आईएसडी नेटवर्क। चार धाम राजमार्ग परियोजना पर सुरंग निर्माण करने के लिए स्थानीय देवता बौखनाग देवता का पवित्र मंदिर तोड़ दिया गया था। इसके कुछ समय बाद अचानक सुरंग ढह जाने के कारण चालीस श्रमिक अंदर फंस गए। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सुरंग ढहने का कारण देवता का प्रकोप है। दीपावली के एक दिन बाद 11 नवंबर को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा और डंडालगांव के बीच निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था।
हादसा होने के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि सुरंग ढहने के पीछे स्थानीय देवता बाबा बौखनाग का प्रकोप है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चारधाम ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट का काम किया जा रहा था, इसी के लिए सुरंग बनाई जा रही थी। सुरंग बनाते समय बाबा बौखनाग का अति प्राचीन मंदिर ध्वस्त हो गया। इस मंदिर को लेकर स्थानीय नागरिकों की आस्था को ठेस पहुंची है। सुरंग का काम शुरु होने के कुछ दिन बाद यानि दीपावली के दूसरे दिन सुरंग धंस गई और अंदर चालीस मजदूर फंस गए।
ग्रामीणों का मानना है कि जब तक देवता को शांत नहीं किया जाता, बचाव अभियान सफल नहीं हो सकेंगे। इस बात को समझ कर बचाव अभियान के सातवें दिन धंसी हुई सुरंग के बाहर एक मंदिर स्थापित किया गया है। इस मंदिर में लगातार पूजा की जा रही है ताकि सुरंग में फंसे मजदूरों की जान बचाई जा सके। राज्य प्रशासन ने स्थानीय लोगों के विरोध और आपत्तियों के बावजूद चार धाम राजमार्ग परियोजना पर सुरंग का निर्माण करने के लिए क्षेत्र के संरक्षक देवता के रूप में पूजे जाने वाले मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि कार्य शुरु होने से पूर्व स्थानीय लोगों द्वारा लगातार मंदिर को तोड़ने पर आपत्ति ली जा रही थी। वास्तविकता ये है कि प्रशासन से अधिक स्थानीय लोगों को फंसे हुए मजदूरों की चिंता है। यहाँ अस्थायी मंदिर मजदूरों के प्राण बचाने के लिए ही बनाया गया है। विगत सात दिन से सुरंग में फंसे 40 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है लेकिन सफलता नहीं मिल सकी है। मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने में मदद के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ प्रो. अर्नोल्ड डिक्स से संपर्क किया गया है