अर्चना कुमारी । देश की राजधानी दिल्ली जहां पर भीषण आग की चपेट में आकर 27 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मृत लोगों के परिजनों के प्रति राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक संवेदना जाहिर लेकिन इस दुखद मौत के पीछे भ्रष्ट तंत्र जिम्मेदार है ।
जिस इमारत में आग लगी, उसमें आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने का रास्ता मौजूद नहीं था जबकि आग लगने से बचाव के कोई भी उपकरण मौजूद नहीं थे । यह हादसा हुआ बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके में जहां शुक्रवार शाम एक इमारत में भीषण आग लगने की घटना में करीब 27 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई जबकि कई अन्य जख्मी हो गए ।
पुलिस का कहना है कि मौके से सभी घायलों को ग्रीन कारिडोर बनाकर संजय गांधी तथा अंबेडकर अस्पताल भेजा गया। बताया जाता है जिस इमारत में आग लगी, उस इमारत में कई कंपनियों का कार्यालय और फैक्ट्री हैं। आग लगने के बाद वहां काम करने वाले काफी लोग इमारत में फंस गए। घटना के बारे में सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों की मदद से राहत और बचाव का काम शुरू किया गया। राहत बचाव में लगे कर्मियों ने खिड़कियां तोड़कर और रस्सी की मदद से आग की लपटों के बीच घिरे इमारत में फंसे करीब 60 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
इस दौरान मौके पर कई लोग अचेत मिले, जिसे विभिन्न अस्पताल पहुंचाया गया और इनमें से करीब 27 लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है जबकि 12 जख्मी लोगों का उपचार किया जा रहा है। जांच में पता चला है कि आग चार मंजिला इमारत की पहली मंजिल से शुरू हुई। जहां पर सीसीटीवी कैमरों और राउटर निर्माण कंपनी का कार्यालय है।
आग की घटना इमारत की पहली मंजिल से शुरू हुई जो एक सीसीटीवी कैमरों और राउटर निर्माण , असेंबलिंग कंपनी का कार्यालय है। आग लगने के दौरान इमारत में काफी लोग मौजूद थे। कुछ ने आग लगते ही वहां से भागने की कोशिश की लेकिन ज्यादातर लोग आग में फंस गए। पहली मंजिल पर लगी आग तुरंत उपर की मंजिलों में फैल गई।
इमारत से आग की लपटें और धुए निकलने लगी। आग लगने की सूचना मिलते ही पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और राहत बचाव का काम शुरू कर दिया। इससे पहले स्थानीय लोग भी लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे थे। आशंका है कि अधिकांश लोगों की मौत आग और धुएं की चपेट में आकर हुई है। सूत्रों का कहना है कि इस इमारत में आपातकालीन स्थिति में बाहर निकलने का रास्ता नहीं था।
यही वजह है कि यहां भारी जान माल का नुकसान हुआ। हैरत की बात है कि बिना दमकल तथा पुलिस के एनओसी के कैसे यहां पर फैक्ट्री तथा ऑफिस चलाए जा रहे थे जबकि ऐसी जगह जहां ढाई सौ तीन सौ लोग काम करते हो, वहां आग लगने या दूसरे इमरजेंसी के दौरान तुरंत निकासी के उपाय किए जाते हैं। यहां जब आग लगी तो लोग अचानक फंस गए थे। जबकि उन्हें जान बचाने के लिए भागने का मौका तक नहीं मिला। इतना ही नहीं यहां पर फायर सेफ्टी नॉर्म्स का भी पूरी तरह से उल्लंघन किया गया।