संदीप देव। भारत के माननीय पुरुष न्यायाधीश सेनेटरी पैड पहनकर यदि अदालत जाना चाहते हैं तो कौन रोक सकता है? वो चाहें तो महिलाओं के लिए निर्धारित शौचालय का इस्तेमाल भी अपनी सोच से कर सकते हैं, उन्हें कोई नहीं रोकेगा! परंतु भारत का सभ्य समाज अमेरिकी यौन-विकृति को स्वीकार नहीं कर सकता!
आखिर अमेरिकी woke आंदोलन यही तो है, जिसमें स्त्री-पुरुष की पहचान को खुरच कर मिटाने और Same S&X की विकृत मानसिकता को बढ़ाने व भारत के परिवार व्यवस्था को ध्वस्त करने का खेल खेला जा रहा है।
अप्राकृतिक यौनाचार को पहले कानून बना कर अपराध से बाहर किया गया और अब गे-लेस्बियन मैरिज कराने पर षड्यंत्र किया जा रहा है ताकि भारत यूरोपीयन-अमेरिकन के लिए सेक्स स्लेव सप्लायर देश बन जाए!
पढ़िए राजीव मल्होत्रा के Snakes in Ganga ताकि आपको पता चले कि लड़का-लड़का और लड़की-लड़की की शादी कराने के लिए मी-लॉर्ड पोप बनने पर क्यों आमदा हैं?
हार्बर्ड की थ्योरी भारत में थोपने की जिद पाले बैठे भारत के कर्णधारों सुन लो, यह भारत है जिसे मिटाने की इच्छा लिए न जाने कितने लोग आए और चले गये, लेकिन सनातन भारत बना हुआ है, आगे भी बना रहेगा!
sandeepdeo
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