विपुल रेगे। शुक्रवार रिलीज हुई ‘आदिपुरुष’ की ठरकी प्रस्तुति से क्रोधित लोगों ने सोशल मीडिया जाम कर दिया है। जबरदस्त प्रमोशन के चलते पहले दिन का कलेक्शन 90 करोड़ रहा। माउथ पब्लिसिटी बता रही है कि सोमवार से कलेक्शन औंधे मुंह गिरेंगे। प्रचंड विरोध देखते हुए फिल्म के निर्देशक और लेखक बेशर्मी पर उतर आए हैं और अपना कृत्य सही ठहरा रहे हैं। आदिपुरुष के जरिये श्री राम की छवि तार-तार करने के इस सुनियोजित षड्यंत्र में ‘अदृश्य हाथ’ होने की पूर्ण आशंका दिखाई देती है।
‘आदिपुरुष’ के लिए अच्छा प्रचार किया गया था। प्रचार के विभिन्न तरीके अपनाए गए थे। फिल्म निर्देशक ओम राउत के साथ ‘ताना जी’ का शानदार बैकअप था। राउत को राष्ट्रवादी के रुप प्रचारित मनोज मुन्तशिर शुक्ला का साथ मिला था। इस टीम पर संदेह का कोई कारण ही नहीं था। इसी विश्वास का परिणाम था कि पहले दिन फिल्म ने नब्बे करोड़ की ओपनिंग ली। दर्शकों को नहीं मालूम था कि ये फिल्म रामायण को लेकर शताब्दियों से स्थापित मान्यताओं को कुचलने की कोशिश करेगी। फिल्म देखकर निकले दर्शकों ने इतनी कड़ी प्रतिक्रिया दी कि फिल्म निर्माता और उनकी टीम हिल गए।
शनिवार को अख़बारों के पहले पन्ने पर दर्शकों के आक्रोश को स्थान दिया गया है। इसका मतलब है कि ‘आदिपुरुष’ इस समय एक भयंकर विवाद में फंस चुकी है। शुक्रवार शाम स्थिति बिगड़ने के बाद एक बहुत बड़े राष्ट्रवादी चैनल ने ओम राउत और मनोज मुन्तशिर को अपने स्टूडियो में आमंत्रित किया। वार्ता में पूछा गया कि उन्होंने हनुमान जी को भद्दी भाषा के डायलॉग क्यों दिए। इन दोनों ने बेशर्मी के साथ अपने कृत्य को सही ठहराया। ओम राउत बोला कि हमने आज से बीस साल बाद वाली पीढ़ी के लिए ये फिल्म बनाई है। मुन्तशिर अपने बचाव में बेशर्मी भरे तर्क पेश करता रहा। देश के हिन्दुओं को पीड़ा देने के बाद एक न्यूज़ चैनल के सामने आए मुन्तशिर और राउत अपने बचाव में अंडबंड तर्क फेंकते रहे।
सवाल पूछने वाला भी बाद में उनसे सहमत दिखा। सवाल पूछने वाले ने तो यहाँ तक कह दिया कि इस फिल्म को ‘वामपंथी’ रोकना चाहते हैं और ये विरोध उनका ही किया धरा है। स्पष्ट था कि प्रश्नकर्ता अपने मेहमानों को छुपे ढंग से क्लीन चिट दे रहा था। फिल्म के विरोध को वामपंथियों के सिर ढोलने वाले चैनल को ये तक नहीं पता कि हिन्दू ही इस फिल्म का सबसे कड़ा विरोध कर रहे हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया बेईमानी से कार्य कर रहा है। विशेष रुप से स्वयं को राष्ट्रवादी बताने वाले चैनल बेशर्मी पर उतर आए हैं। फिल्म में जिस ढंग से रावण द्वारा राम की पिटाई दिखाई गई। हनुमान जी को रावण के छर्रों से पिटते हुए दिखाया गया है, इस पर संदेह गहरा गया है। रावण के किरदार को शक्तिशाली दिखाया गया है और राम को दयनीय बना दिया गया है।
इसमें भी एक षड्यंत्र हो सकता है कि राम, सीता और हनुमान के नाम पर फिल्म में राघव, जानकी और बजरंग नामों का प्रयोग किया गया है। टी सीरीज के भूषण कुमार ने किस ‘अदृश्य हाथ’ के इशारे पर रामायण को छलने वाली फिल्म बनाई है, इसकी जाँच और पूछताछ होनी चाहिए। भारतीय सेंसर बोर्ड की भूमिका की भी जाँच आवश्यक है। कोई तो ऐसा है, जिसे हमारे पौराणिक ग्रंथों को अपमानित करने में आनंद महसूस होता है। हम हिन्दू इस फिल्म को देखने के बाद एक असहनीय पीड़ा का अनुभव कर रहे हैं। हमारी लाचारी ये है कि सेंसर बोर्ड ने स्वयं ये फिल्म अनुमति देकर आगे बढ़ाई है।
रामायण के अपमान पर सरकार मौन है। सरकार के सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी मौन हैं। सरकार के लिए शायद ये केवल एक फिल्म है लेकिन हम हिन्दुओं के लिए ये एक ऐसा ‘ट्रोजन हॉर्स’ है, जिसे किले के भीतर हमारे ही विश्वासघाती साथी लेकर आए हैं। भूषण कुमार, ओम राउत और मनोज मुन्तशिर ‘ट्रोजन हॉर्स’ ही तो हैं। राम के नाम पर हिन्दू एक बार पुनः छला गया है।