सिविल सेवा परीक्षा में दिल्ली पुलिस परिवार के बेटे-बेटियों ने कमाल कर दिया। इस परिवार से एक या दो नहीं कुल 6 लोग चयनित हुए। इनमें दो प्रशिक्षु महिला एसीपी है। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह कि एक सिपाही ने ड्यूटी करते हुए इस परीक्षा में सफलता हासिल की है।
इसके अलावा दो इंस्पेक्टर के बेटे-बेटी तथा असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर की बेटियों ने भी सफलता का परचम लहराया है। भारत के सबसे बड़े परीक्षा माने जाने वाले सिविल सेवा में इस बार दिल्ली पुलिस परिवार के छह अभ्यर्थियों का चयन होने पर पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने उन लोगों को अपने ऑफिस बुलाकर मुलाकात की। उन्होंने सफल अभ्यर्थियों को बधाई दिया।
कहते हैं ना अथक मेहनत से कोई भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है। यही सपना साकार किया है सिविल सेवा परीक्षा में छठी रैंक पर आई विशाखा यादव ने। उनके पिता राजकुमार द्वारका जिले में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। विशाखा का यह तीसरा प्रयास था। पहले दो प्रयासों में वह प्रारंभिक सफलता भी हासिल नहीं कर पाई थी। इस परीक्षा परिणाम के बाद जहां पिता फुले नहीं समा रहे हैं , वहीं विशाखा यादव ने इस उपलब्धि के लिए अपने परिजनों समेत अथक मेहनत को इसका श्रेय दिया है।
मिसाइल मैन अब्दुल कलाम को अपना आदर्श बताने वाली विशाखा यादव उत्तर प्रदेश के मथुरा की रहने वाली हैं और उन्होंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनिरिंग से बीटेक किए जाने के बाद बेंगलुरु में दो साल तक नौकरी की। इसके बाद उन्हें सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का ख्याल आया और पिछले 4 साल से वह प्रयासरत थी।
जब संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सर्विसेज फाइनल परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो उसमें नाम विशाखा यादव का भी था। विशाखा छठे नंबर पर आई और उनके पिता को खुशी का ठिकाना नहीं है । उसके पिता राजकुमार द्वारका जिला पुलिस मुख्यालय में एएसआई के पद पर कार्यरत हैं। राजकुमार बताते हैं कि जैसे ही रिजल्ट के बारे में सूचना मिली उन्होंने इस बारे में पता किया। करीब 829 सफल लोगों में उनकी बेटी ने जो छठी रैंक हासिल की है, यह उसकी अपनी अथक मेहनत का परिणाम है ।
राजकुमार का परिवार द्वारका जिला के किरण गार्डन में रहता है। उनके परिवार के एक-एक सदस्य विशाखा के रिजल्ट को लेकर काफी खुश है। विशाखा यादव का कहना है कि उन्होंने दो बार प्रीलिम्स एग्जाम में असफलता पाने के बाद भी अपनी मेहनत और जज्बे को कायम रखा, जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में यह मुकाम हासिल किया।
दिल्ली पुलिस में तैनात राजकुमार की बेटी ने ही इस सिविल सर्विसेज परीक्षा में अपना स्थान नहीं बनाया, बल्कि विजिलेंस विभाग में तैनात इस्पेक्टर सुखदेव सिंह मान की बेटी नवनीत मान ने भी इस परीक्षा में 33 वी रैंक लाकर गौरवान्वित किया है । नवनीत मान की साल 2017 में 501वीं रैंक थी।
इससे इन्हें इंडियन डिफेंस अकाउंट्स सर्विस डिपार्टमेंट मिला था लेकिन वो आईएएस बनने के लिए साथ-साथ तैयारी कर रही थीं।
खुद नवनीत मान और उनके पिता सुखदेव सिंह इस रिजल्ट को सुनकर काफी खुश है । इसी तरह दिल्ली पुलिस परिवार के नताशा माथुर को भी यह सफलता हाथ लगी है। नताशा दिल्ली पुलिस की प्रशिक्षु एसीपी है और उसकी ट्रेनिंग झरोदा कलां में चल रही है। प्रशिक्षु एसीपी नताशा माथुर को 37वीं रैंक मिली है। नताशा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से साल 2015 में पॉलिटिकल साइन्स ऑनर्स की पढ़ाई की थी जबकि इसके बाद आर्ट्स फैकल्टी से इसी विषय से एम ए किया। साल 2016 में उन्होंने परीक्षा दी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने SSC- CGL की परीक्षा दी। इसमें पास हुईं और उन्हें कस्टम एंड रेवेन्यू सेवा में पोस्टिंग मिली। लेकिन इन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी बंद नहीं की और साल 2018 में इनकी 351 रैंक आई। इस बीच उनका चयन एसीपी के तौर पर दिल्ली पुलिस के लिए हो गया। इसके बावजूद वह सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण होने में जुटी रही और आखिरकार उसका सपना पूरा हो गया।
एक और प्रशिक्षु एसीपी के पद पर तैनात गरिमा को सिविल सेवा परीक्षा में 459 वां रैंक मिला है। इसके पिता श्री कृष्ण मॉडल टाउन स्थित पुलिस कंट्रोल रूम में बतौर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर तैनात है और वह भी बेटी को मिली सफलता को पाकर फूले नहीं समा रहे हैं। नताशा की तरह गरिमा भी ट्रेनिंग ले रही है और उसका कहना है वह काफी खुश है। हरियाणा के सोनीपत के सिसाना गांव की गरिमा रहने वाली हैं और उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में स्नातक किया है।
दिल्ली पुलिस परिवार से एक सिपाही ऐसा भी है जो अब अफसर बन गया है। फिरोज़ आलम दिल्ली पुलिस में सिपाही है और पीसीआर में तैनात है। उन्होंने नौकरी के साथ-साथ सिविल सेवा की तैयारी की और इसमें उन्हें सफलता भी हाथ लगी।
फिरोज मूलरूप से हापुड़ के पिलखुआ के रहने वाले हैं और 10 भाई बहनों में सातवें नंबर पर हैं। उन्होंने 12वीं मारवाड़ इंटर कॉलेज से और राणा डिग्री कॉलेज से स्नातक कर रखा है। उनकी दिल्ली पुलिस में नियुक्ति करीब 10 साल पहले बतौर सिपाही हुई थी। वह बताते हैं कि पांच बार उन्होंने परीक्षा दिया लेकिन सफलता अंतिम प्रयास में मिली।
एक और सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले गौरव कुमार के पिता दिवंगत वीके सिंह बहुत दिनों तक दिल्ली पुलिस की सेवा की और वह सदर बाजार के अतिरिक्त थानाध्यक्ष थे । उनके बेटे को इस परीक्षा में 475 रैंक हासिल हुआ है ।
गौरतलब हो कि 4 अगस्त, 2020 संघ लोक सेवा आयोग ने 2019 की सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट जारी किया था। आयोग की तरफ से कुल 829 सफल कैंडिडेट की लिस्ट जारी की गई है. इसमें जनरल कैटगरी के 304, EWS के 78, OBC के 251, SC के 129 और ST के 67 कैंडिडेट शामिल हैं।