दिल्ली स्थित कैथोलिक चर्च के मुख्य पादरी अनिल कोटो के हालिया बयान और कारनामे से स्पष्ट है कि 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए कांग्रेस ने अभी से पादरियों को अपने पक्ष में लामबंद करना शुरू कर दिया है। इससे साफ है कि भारत के कैथोलिकों में धार्मिक उन्माद बढ़ाने में कांग्रेस की शह है। उसी की शह पर दिल्ली के मुख्य पादरी ने दिल्ली में चुनाव प्रार्थना अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान में शामिल होने के लिए उन्होंने दिल्ली के अन्य पादरियों को बुलाने के लिए एक चिट्टी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है जिसे बचाना है, इसलिए अगले साल होने वाले आम चुनाव के लिए भारत के कैथोलिकों को प्रार्थना करना चाहिए। इसी उद्देश्य से चुनाव प्रार्थना अभियान की शुरुआत की गई है।
मुख्य बिंदु
* साल भर पहले ही दिल्ली के मुख्य पादरी अनिल कोटो ने शुरू किया चुनावी प्रार्थना अभियान
* भारत में लोकतंत्र को खतरे में बताकर देश के क्रिश्चियनों से एकजुट होने की अपील की
अनिल कोटो द्वारा लिखी चिट्ठी 13 मई को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सभी चर्चों में पढ़ी गई। चिट्ठी के माध्यम से कहा गया है कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि अगले साल अप्रैल 2019 में देश का अगला आम चुनाव होने वाला है। इस चुनाव से हमें नई सरकार मिलने वाली है। इसलिए 13 मई को पुर्तगाल स्थित फातिमा में मदर की पुण्यतिथि के सालगिरह के मौके पर चुनाव प्रार्थना अभियान की शुरुआत करनी चाहिए।
इतना ही नहीं इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार के खिलाफ भी खूब जहर उगला। अब जबकि मोदी सरकार का पांच साल का कार्यकाल शांतिपूर्वक खत्म होने वाला है तब उन्होंने इस सरकार पर अल्पसंख्य समुदाय की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। कोटो ने तो मोदी सरकार पर हिंदू राष्ट्र स्थापित करने के लिए पर हिंदू समुदायों को तरजीह देने तथा देश के अन्य धार्मिक अल्पसंख्यों की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जब से मोदी सत्ता में आए तब से क्रिश्चियन समुदायों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं।
लेकिन उन्होंने जो आंकड़े पेश किए हैं वे बिल्कुल निराधार है। क्योंकि आज कल तो दूरदराज इलाकें में छोटी सी घटना भी विश्वव्यापी रूप ले लेती है। लेकिन उन्होंने बताया कि साल 2016 में जहां क्रिश्चियनों के खिलाफ 348 हमले हुए वहीं साल 2017 में 736 हमले किए गए। ये आंकड़े भी उनके अपने उत्पीड़न राहत केंद्र के हैं। देश की किसी आपराधिक शाखा के नहीं।
कोटो ने अपने पत्र में लिखा है कि हमलोग अभी देश में उथल-पुथल राजनीतिक वातावरण के साक्षी हैं, जो हमारे देश के लोकतांत्रिक सिद्दांतों, संवैधानिक निष्ठा और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है। अपनी इस चिट्ठी में उन्होंने सिर्फ पादरियों से ही नहीं बल्कि हर क्रिश्चियन संगठनों और उसकी ओर झुकाव रखने वाले सगंठनों के साथ धार्मिक संस्थाओं से भी इस अभियान में साथ देने को कहा है। उन्होंने कहा है कि अगले चुनाव को ध्यान में रखते हुए हर शुक्रवार को इस अभियान के तहत काम करना चाहिए।
अनिल कोटो की इस पहल की एसी माइकल जैसे ले कैथोलिक नेताओं ने सराहना की है। माइकल दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य रहे हैं। इस अभियान का समर्थन करते हुए उन्होंने कोटो के इस कदम को निर्भीक और साहसी बताया है। उन्होंने कहा कि यह कदम क्रिश्चियनों को चुनाव में दिशा निर्देश देने वाला साबित होगा। वहीं झारखंड के पेंटेकॉस्ट चर्च के पादरी टॉमसन थॉमस ने तो कोटो के इस कदम को क्रिश्चियन समुदाय के लिए जरूरी बताया है। उन्होंने कहा है कि हमारी शक्ति सिर्फ हमारे ईशु हैं और उप्तीड़न करने वालों के खिलाफ हमारी प्रार्थना ही एक मात्र हथियार है।
मध्य प्रदेश में पादरी परिषद के जन संपर्क अधिकारी मारिया स्टेफन ने तो कहा है कि इस अभियान का आयोजन सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि देश स्तर पर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह तो महज शुरुआत है, बाद में तो इसे अन्य धार्मिक समुदायों में भी फैलाना चाहिए।
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