सैन्य विभाग के अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अरुण पुरी जी का यह बयान बेहद गैरजिम्मेदाराना है कि ” आयु में छूट, CRPF, असम राइफल्स आदि में अग्निवीरों के लिए 10% आरक्षण की व्यवस्था, पुलिस और PSUs में नौकरी में वरीयता, सस्ती दरों पर लोन ये सब पहले से Planned था। योजना के सारे प्रावधान पहले से planned थे। ऐसा नहीं है कि उपद्रव हुआ तो ऐलान हुआ।”
पुरी साहब बताएंगे कि क्या देश जलने की प्रतीक्षा की जा रही थी? यदि पहले से यह सब प्लांड था तो प्रारंभ में जो नोटिफिकेशन जारी किया गया, उसमें ही इन बातों को शामिल किया जाना चाहिए था, तब विरोधियों द्वारा छात्रों को भड़काना शायद मुश्किल होता और देश नहीं जलता!
200 cr की संपत्ति स्वाहा हो गई, लोग यहां-वहां फंसे हुए हैं और सचिव साहब को मौज सूझ रही है! कौन है इसके लिए जिम्मेदार? मेरी सरकार से मांग है कि जो लोग इसके लिए जिम्मेदार है, सरकार उन पर कार्रवाई करे।
देश जल रहा है! क्या इसकी प्रतीक्षा की जा रही थी कि देश जले तो हम पहले से तय योजना में से एक-एक रिलेक्सेशन जारी करते जाएंगे, जिससे जनता यह समझे कि हम जनता की आवाज सुनते हैं? या फिर सरकार यह कहना चाह रही है कि हमें किसी भी विरोध की परवाह नहीं, हमने तो पहले से ही सब तय कर रखा है! देश क्या कोई प्रयोगस्थल है?
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