प्रो रामेश्वर मिश्र पंकज-
आर्य समाज के अधिकांश लोगों को स्वामी दयानंद सरस्वती जी पर अतिशय श्रद्धा है ।यह स्वाभाविक है ।
पर इसके साथ अन्य गुरुओं पर उन्हें गहरी अश्रद्धा है।
इसी के कारण स्वामी दयानंद जी के प्रति श्रद्धा रखते हुए भी वे हिंदू समाज के किसी काम के नहीं रह जाते। वे हिंदुओं के वैसे ही विरोधी बने रहते हैं जैसे मुसलमान या ईसाई लोग।
यह बात भगवा ध्वज या शंकाराचार्य जी आदि को गुरु मानने वालों में भी घटित हो सकती है। अतः सावधानी रहनी चाहिए।
गुरु केवल आत्मज्ञान का मार्ग दिखाते हैं। सामाजिक व्यवहार का मार्ग धर्मशास्त्र और परंपराएं दिखाती हैं।आपके गुरु यदि आपको अपने पंथ के सिवाय शेष समाज से दूरी या जुगुप्सा सिखाते हैं तो आप भटक रहे हैं।