विपुल रेगे। जूही चावला कोई आज से मोबाइल रेडिएशन की बात नहीं कर रही हैं। ये मामला तो सन 2011 से चला आ रहा है। सन 2011 में जूही चावला ने आरोप लगाया था कि मालाबार हिल्स स्थित उनके घर से चालीस मीटर दूर सह्याद्रि गेस्ट हॉउस से मोबाइल का तेज़ विकिरण आ रहा है। तत्कालीन फडणवीस सरकार ने चावला की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए विशेषज्ञों से उनके घर की जाँच करवाई। पता चला कि उनकी सोसाइटी तक आ रहा विकिरण हल्का था और जानलेवा तो बिलकुल नहीं था।
इधर 5G की टेस्टिंग शुरु हुई और उधर जूही चावला को पुनः भारत के भाग्य की चिंता होने लगी। अभिनेत्री को भय है कि 5G की सेवाएं शुरु होते ही रेडिएशन में बढ़ोतरी हो जाएगी। दिल्ली उच्च न्यायालय में उन्होंने एक याचिका लगाई। याचिका में कहा गया कि 5जी वायरलेस टेक्नोलॉजी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर और अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ेगा।
हालाँकि उच्च न्यायालय ने पहली ही सुनवाई में जूही की याचिका ख़ारिज कर दी। इसके साथ ही उन पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। बीस लाख का आर्थिक दंड इसलिए लगाया गया क्योंकि उन्होंने कई बारातियों को ऑनलाइन सुनवाई में शामिल कर लिया। इन बारातियों ने जूही चावला जी के लोकप्रिय गीत गाना शुरु कर दिया था। एक दशक से जारी इस विरोध के धागे अब लोगों को दिखाई देने लगे हैं ।
सोशल मीडिया पर जो खुलासे किये गए हैं, उससे आने वाले दिनों में चावला का अभियान ठंडा पड़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं। जूही चावला इस विकिरिण विरोधी अभियान में विगत एक दशक से आईटी प्रोफेसर गिरीश कुमार का साथ दे रही हैं। ये भी एक खरा प्रश्न है कि जूही चावला और उनके साथी प्रोफेसर को कैसे पता चलता है कि अमुक क्षेत्र में रेडिएशन है या नहीं।
न्यायालय में जूही कहती हैं कि उन्होंने स्वयं जाँच कर पता लगाया है कि 5G का विकिरण घातक है। यदि सन 2011 में फडणवीस सरकार पूछ लेती कि किन उपकरणों की सहायता से उन्होंने विकिरण का पता लगाया है तो उनकी बड़ी मुश्किल हो जाती। जूही चावला को विकिरण संबंधी अथाह ज्ञान उनके प्रोफेसर साथी से मिला है। इन प्रोफेसर साथी की पृष्ठभूमि की जाँच होना भी आवश्यक है।
विल्कॉम टेक नामक एक कंपनी कई वर्ष से रेडिएशन कम करने के उपकरण तैयार करने का दावा करती है। जूही के साथी प्रोफेसर इस कंपनी में चेयरमैन के पद पर हैं। उनकी बेटी नेहा कुमारी भी इस कंपनी में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने विकिरणरोधी विलयन का पेटेंट लिया हुआ है। जूही चावला के पतिदेव भी इस कारोबार से अप्रत्याशित रुप से जुड़े हुए हैं। विल्कॉम टेक में एक कंपनी लंबे समय से निवेश करती आई है।
लुसाका प्रॉपर्टीज नामक इस कंपनी से जूही चावला के पति जय मेहता जुड़े हुए हैं। विल्कॉम टेक से एक और कंपनी सलोरा जुड़ी हुई है। सलोरा के प्रबंध निदेशक और विल्कॉम टेक के निदेशक एक ही व्यक्ति हैं। इस तरह से विल्कॉम, सलोरा और जूही चावला मिलकर एक बड़े परिवार की तरह हैं।
जूही चावला का दोहरा रवैया यहाँ दिखाई देता है। एक तरफ उनको 5G के तथाकथित रेडिएशन से लोगों को बचाना है और दूसरी तरफ उनके पति जय मेहता का समूह प्लास्टिक के उत्पाद निर्मित करता है। जय मेहता के उत्पाद शायद जूही चावला को इको फ्रेंडली लगते होंगे।
I use to consider Juhi as moderate towards society unlike the other stars. But when I saw leftist journalist interviewing her immediately able to connect dots about vested interest and her credibility is now questionable in my eyes . Thanks india speaks daily for exposure