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India Speaks Daily > Blog > समाचार > देश-विदेश > बेतुके मीडिया की हेडलाइन पढ़कर सोशल मीडिया पर शोर मत मचाइये कि मोदी सरकार ने चीन को बैंक खोलने की अनुमति देकर देश का सौदा कर दिया है।
देश-विदेश

बेतुके मीडिया की हेडलाइन पढ़कर सोशल मीडिया पर शोर मत मचाइये कि मोदी सरकार ने चीन को बैंक खोलने की अनुमति देकर देश का सौदा कर दिया है।

ISD News Network
Last updated: 2018/07/07 at 12:38 PM
By ISD News Network 853 Views 9 Min Read
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9 Min Read
Bank of China (File Photo)
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सुमंत विद्वांस। ब्रिटेन के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की 100 शाखाएं भारत में हैं। अमरीका के सिटीबैंक की 35, हांगकांग के एचएसबीसी की 26, जर्मनी के ड्यूश बैंक की 17, सिंगापुर के डीबीएस बैंक की 12, द.कोरिया के 4 बैंकों की 11 और दुनिया के कई अन्य देशों के कई बैंकों की कुल मिलाकर 286 शाखाएं भारत में हैं। इनमें ताइवान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, फ्रांस, कनाडा, बांग्लादेश, बहरीन, जापान, मॉरीशस, स्विट्जरलैंड, नीदरलैंड्स, क़तर, रूस, द. अफ्रीका, यूएई, श्रीलंका जैसे कई देशों की बैंकें हैं। जितने लोग आज अचानक भेड़चाल की तरह चीनी बैंक के नाम से हंगामा कर रहे हैं, वे अब तक कहाँ थे?

अगर चिंता चीन को लेकर है, तो आज ही अचानक क्यों चिंता हुई, जबकि चीन के ही इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्स बैंक को भारत में पहले ही अनुमति मिली हुई है। फिर अब बैंक ऑफ़ चाइना की शाखा से क्या कष्ट है?

दुनिया के कई देशों में भारतीय बैंकों की भी कई शाखाएं हैं। सभी भारतीय बैंकों की कुल मिलाकर 185 शाखाएं दुनिया के विभिन्न देशों में हैं, जिनमें एसबीआई की 52, बैंक ऑफ़ बड़ौदा की 50, बैंक ऑफ़ इंडिया की 29, आईसीआईसीआई बैंक की 12 और बाकी अन्य बैंकों की हैं, जिनमें पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, एचडीएफसी बैंक, कैनरा बैंक, यूको बैंक आदि कई भारतीय बैंक हैं।

एक देश की बैंक अगर दूसरे देश में अपनी शाखा खोल ले, तो इसका ये मतलब नहीं होता है कि वह बैंक उस देश का सारा पैसा लूट ले जाएगी!

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मैं 2016 में सिंगापुर में रहने गया था। उसके 2 महीनों बाद ही मुझे आयरलैंड जाने के लिए वीज़ा बनवाने की ज़रूरत पड़ी। वीज़ा के आवेदन पत्र के साथ मुझे पिछले एक साल का बैंक स्टेटमेंट भी देना था। लेकिन मुझे तो सिंगापुर में 2 ही महीने हुए थे, तो मैं 1 साल का स्टेटमेंट कैसे दूँ? इसका एक ही उपाय था कि मैं अपने भारतीय बैंक खाते का स्टेटमेंट जमा करवाऊं। लेकिन आयरलैंड वीज़ा कार्यालय से जानकारी मिली कि वे इंटरनेट बैंकिंग का प्रिंटआउट वाला स्टेटमेंट स्वीकार नहीं करेंगे, उस पर बैंक की सील भी होनी चाहिए। तो क्या मैं कागज़ पर सिर्फ एक ठप्पा लगवाने के लिए भारत तक जाऊँ? नहीं! भारत में मेरा बैंक खाता आईसीआईसीआई बैंक में था। उसी बैंक की एक शाखा सिंगापुर में भी है। मैं सिंगापुर में उस बैंक में गया और मुझे स्टेटमेंट मिल गया। अगर वहाँ भारतीय बैंक न होता, तो मैं क्या करता?

आगे कुछ महीनों बाद मुझे भारत के अपने एसबीआई खाते में पैसे भेजने थे। संयोग से एसबीआई की भी एक शाखा वहाँ थी। इसलिए बहुत आसानी से मेरा काम हो गया। जब वहां मुझे बैंक खाता खुलवाना पड़ा, तो ब्रिटेन का स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक काम आया। अब यहाँ अमरीका के जिस फ्रीमोंट शहर में मैं रहता हूँ, भारतीय स्टेट बैंक की एक ब्रांच यहाँ भी है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अमरीका की सारी दौलत इस ब्रांच के माध्यम से भारत पहुँच रही है!

बेशक इन बैंकों की दुनिया भर में अपनी ये शाखाएं सिर्फ मेरे जैसे आम लोगों के बैंक स्टेटमेंट पर सील लगाने या मेरे पैसे भारत पहुँचाने के लिए नहीं खोली हैं। लेकिन मैंने ये सरल उदाहरण आपको इसलिए दिए, ताकि आपको बात समझने में आसानी हो। मैं चाहता तो इधर-उधर से ढूँढकर अर्थशास्त्र की बड़ी-बड़ी शब्दावली में कुछ बड़ी बातें लिख देता, और आप भी मुझ पर भरोसा करके बात मान लेते, लेकिन न वो शब्दावली मेरी समझ में आती है और न आप में से अधिकतर लोगों के पल्ले पड़ती। इसलिए मैंने सरल शब्दों में बात कही।

ये बैंकें दूसरे देशों में जाती हैं क्योंकि अब हर देश की कंपनियां दूसरे देशों में व्यापार कर रही हैं। इन कम्पनियों को कभी कर्ज की ज़रूरत होगी, कभी लेटर ऑफ क्रेडिट चाहिए होगा, तो कभी कोई और ज़रूरत पड़ेगी। ये बैंकें ऐसी चीज़ों में काम आएंगी।

और बैंक खोलना कोई नकली सीडी बेचने जैसा काम नहीं है। उसके लिए लंबी प्रक्रिया है। कम से कम ५०० करोड़ की धनराशि की ज़रूरत है, और भी पचासों तरह की शर्तें और नियम हैं। आजकल आतंकवादी गतिविधियों में अवैध धन में दुरुपयोग के कारण जाँच-पड़ताल भी और कड़ी हो गई है। इस चीनी बैंक के मामले में भी यह संशय था कि आतंकी संगठन हमास को इस बैंक से आर्थिक सहायता मिलती है। इसलिए पिछले ३ वर्षों से भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने इस बैंक को सिक्युरिटी क्लीयरेंस नहीं दिया था। अंततः इस साल जून में जाँच पूरी होने के बाद हरी झंडी दी गई। ईरान और मलेशिया के बैंकों के आवेदन भी रिज़र्व बैंक के पास आए थे, लेकिन अभी उन्हें अनुमति नहीं दी गई है। इसलिए कृपया इस गलतफहमी में मत रहिये कि मोदीजी एक समिट के लिए चीन गए और बिना सोचे-समझे बैंक खोलने की सहमति देकर आ गए। यह सब कई सालों की जांच-पड़ताल और प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही हो रहा है।

दूसरी बात यह भी समझने की है कि रिज़र्व बैंक अन्य विदेशी बैंकों को दो तरह से अनुमति देता है। इनमें से एक तरीका “ब्रांच रुट” और दूसरा “सब्सिडियरी रूट” है। सब्सिडियरी रूट का मतलब ये है कि विदेशी बैंक भारत में एक नई कंपनी बनाए और फिर उसके माध्यम से अपनी शाखाएं खोले। उस विकल्प से बैंकों को अधिक सुविधा मिलती है क्योंकि एक बार अनुमति मिल जाने पर बैंक किसी भी शहर में कितनी भी शाखाएं खोल सकता है।

लेकिन इन चीनी बैंकों को ब्रांच रूट से अनुमति मिली है। ब्रांच रूट का मतलब है कि विदेशी बैंक को केवल एक ब्रांच खोलने की अनुमति मिलेगी और कोई भी नई ब्रांच खोलने के लिए उसे हर बार रिज़र्व बैंक से अनुमति लेनी पड़ेगी। अभी बैंक ऑफ़ चाइना को भी केवल मुंबई में ही एक ब्रांच खोलने की अनुमति दी गई है। वह बैंक फिलहाल भारत के किसी और शहर में ब्रांच नहीं खोल सकता।

एक और बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि लाइसेंस मिलने का मतलब ये नहीं है कि रातों-रात बैंक की उस शाखा में काम शुरू हो जाएगा। अभी केवल सैद्धांतिक अनुमति दी गई है। इसका मतलब है कि आरबीआई ने अब सहमति दे दी है कि वह बैंक मुम्बई में अपनी शाखा खोलने के लिए अब आवेदन कर सकता है। इसके आगे अभी आवेदन और स्वीकृति के कई चरण बाकी हैं। यह पूरी प्रक्रिया पार करने में अभी कई महीनों का समय लगेगा।

खुद चीनी राजदूत ने भी अपने ट्वीट में बैंक को बधाई देते हुए यही लिखा है कि अब कुछ महीनों बाद भारत में बैंक की एक शाखा खुल जाएगी।

इतनी जटिल प्रक्रिया को कृपया इतना सरल मत समझिए, जैसे मोदी सरकार ने चीनियों को थाल में सजाकर रेवड़ी बांट दी हो। लंबी-चौड़ी प्रक्रिया के बाद ही सब-कुछ हो रहा है। और कृपया भारत के बेतुके मीडिया की हेडलाइन पढ़कर पूरी जानकारी के बिना सोशल मीडिया पर शोर मत मचाइये कि सरकार ने देश का सौदा कर दिया है। ऐसी अधूरी जानकारी का ढोल पीटने से आपकी विश्वसनीयता को ही नुकसान पहुंचता है। सादर!

साभार: सुमंत विद्वांस के फेसबुक वाल से

URL: Bank of China gets RBI licence to open branch in India

keywords: RBI, modi government, Bank of China, bank of china branch, india, People’s Bank of China, आरबीआई, बैंक ऑफ चाइना, चीनी बैंक, भारत, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना, मोदी सरकार

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TAGGED: India- China relation, Modi government, RBI
ISD News Network July 7, 2018
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