वृंदावन, 25 अगस्त। “ पूरे गाजे बाजे से सरकारी तय्यारी है कि बिहारीजी मंदिर को तोड़कर कोरीडोर बनाया जाय। जाँच समिति का पर्चा इसे साफ़ बता रहा है । इसलिये साफ़ है कि ये जाँच तो मात्र लीपा पोती है “ । ये कहना है ब्रज की धरोहरों को बचाने में दो दशकों से जुटे विनीत नारायण का।
उनका कहना है कि काशीवासी बड़ी पीड़ा से बताते हैं कि “ अब लोग काशी विश्वनाथ के दर्शन के भाव से नहीं जाते बल्कि काशी कोरीडोर देखने जाते हैं ।जहां मॉल स्टाइल में दुकाने व होटल बनाये गये हैं।”
हिंदू मंदिर का निर्माण आगम शास्त्रों की विधि से पारम्परिक तकनीकी से किया जाता है। जिसमें सीमेंट, लोहा, ईंट का प्रयोग बिलकुल नहीं होता। हैदराबाद से 70 किलोमीटर दूर पौराणिक स्थल यादगिरी गुट्टा में श्री लक्ष्मीनरसिंह देव का भव्य मंदिर तेलंगना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इसी श्रद्धा और भावना से बनवाया है। जिस पर बीबीसी की निम्न रिपोर्ट देख कर उत्तर प्रदेश सरकार को शिक्षा लेनी चाहिये –
इस मंदिर के परिसर की बात छोड़ आसपास भी कोई दुकान या भोजनालय नहीं बनाया गया ताकि मंदिर की पवित्रता भंग न हो। इन सब ज़रूरतों के लिये तिरुपति बाला जी की तरह वहाँ पूरा तीर्थ नगर ही बना दिया गया। 1800 करोड़ रुपये की यह पूरी परियोजना सरकारी पैसे से कुल चार वर्षों में पूरी हो गयी । जिसमें एक पैसा भी जनता से चंदा नहीं माँग गया।
क्या ब्रज विकास के नाम पर 600 करोड़ रुपए को चूना लगा चुके ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अफ़सरों में ये क्षमता, योग्यता, अनुभव या ईमानदारी है जो वो बिहारी जी के मंदिर का ऐसा भव्य निर्माण कर सकें ? बिना बिहारी जी के मंदिर को तोड़े और बिना उसकी ऐतिहासिक गलियों को चौड़ा किए भी बेहतर विकल्प संभव हैं बशर्ते की सही सुझाव सुनने का नैतिक साहस हो।