काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र में अपने मूल स्थान पर स्थापित काशी की 56 विनायक यात्रा के दुर्मुख,सुमुख,प्रमोद मणिकर्ण,अविमुक्त, गणनाथ विनायक स्थान नष्ट ।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर धाम में काशी के 42 स्वयंभू महालिंगो में से करुणेश्वर, मोक्षद्वारेश्वर, स्वर्गद्वारेश्वर, नन्दिकेश्वर, महेश्वर , तारकेश्वर, भगवान अविमुक्तेश्वर जैसे महालिंग और स्थान नष्ट हुए।
मां गंगा का अर्धचंद्राकार स्वरूप नष्ट कर बना धाम का गंगा द्वार और भगवान शिव के पंचमुख में से एक ऐश्वर्यरेश्वर लिंग ऐश्वर्यमंडप का स्थान नष्ट
निकुंभ गण द्वारा स्थापित ,निकुंभेश्वर लिंग ,विघ्न विनायक, विरूपाक्षेश्वर और विरूपाक्ष गौरी और शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी द्वारा स्थापित देवयानीश्वर लिंग और शनि द्वारा स्थापित शनिश्वर लिंग स्थान नष्ट और नव दुर्गा में एक माहेश्वर और माहेश्वरी देवी का स्थान नष्ट।
ज्ञानवापी बावली के चार दिशा के रक्षक पश्चिम में दण्डपाणी पूर्व में तारकेश्वर उत्तर में नादिकेश्वर दक्षिण में महाकालेश्वर गण के स्थानों में से दण्डपाणी , नादिकेश्वर, तारकेश्वर का स्थान नष्ट
काशी के पंचकोशी यात्रा के शुरुआती देवता और स्थान नष्ट और विश्वेश्वर अविमुक्तेश्वर अंतर्ग्रही यात्रा के कॉरिडोर के सारे देवता का स्थान नष्ट
महाविष्णु यात्रा में विश्वनाथ जी परिसर के एक श्रीविष्णु का मूल स्थान और तीर्थ नष्ट और काशी के बारह आदित्य सूर्य– 1. लोलार्क, 2. उत्तरार्क, 3. साम्बादित्य, 4. द्रौपदादित्य, 5 मयूखादित्य, 6खखोल्कादित्य, 7.अरुणादित्य, 8.वृद्धादित्य,9. केशवादित्य 10 विमलादित्य, 11.गंगादित्य, 12. यमादित्य में से द्रोपदी द्वारा स्थापित द्रौपदादित्य का स्थान नष्ट
पौराणिक 19 तीर्थ स्थान और राजा भगीरथ जी द्वारा स्थापित भगीरथेश्वर लिंग और भगीरथ विनायक स्थान नष्ट,भागीरथी तीर्थ के दक्षिण शिव जी का (गौ) खुरकर्तरी नामक एक महातीर्थ और खुरकर्तेश्वर लिंग स्थान नष्ट
चण्डीचण्डेश्वर लिंग और चण्ड-चण्डी मूर्ति व स्थान नष्ट और आंगिरसेश्वर लिंग , राक्षसेश्वर लिंग , द्रौपदी कूप, द्रुपदेश्वर, द्रुपद विनायक,षडानन, क्रत्वीश्वर लिंग, मार्कण्डेयेश्वर लिंग, निष्कलंकेश्वर लिंग , राजराजेश्वर लिंग , परान्नेश्वर लिंग , परद्रव्येश्वर लिंग , प्रतिग्रहेश्वर लिंग , सुवर्णाक्षश्वर लिंग व स्थान ,अक्षय वटवृक्ष नष्ट
ऐतिहासिक एवं प्राचीन स्थान
आदिगुरु शंकराचार्य जी द्वारा काशी में मां सरस्वती की प्रतिष्ठा एवं स्थान का सरस्वती द्वार के नाम से काशीवासियों में प्रचलित था वह दोनो नष्ट हुआ।
महान देशभक्त चंद्रशेखर आजाद जी को काशी में जिस स्थान पर आजाद की उपाधि मिली और जहा वह अपनी जीविका के लिए लोगो को जल पिलाते थे वह स्थान ज्ञानवापी में नष्ट ।
महान देशभक्त चंद्रशेखर आजाद जी ने काशी के सरस्वती फाटक पर जिन हनुमान मूर्ति के आगे प्रतिज्ञा कर 9 वर्ष तपस्या किया बरतानिया सरकार बड़ी से बड़ी हथकड़ी भी न आप सके तो मरते दम तक गिरफ्तार पुनः नही हुए ।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री जी लाल बहादुर शास्त्री जी काशी के सरस्वती फाटक पर जिस स्थान पर पढ़ने आते और हनुमान जी की पूजा करते वह स्थान नष्ट ।
प्रभु श्रीराम का तीन 400 वर्ष ऊपर से पूजित राम दरबार व स्थान नष्ट , अक्षय वट हनुमान स्थान नष्ट , शिव कचहरी स्थान नष्ट , 100 के ऊपर प्राचीन शिव अन्य मंदिर स्थान नष्ट , अति प्राचीन आदि संकट मोचन, ऋषि मुनि एवं गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा पूजित स्थान नष्ट
दो ऐतिहासिक प्राचीन लाइब्रेरी नष्ट पुस्तक लापता