राष्ट्रवादी पत्रकार अर्णब गोस्वामी को एक ऐसे जेल में रखा गया है जहां पर सबसे अधिक दुर्दांत औऱ खूंखार अपराधी रखे जाते हैं। अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के गैंग से लेकर कई छोटे-बड़े अपराधी इस समय तलोजा जेल में बंद है। केंद्र सरकार की चुप्पी और महाराष्ट्र सरकार की बदले की भावना ने एक राष्ट्रवादी पत्रकार को उस जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है ,जहां पर भरत नेपाली गैंग का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल अब्बास खान बंद था।
मटका किंग सुरेश भगत को दिनदहाड़े मौत के घाट उतारने वाले अपराधी भी इसी जेल में रहे हैं। इसी जेल में कुख्यात डॉन अबू सलेम पर जानलेवा हमला भी हुआ था। साल 2012 में सलेम पर हमला किया था एडवोकेट शाहिद के मर्डर का दोषी देवेंद्र जगताप ने। इतना ही नहीं गुलशन कुमार हत्याकांड के आरोपी और डी कंपनी के सदस्य अबू सलेम औऱ अब्दुल कय्यूम भी इसी जेल में रहे ।
महाराष्ट्र के इस सबसे बड़े जेल में 1993 मुंबई बम ब्लास्ट औऱ 26/11 धमाकों के कई आरोपी वर्तमान में कैद हैं। इस जेल में कैदियों के द्वारा फोन इस्तेमाल करने और मौज मस्ती के लिए पार्टी करने के भी अक्सर चर्चे होते रहते हैं। यहां के जेलर को तो खूंखार और दुर्दांत कैदियों का मसीहा माना जाता है जबकि इस जेल को अंडरवर्ल्ड का नया ठिकाना भी कहा जा चुका है।
यहां एक से बढ़कर एख खूंखार क्रिमिनल्स कैद हैं। जबकि तलोजा जेल मुंबई से करीब 50 किलोमीटर दूर नवी मुंबई के सुदूर इलाके में बना है।अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को लेकर उस समय के जेलर हीरालाल जाधव की यह टिप्पणी थी कि वह जेल के अंदर भी ऐशो आराम की जिंदगी जी रहा था। जब उन्होंने उसकी सुविधांए बंद कर दी तो उसने उनकी ही झूठी शिकायत कर दी।
इससे साफ पता चलता है कि किस तरह अपराधियों और जेलर के बीच संबंध रहे हैं हालांकि यह दीगर बात है कि अबू सलेम ने टाडा अदालत को पत्र लिखकर जेल अधीक्षक पर उसे जान से मरवाने की साजिश करने का आरोप लगाया था। दरअसल डॉन अबू सलेम को 11 नवंबर 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यार्पित कर भारत लाया गया था। पहले उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद रखा गया था।
लेकिन, वहां 1993 धमाकों के आरोपी मुस्तफा डोसा ने उसकी पिटाई कर दी। उसके बाद से सलेम को तलोजा जेल में रखा गया । वहां भी उस पर गोली चलाकर मारने की कोशिश हो चुकी है। इसलिए उसे तलोजा जेल के अति सुरक्षा वार्ड क्रमांक 4 में रखा गया ।नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम पर जब हमला हुआ। तब उसके हाथ में दो गोलियां लगी थीं।
सलेम को गोली मारने का आरोप जेल में ही बंद देवेंद्र जगताप पर है। उसने हमले के लिए देसी कट्टे का इस्तेमाल किया और वह उसे पैर में बांधकर जेल के अंदर ले गया था। इस घटना से यह भी खुलासा हुआ कि किस तरह जेल कर्मियों और अपराधियों के बीच तलोजा जेल में मिलीभगत होती है। इसी वजह से पुलिस वाहन से तलोजा जेल भेजे जाने के दौरान अर्नब ने चिल्लाकर कहा कि शनिवार शाम अलीबाग के जेलर ने उन पर हमला किया।
उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी खतरे में है और उन्हें उनके वकील से भी बात करने नहीं दिया जा रहा है। उनके मामले में केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए लेकिन केंद्र सरकार की चुप्पी भारतीय जनमानस को समझ नहीं आ रही है ।अर्नब गोस्वामी की जान की खतरा को देखते हुए उनकी पत्नी सम्यब्रत राय गोस्वामी ने भी चिंता जाहिर करते हुए एक बयान जारी कर कहा कि उनके पति कई रातें न्यायिक हिरासत में गुजार चुके हैं।
उनको तलोजा जेल ले जाते समय पुलिस द्वारा घसीटा गया। वे बार-बार कह रहे थे कि उनकी जान खतरे में है। लेकिन, किसी ने ध्यान नहीं दिया। उनकी जान को खतरा को देखते हुए रिपब्लिक टीवी ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि अर्नब गोस्वामी को तलोजा जेल में ‘खतरनाक’ अपराधियों एवं ‘अंडरवर्ल्ड’ के साथ रखे जाने के कदम का संज्ञान लिया जाए और उन्हें ‘सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
प्रदीप भंडारी ने सीजेआई को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि गोस्वामी को ‘गलत बहाने’ से जेल में स्थानांतरित किया गया है और उन्हें तलोजा जेल में ‘खतरनाक’ अपराधियों और ‘अंडरवर्ल्ड’ के साथ रखा जाएगा। इस बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस मामले में दखल दिया है और राज्य सरकार के समक्ष चिंता का इजहार किया।
राज्यपाल ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख से बात की और जेल में अर्नब की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर अपनी चिंता जताई जबकि यह भी कहा कि परिवार को अर्नब से मिलने की इजाजत दी जाए। उधर ,अरनव गोस्वामी को जमानत देने को लेकर आज सुनवाई होगी।
इससे पहले न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नीतीश सरदा की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि ‘मौजूदा मामले में उच्च न्यायालय द्वारा असाधारण अधिकार क्षेत्र के प्रयोग किए जाने का कोई मामला नहीं बनता है। अदालत ने सोमवार को अपने आदेश में कहा कि याचिका दायर करने वालों के पास संबंधित सत्र अदालत से जमानत पाने का प्रभावी तरीका है और हम पहले ही कह चुके हैं कि अगर ऐसी कोई जमानत याचिका दायर होती है तो सत्र अदालत उस पर 4 दिनों के भीतर फैसला करे।
हाईकोर्ट के पीठ ने कहा कि अंतरिम जमानत याचिका खारिज होने से याचिका कर्ता के समक्ष नियमित जमानत पाने का जो विकल्प है वह प्रभावित नहीं होगा जबकि सत्र अदालत अर्जी पर गुण-दोष के आधार पर सुनवाई कर अपना फैसला देगी।