अक्षय कुमार ने अपनी नई फिल्म ‘रामसेतु’ की शूटिंग अयोध्या में करने के लिए योगी आदित्यनाथ से आज्ञा मांगी है। कुछ दिन पूर्व अक्षय कुमार ने इस फिल्म का एक प्रमोशनल पोस्टर जारी किया था। इसकी टैगलाइन को लेकर बहुत बखेड़ा खड़ा हो गया था, जिसके बारे में योगी आदित्यनाथ और उत्तरप्रदेश फिल्म्स डिवीजन को संभवतः कोई जानकारी नहीं है।
अक्षय कुमार द्वारा जारी इस पोस्टर में दी गई टैग लाइन पर लिखा हुआ था ‘रामसेतु :कल्पना या वास्तविकता’। इस टैगलाइन को लेकर अक्षय को सोशल मीडिया पर जबरदस्त ढंग से ट्रोल किया गया था। राम और रामसेतु को काल्पनिक कहना किसी सनातनी व्यक्ति के लिए नितांत अस्वीकरणीय कृत्य है।
इस फिल्म के बारे में अब तक कुछ भी खुलासा नहीं किया गया है। इसकी कहानी क्या होगी? स्क्रीनप्ले क्या होगा? ये फिल्म रामसेतु की वास्तविकता को प्रस्तुत करेगी या उसे मिथ बनाकर छोड़ देगी? ये सारे सवाल उत्तरप्रदेश फिल्म्स डिवीजन को अक्षय कुमार से पूछने चाहिए।
मर्यादा पुरषोत्तम राम की भारत के लिए क्या महत्ता है, ये बताने की आवश्यकता नहीं है। इस देश की सरकार को इतना गंभीर तो होना ही चाहिए कि इक्ष्वाकु वंश के अवतार पर कोई निर्माता फिल्म बनाने की घोषणा करे तो उससे फिल्म की कथावस्तु के बारे में आवश्यक जानकारी ली जाए।
हालांकि फिल्म की घोषणा के बाद से देश का सूचना व प्रसारण मंत्री संज्ञान लेना संभवतः भूल गया है। मुंबई में अक्षय कुमार अपनी इसी फिल्म की शूटिंग की आज्ञा लेने के लिए योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे थे। अभी पता नहीं चला कि अक्षय कुमार को शूटिंग के लिए एप्रूवल दिया गया है या नहीं।
अक्षय कुमार और संजय लीला भंसाली जैसे लोगों का ट्रेक रिकॉर्ड भारत के पौराणिक नायकों को लेकर वाहियात ही रहा है। अक्षय कुमार तो अपनी फिल्म में राम का मज़ाक बनाते देखे गए हैं और ये भी कहते देखे गए हैं कि वैष्णो देवी के दर्शन करने से व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होता है इसलिए उस यात्रा का पैसा किसी गरीब को दान कर देना चाहिए।
ऐसी सोच का व्यक्ति रामसेतु पर कैसी फिल्म बनाएगा, बताने की आवश्यकता नहीं है। सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण से अक्षय की छवि को ऐसा धक्का पहुंचा है कि उसकी भरपाई कैसे भी होना संभव नहीं लगता। वैसे भी 53 साल के हो चुके अक्षय फ़िल्मी पारी के अंतिम दौर में है और ये अंतिम दौर उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक सिद्ध हो रहा है।
योगी आदित्यनाथ को अक्षय कुमार को आज्ञा देने से पूर्व फिल्म की कथावस्तु की जाँच कर लेना आवश्यक होगा। सबसे पहले तो इस बात का आश्वासन मिले कि रामसेतु को फिल्म में काल्पनिक लिखने का साहस पटकथा लेखक नहीं करेगा।
ऐसा करना इसलिए आवश्यक है कि पिछले दिनों करण जौहर ने भारतीय वायु सेना पर बनाई फिल्म के लिए वायुसेना से अनापत्ति प्रमाणपत्र ले लिया लेकिन फर्जीवाड़ा करते हुए वे दृश्य सेना को नहीं दिखाए, जिसमे उन्होंने वायुसेना का अपमानजनक चित्रण किया था। बॉलीवुड पीठ में छूरा घोंपने में उस्ताद है लेकिन ये बात उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को कौन बताएगा। उनके आसपास जो फिल्म उद्योग के विशेषज्ञ हैं, वे तो बताने से रहे।