अर्चना कुमारी। भारत सरकार की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी करने वालों की संख्या बढ़ रही है। पुलिस का कहना है कि इस मामले को लेकर चार लोगों को नोएडा, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना से पकड़ा गया ।आरोपियों की पहचान ग्रेटर नोएडा निवासी अमित खोसा (47), नोएडा निवासी कनव कपूर (27) तेलंगाना निवासी बिनॉय सरकार और शंकर मंडल के रूप में हुई है।
पता चला है कि पकड़े गए आरोपियों में कनव बीटेक इंजीनियर है जबकि अमित खोसा कॉमर्स ग्रेजुएट है। वहीं शंकर एमबीए पास है तो बिनॉय ने एचआरएम किया हुआ है। दिल्ली पुलिस का दावा है कि यह गैंग ने जीवन प्रमाण पत्र बनाने के लिए सरकारी वेबसाइट jeevanpramaan.gov.in से मिलती जुलती वेबसाइट jeevanpraman.online बनाकर धोखाधड़ी रैकेट को चला रहा था।
इनके बैंक खातों की डिटेल से 1900 लोगों के ठगे जाने की शिकायत मिली है। पुलिस ने आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, 10 मोबाइल फोन, सिमकार्ड, एटीएम व अन्य सामान बरामद किया है। पुलिस अपील की है कि वह इस तरह के लोगों के झांसे में ना आए नहीं तो उन्हें भी ठगी का शिकार इस तरह का गिरोह बना सकता है। सूत्रों का दावा है कि नेशनल इंफॉर्मेटिक सेंटर की ओर से साइबर सेल को शिकायत मिली थी। शिकायत में बताया गया था कि कुछ लोगों ने जीवन प्रमाण पत्र बनाने के लिए फर्जी सरकारी वेबसाइट बनाई हुई है।
उसमें ज्यादातर जानकारी असली वेबसाइट से मिलती जुलती है। आरोपी इसका फायदा उठाकर लोगों से ठगी कर रहे हैं।आईएफएसओ यूनिट ने इस संबंध में मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की और इस रैकेट का पर्दाफाश किया। पता चला कि आरोपी पीड़िताें से वेबसाइट पर एक फॉर्म भरवाकर 199 रुपये वसूलते हैं। इसके बाद न तो पीड़ितों को जीवन प्रमाण पत्र मिलता है और न ही रुपये वापस होते हैं।
जांच में पता चला कि पेंशन भोगियों को सेवानिवृत्ति के बाद बैंक या पोस्ट ऑफिस में अपना जीवन प्रमाण-पत्र जमा कराना पड़ता है, जिसके बाद ही उन्हें पेंशन दी जाती है। 10 नवंबर 2014 को भारत सरकार ने जीवन प्रमाण पत्र के लिए बायोमेट्रिक डिजिटल सर्विस शुरू की। इसके तहत ऑन लाइन जीवन प्रमाण पत्र के लिए अप्लाई कर उसे प्राप्त किया जा सकता है। आरोपियों ने इसका फायदा उठाकर सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर ठगी शुरू की। आरोपी कनव कपूर और अमित खोसा ने बताया कि वह दोनों इस पूरी साजिश के मास्टर माइंड हैं।
कनव ने फर्जी वेबसाइट बनाई । इंजीनियर होने के साथ कनव वेब डवलपर भी है। कनव को ठगी की रकम का 50 फीसदी हिस्सा मिलता था जबकि अमित खोसा इसमें 35 फीसदी का हिस्सेदार था। बिनॉय शंकर मंडल के जरिये दोनों को बैंक अकाउंट उपलब्ध करवाता का, जिसमें ठगी रकम आती थी। उसके बदले बिनॉय को पांच फीसदी हिस्सा मिलता था। शंकर अकाउंट उपलब्ध करवाने के बदले 10 फीसदी हिस्सा लेता था।