत्र और पुत्र वधू के पास ढाई करोड़ से ज्यादा की अवैध संपत्ति है। याचिकाकर्ता चतुर्वेदी का मानना है कि सीबीआई ने बहुत चालाकी से उनके 100 करोड़ की अवैध संपत्ति को ढाई करोड़ की संपत्ति बना दिया। सीबीआई की दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ो रुपये की अवैध संपत्ति बनाई। जो उनके पुत्र अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के साथ उनकी पुत्रवधू डिंपल यादव के नाम भी दर्ज था ।लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने इस मामले से डिंपल यादव का नाम हटा दिया था। सीबीआई ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2007 में दाखिल की थी। तब से लेकर आज तक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट में जस का तस है। सीबीआई इस मामले की जांच को लेकर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी। माना जाता है कि 2004 में सत्ता में लौटी कांग्रेस अल्पमत में थी। मुलायम के खिलाफ अकूत अवैध संपत्ति की जानकारी सरकार को थी इसीलिए कांग्रेस उनके पीछे अपने सिपाही वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी को लगाया। चुतुर्वेदी ने जो जानकारी हासिल कर सुप्रीम कोर्ट में पेश की वह चौंकाने वाला था । वही रिपोर्ट अल्पमत में फसी मनमोहन सरकार के लिए वरदान साबित हुआ। मामला सीबीआई के पास जाते ही 2007 के बाद, कांग्रेस के साथ मुलायम के मधुर संबंध बन गए। फिर मनमोहन सिंह की सरकार को मुलायम ने वक्त बेवक्त हमेशा मदद किया। यही कारण है कि मुलायम सीबीआई के रडार से बचते रहे। माना यह भी जाता रहा है कि विश्वनाथ चतुर्वेदी कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्य रहे हैं और पार्टी के इशारे पर ही मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी। जिसमें सीबीआई ने पाया कि पहलवानी से अपना करियर शुरू करने वाले मुलायम सिंह यादव राजनीतिक गलियारे में आते ही राजनीतिक दाव पेंच के भी मास्टर बन गए। सैफई के एक गांव का पहलवान देखते ही देखते राजनीतिक दांव पेज का ऐसा खिलाड़ी बन गया कि प्रधानमंत्री की रेस में सबसे आगे निकल गया। किस्मत ने सत्ता के सर्वोच्च बुलंदी पर तो उसे नहीं बैठाया लेकिन अपने पूरे कुनबे को मुलायम सिंह ने ग्राम प्रधान से लेकर सांसद और मुख्यमंत्री बना दिया।देश के अंदर राजनीति में मुलायम परिवार सी पैठ किसी वंशवादी राजनीतिक कुनबा का नहीं। यादव परिवार की राजनीतिक पैठ ग्राम प्रधान से संसद तक कायम रहा। इसमें मुलायम की अहम भूमिका थी। माना जाता है कि मुलायम कुनबे की शासन में ठसक का ही परिणाम रहा कि यूपी को लूटपाट का अड्डा बना दिया गया। विश्वनाथ चतुर्वेदी के मुताबिक मुलायम सिंह यादव और उनके पूरे कुनबे ने यहीं से अवैध कमाई का सिलसिला शुरू कर दिया। सीबीआई के पास इसके तमाम सबूत होने के बावजूद मुलायम के खिलाफ आज तक कोई कार्र्वाई नहीं हो पाई क्योंकि 10 साल तक अल्पमत में रही मनमोहना सरकार को बचाने के लिए मुलायम और उनके महारथी अमर सिंह जुगाड़ लगाते रहे। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक लाचार हो चुका, मुलायम कुनबा और उनके मुखिया मुलायम सिंह अब सत्ता की जरूरत तो नहीं रहे, लेकिन राजनीति में आशीर्वाद के भी संदेश होते हैं । शुभकामनाओं के भी मायने होते हैं ।मुलायम जानते हैं कि मोदी को दिए गए उस शुभकामना से मोदी विरोधियों के छाती पर उन्होंने कैसा मुंग में दला होगा। उसके राजनीतिक मायने क्या है? मुलायम जानते हैं। मुलायम जानते हैं भ्रष्टाचार में जब नकेल कसा हो तो सरकार के आशीर्वाद की जरुर होती है , टकराने की नहीं। टक्कर लेने का मतलब है अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे की जांच की गति का बढ़ जाना। फिर खुद के लिए और अपने बेटे अखिलेश के लिए परेशानी का सबब बन जाना। अब जो कोई भी मुलायम को अपने बेटे अखिलेश के राजनीति भविष्य के बाधक मानते हैं वे कम से कम राजनीति में मुलायम दाव से अनभिज्ञ हैं। वे पुत्र और भाई का बैरी होने के बाद भी उनके राजनीतिक संरक्षक होने की सीख भी देते हैं। यह भी कि बेइमानी और भ्रष्टाचार के दाग के साथ नैतिकता का हो हल्ला अब जनता बर्दाश्त नहीं करती। मुलायम के नरमी को भले ही राजनीतिक पलटीबाजी माना जाए या उसे विमर्श का मुद्दा मुलायम राजनीति की सीख तो देते ही हैं। राजनीतिक पुत्र हंता दिखते हुए, उसके राजनीतिक विरासत के सबसे बड़े रक्षक। URL : Mulayam singh a real political master..he knows if you are corrupt the how to deal politics keywords: mulayam singh yadav, sp congress, akhilesh ,lalu. मुलायम सिंह यादव,मोदी,लालू,कांग्रेस,सपा
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यदि आप भ्रष्ट और बेईमान है तो मुलायम बनिए !
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