कहा जाता है कि राजनीति की डगर महिलाओं के लिए नहीं है, महिलाओं को यहाँ पर हर बात सहने के लिए आना चाहिए. यह बात काफी हद तक सच भी है. यह सच है कि महिलाओं के लिए राजनीति कोई सरल चीज़ नहीं है और उन्हें बहुत हद तक खुद को बेशर्म बनाकर राजनीति के उस दलदल में उतरना चाहिए, जो बहुत बदनाम है. हाल ही में उत्तर प्रदेश की पूर्व में रह चुकी मुख्यमंत्री बहन मायावती ने जब कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के मजदूरों की बुरी स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया तो उन पर किस तरह की छींटाकशी हुई वह कांग्रेस के स्त्री विरोधी चरित्र को दिखाने के लिए पर्याप्त है.
यूं तो कांग्रेस में आने का मतलब ही स्त्री शोषण है, मगर फिर ऐसा लगता है कि कांग्रेस में स्त्री नेता कैसे बनी हुई हैं? क्या उनका मूल चरित्र भी दूसरों का चरित्र हनन करना है? या वह महज़ पब्लिसिटी के लिए ही इस तरह की हरकतें करती हैं. यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ कि क्योंकि हाल ही में जिस तरह से भाजपा के नेताओं और विशेषकर प्रधानमंत्री जी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर हो रहा है वह अपने आप में हैरान करने वाला है. दुर्भाग्य से यह सब उस कांग्रेस पार्टी में हो रहा है, जिस कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा भी स्त्री हैं और उत्तर प्रदेश का प्रभार भी महिला के ही पास है.
हाल ही में योगी आदित्यनाथ जी के दीक्षा पूर्व के नाम के साथ उन पर कई बार हमला किया गया, मगर प्रियंका गांधी मौन रहीं. अभी एक दो दिन पहले ही एक बहस के दौरान कांग्रेस की एक महिला प्रवक्ता योगी आदित्यनाथ को अजय बिष्ट कहकर पुकार रही थीं. कांग्रेस में आकर स्त्रियों को इस कदर बदतमीज हो जाना होता है जिससे वह अपनी मैडम की कृपा पात्र बन सकें या फिर कुछ और बात है? अभी कुछ दिन पहले ही गौरव पंधी ने स्मृति ईरानी को सबसे बेवक़ूफ़ नेता कहा था.
खैर आज बात हो रही है अलका लाम्बा की, जी हाँ वही अलका लाम्बा जो पहले कांग्रेस में थीं, वहां से आम आदमी पार्टी में आईं और पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान एक बार फिर से कांग्रेस में आ गईं. अलका लाम्बा का एक इतिहास है. यद्यपि निजी इतिहास को पार्टी इतिहास में नहीं लाना चाहिए, मगर जो स्त्री दूसरे नेताओं के विषय में अश्लील कथन करे तो उसका इतिहास खंगाला ही जाएगा. हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान अलका लाम्बा ने एक लड़के को थप्पड़ मार दिया था. उस लड़के को उन्होंने क्यों थप्पड़ मारा था, उस विषय पर काफी लोग उनके साथ आ गए थे. ख़ास तौर पर स्त्रियाँ! उस लड़के ने उनके बेटे को लेकर टिप्पणी की थी कि वह किसका है, या फिर कुछ ऐसा ही कहा था.
लोगों ने अलका लाम्बा का साथ दिया, मगर अलका लाम्बा जैसी नेता जैसे खुद को प्रासंगिक रखने के लिए कई तरह के नाटक करती रहती हैं. उस समय यदि अधिकांश लोगों ने उनका साथ दिया था, जिसमें मुझ जैसी मोदी भक्त भी सम्मिलित है, उन सभी को अलका लाम्बा की असंस्कारित भाषा से ठेस लगी. ख़ास तौर पर आज जिस तरह से अलका लाम्बा ने पुराना वीडियो ट्विटर पर शेयर किया और लिखा कि
मोदी yogi , मैं तुम्हारे मुंह पर थूकती हूँ, तुम दोनों नपुंसक हो!
– अलका लाम्बा
नपुंसक? यह कैसा शब्द अलका लाम्बा ने प्रयोग किया है? और यह वीडियो इस समय उन्होंने पोस्ट किया जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों ही प्रदेशों से भगाए हुए प्रवासी मजदूरों की हर संभव सहायता कर रहे हैं यहाँ तक कि वह नीति भी बना रहे हैं कि कोई भी मजदूर बाहर न जाए. राज्य उनसे पूछे! वह मजदूरों का डेटाबेस तैयार कर रहे हैं. यह नपुंसक उन नरेंद्र मोदी को कह रही है जो विश्व में कोरोना से निबटने में सबसे सफल नेताओं के रूप में उभर रहे हैं.
यह कांग्रेसी अजीब हैं भाजपा की महिला नेताओं को कभी अश्लील तरीके से टार्गेट करते हैं और महिला नेता भाजपा के पुरुष नेताओं के लिए आपात्तिजनक बोल बोलती हैं, शायद यह कांग्रेस के संस्कार हैं, यही कांग्रेस के संस्कार हैं कि अपने विरोधियों के चरित्र हनन तक पर उतर आओ! मगर इस बार शायद अलका लाम्बा ने गलत तो नहीं कह दिया है, क्योंकि उन पर रिपोर्ट दर्ज कराने की भी बात हो रही है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक तरफ, मगर इस हद तक अश्लील एवं आपत्तिजनक बातें एक तरफ. अब उम्मीद है कि यदि अलका लाम्बा के खिलाफ कोई एफआईआर होती है तो वह महिला होने का रोना नहीं रोएंगी.
शायद अलका जी का व्यक्तिगत अनुभव राहुल गाँधी पर है
ऐसा करके ये स्वयं के लिए अश्लीलता का रास्ता खोल दी