आईएसडी नेटवर्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बढ़ती हुई क्षमता ने हॉलीवुड में चिंता पैदा कर दी है। एआई के उदय से कलाकारों, लेखकों और स्टूडियो के सामने वास्तविक और फेक का संकट उत्पन्न हो गया है। स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड-अमेरिकन फेडरेशन ऑफ टेलीविज़न एंड रेडियो आर्टिस्ट्स ने हॉलीवुड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते व्यावसायिक उपयोग पर चिंता जाहिर की है।
विगत पांच वर्ष में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक में बड़ी तरक्की हुई है। इसकी मदद से बनाए जाने वाले वीडियोज अब और अधिक वास्तविक दिखाई देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस तकनीक की मदद से दुनिया की बड़ी हस्तियों के डीप फेक वीडियोज बनाए जा चुके हैं। इनमे टॉम क्रूज, पुतिन, मॉर्गन फ्रीमैन, बराक ओबामा, कियानू रीव्ज़ जैसी हस्तियां शामिल हैं।
हॉलीवुड का सबसे बड़ा संघ इस सप्ताह स्टूडियोज के साथ अनुबंध वार्ता में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग में भुगतान पर चर्चा शुरू करेगा, जिसमें बहस होगी कि मानव कलाकारों को उनके “डिजिटल डबल्स” के काम के लिए कैसे पारिश्रमिक दिया जाना चाहिए। हॉलीवुड में इस बात पर ज़ोर दिया जा रहा है कि यदि किसी फिल्म या विज्ञापन में किसी अभिनेता के ‘डिजिटल डबल’ का प्रयोग किया जाता है तो, मूल मानव कलाकार को भी मुआवजा मिलना चाहिए।
एआई की विघटनकारी क्षमता के बारे में चिंताओं ने हॉलीवुड की प्रतिभाओं को झकझोर कर रख दिया है। हॉलीवुड का सोचना है कि इस तकनीक के चलते पटकथा लेखकों, वाइस आर्टिस्ट और अन्य लोगों के लिए नौकरियों का संकट हो सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते प्रभाव के कारण अभिनेताओं को भी अपनी इमेज पर नियंत्रण खो देने की आशंकाएं बन गई हैं।
SAG-AFTRA एक्टर्स यूनियन के मुख्य वार्ताकार डंकन क्रैबट्री-आयरलैंड के अनुसार ‘पिछले 18 माह में जनरेटिव AI तकनीक में तेजी से प्रगति हुई है और ये हमें बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।’ राइटर्स गिल्ड ऑफ अमेरिका और एसएजी-एएफटीआरए आगामी 30 जून तक हड़ताल पर उतर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि एआई जनरेटेड वीडियोज का व्यावसायिक उपयोग किया जाता है लेकिन इस कमाई से मूल कलाकार को कोई आर्थिक लाभ नहीं होता। यही कारण है कि एआई के उपयोग को लेकर हॉलीवुड में संघर्ष की स्थिति बन गई है।