बॉलीवुड में मचे हुए तांडव के बीच सबसे बड़ी ख़बर ये है कि प्रभास के साथ मेगाबजट फिल्म ‘आदिपुरुष’ से दीपिका पादुकोण को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। ‘राधे-श्याम’ के बाद ये दूसरी मेगा बजट फिल्म है, जिसमे अब दीपिका काम नहीं करेंगी। उधर शुक्रवार प्रदर्शित हुई जान्हवी कपूर और राजकुमार राव अभिनीत ‘रुही’ की ओपनिंग ने फिल्म निर्माताओं को बुखार ला दिया है। पहले दिन रुही महज 3.5 करोड़ का कलेक्शन ही कर सकी। रुही की असफलता और दीपिका पादुकोण का कद घटना संकेत दे रहा है कि कोविड तो समाप्ति की ओर है लेकिन बॉलीवुड की समस्याओं का कोरोना जाने को तैयार नहीं दिखता।
लॉकडाउन के बाद बॉलीवुड की सबसे बड़ी ओपनिंग ‘रुही’ फिल्म ने लगाई है। शुक्रवार को इस फिल्म ने महज 3.5 करोड़ का कलेक्शन किया है। एक समय था जब बॉलीवुड की फ़िल्में एक दिन में पचास करोड़ से अधिक की ओपनिंग लेती थी। आज इतनी भी न बची मयख़ाने में, जितनी छोड़ दिया करते थे पैमाने में वाला हाल हो गया है।
इस बीच ये समाचार आया कि ‘पाताल लोक सीजन-2 और फैमिली मैन के दूसरे सीजन की रिलीज टाल दी गई है। वरिष्ठ पत्रकार उज्ज्वल त्रिवेदी इसे प्रकाश जावड़ेकर द्वारा लाए गए कमज़ोर दिशा-निर्देशों का असर बता रहे हैं। यदि असर होता तो ऑल्ट बालाजी और हाल ही में नेटफ्लिक्स पर ‘बॉम्बे बेगम्स’ की रिलीज भी टाल दी जाती।
यदि इन दोनों वेब सीरीज की रिलीज टाली जा रही है तो उसका कारण दर्शकों का गुस्सा है। जान्हवी कपूर की ‘रुही’ का थियेटर में ये हाल रहा कि एक ऑडी में बमुश्किल तीन से चार दर्शक मौजूद रहे। माउथ पब्लिसिटी भी नकारात्मक है क्योंकि फिल्म बेहद लचर है। तो रुही के भरोसे एक अच्छी शुरुआत करने का बॉलीवुड का सपना चकनाचूर हो गया।
हिन्दी फिल्म उद्योग एक ऐसी संकरी गली में फंसा है, जहाँ से निकल पाना उसके लिए मुश्किल का मैदान है। अगले सप्ताह अवश्य बॉलीवुड थोड़ी उम्मीद कर सकता है। अगले सप्ताह ‘मुंबई सागा’ प्रदर्शित हो रही है। जॉन अब्राहम का इस फिल्म में दमदार किरदार है। ये फिल्म अवश्य बॉलीवुड को थोड़ी-बहुत राहत देगी। बारीकी से देखे तो यहाँ नेपोटिज्म का एंगल काम कर रहा है।
जान्हवी कपूर प्रतिभाशाली हैं, लेकिन उनके माथे पर स्टार किड का स्टिकर चिपका हुआ है। ‘रुही’ एक बुरी फिल्म थी, ये माउथ पब्लिसिटी से ज्ञात हुआ लेकिन उसे देखने कम लोग पहुंचे, ये नेपोटिज्म का विरोध था। हिन्दी फिल्म उद्योग ने कोरोना के बाद बड़ी आशा से फ़िल्में प्रदर्शित करना शुरू किया था लेकिन उसकी आशाओं पर दर्शक ने तुषारापात कर दिया। हम नहीं जानते कि दर्शक कब तक हिन्दी फिल्मों से रुठा रहेगा।
हालांकि ये अवश्य कहा जा सकता है कि कम लागत में ‘बी टाउन’ फ़िल्में बनाने वाले निर्माता-निर्देशकों को अब भी दर्शकों का प्यार मिल सकता है। छोटे निर्माता-निर्देशक ही बॉलीवुड की पुनर्स्थापना कर सकते हैं क्योंकि पूर्व का बॉलीवुड तो ध्वस्त हो चुका है।