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India Speaks Daily > Blog > मीडिया > क्या किसी महिला पर हुए अत्याचार का विरोध करने के लिए उसकी श्रेणी देखनी पड़ती है?
मीडिया

क्या किसी महिला पर हुए अत्याचार का विरोध करने के लिए उसकी श्रेणी देखनी पड़ती है?

Vipul Rege
Last updated: 2020/09/15 at 1:56 PM
By Vipul Rege 30 Views 5 Min Read
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5 Min Read
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जया बच्चन का स्वभाव ऐसा है कि वे गलत बात कभी स्वीकार नहीं करतीं। एक बार वे अमिताभ बच्चन की फिल्म की स्क्रीनिंग छोड़कर चली गईं थीं। उनको अपने पति अमिताभ बच्चन की फिल्मों का श्रेष्ठ आलोचक कहा जाता है। एक बार वे मनीष मल्होत्रा के घर के बाहर जमा प्रेस फोटोग्राफर्स पर भड़क गई क्योंकि घर में किसी का निधन हुआ था और फोटोग्राफर्स क्लिक पर क्लिक किये जा रहे थे। कुछ गलत होते देख उनके भीतर की क्रांतिकारी महिला जाग पड़ती है।

The way bollywood people are defending drugs shows what a dark place Bollywood has become! pic.twitter.com/Ypoa9jsIeK

— Political Kida (@PoliticalKida) September 15, 2020

वे संसद में निर्भया मुद्दे पे गरजती हैं, जो कि एक जागरूक वरिष्ठ कलाकार का बेहतरीन मूव कहा जाएगा। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि को भी ये सूट करता है कि वे ऐसे मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से अपनी राय रखें। वे आज फिर गरजी हैं। आज उनकी पीड़ा फिल्म उद्योग के अपयश को लेकर व्यक्त हो रही है। जया जी हमेशा ध्यान रखती हैं कि उनके बोलने का विपरीत प्रभाव उनके कलाकार पति के व्यावसायिक संबंधों पर न पड़े।

मैंने पहले भी जिक्र किया था कि मनाली में कंगना रनौत नामक ज्वालामुखी फटा, उसकी तीव्र तरंगे पूरी पृथ्वी के चक्कर काट आई लेकिन क्रांतिकारी स्वभाव की जया जी को इसकी भनक भी ना लगी। कंगना को गाली देना, उनका ऑफिस तोड़ देना भी जया जी को विचलित नहीं कर पाया। क्या किसी महिला पर अत्याचार का विरोध करने के लिए उसकी श्रेणी देखनी पड़ती है? जैसे कंगना उस विचारधारा पर नहीं चलतीं, जो जया बच्चन की है।

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क्या @KanganaTeam बॉलिवुड से नहीं हैं? कंगना के घर पर बुलडोजर चढ़ा, लेकिन जया या इनके महानायक पति ने एक आवाज नहीं उठाई, लेकिन ज्योंहि रविकिशन ने ड्रग की बात उठाई, जया संसद में ड्रग माफियाओं को बचाने के लिए कूद पड़ी। ड्रग माफिया+ राजनेता+ बॉलिवुड कलाकार का नेक्सस बहुत गहरा है! pic.twitter.com/EsOUeuptJT

— संदीप देव #SandeepDeo (@sdeo76) September 15, 2020

विपरीत विचारधारा की महिला पर अन्याय हो रहा हो तो न बोलना उनकी नीयत को दर्शाता है। जिन महिला से आशा थी कि वे कंगना के समर्थन में खड़ी होंगी, वे संसद में उसके लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करती हैं। यदि कंगना रनौत अपना कॅरियर दांव पर लगाकर बॉलीवुड की नसों में दौड़ रहे नशे के खिलाफ खड़ी होती हैं, तो क्या ये उनकी विचारधारा के अनुसार एक बेहतरीन मूव नहीं कहलाएगा।

जया जी कंगना का उद्देश्य आखिरकार इस देश की भलाई के लिए ही तो है, आपको तो खुले मन से उनके साथ इस लड़ाई में उतरना चाहिए ताकि आप जैसी सम्माननीय महिला को लड़ते देख और भी कलाकार ऐसा करने के लिए प्रेरित हो जाए। ज्योत से ज्योत जलती है जया जी। क्या आप नहीं चाहेंगी कि फिल्म इंडस्ट्री पर मंडरा रहा नशे का ये प्रेत सदा के लिए मार दिया जाए।

राज्यसभा में जया जी के बयान ने सोशल मीडिया की घासफूस से बनी चौपाल में चिंगारी डाल दी है। शायद जया जी को ये अहसास नहीं होगा कि उनकी चुप्पी और अभी-अभी प्रस्फुटित हुई मुखरता के बीच कंगना की लोकप्रियता लंबी यात्रा कर चुकी है।

#JayaBachchan जी,
थाली की बात करता बच्चन परिवार अच्छा नहीं लगता।
आपकी तो पूरी थाली ही खाली हो गई थी, और उस वक्त जिन अमर सिंह ने दोस्ती निभाकर आपकी खाली थाली को सोने से भर दिया,आपका परिवार उन अमर सिंह का भी न हो पाया।
ये थाली में छेद की बात आप पर नहीं जंचती !#RaviKishan

— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) September 15, 2020

उन्हें अपने खिलाफ उठ खड़े हुए विरोध के स्वरों को सम्मान देते हुए समझना होगा कि फिल्म इंडस्ट्री को सम्मान दिलवाने वाले केवल उस ओर ही नहीं हैं। उन्होंने राज्यसभा में कहा जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। जया ने कहा कि मनोरंजन इंडस्‍ट्री हर दिन 5 लाख लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देती है।

ऐसे वक्‍त में जब अर्थव्‍यवस्‍था बेहद बुरी हालत में है, लोगों का ध्‍यान हटाने के लिए हमें (बॉलिवुड) सोशल मीडिया पर निशाना बनाया जा रहा है। जया जी का ये राजनीतिक बयान दो तरफ निशाना साध रहा है। एक तरफ वे सरकार को कह रही हैं कि अर्थव्यवस्था खराब है इसलिए बॉलीवुड में ड्रग्स की जाँच न की जाए।

https://twitter.com/Shehzad_Ind/status/1305757144076005376

ये बयान  इतना छद्म है कि तय करना मुश्किल है कि ये बयान उन्होंने समाजवादी पार्टी के सांसद के रूप में दिया है, एक महिला के रूप में दिया है या एक अभिनेत्री के रूप में दिया है। मुझे याद नहीं पड़ता कि सुशांत की मौत की जाँच को लेकर वे राज्यसभा के मंच पर कभी इतनी मुखर हुई थीं।

ये बदला हुआ युग है। इस युग में लाखों अदृश्य भूत मौजूद हैं। मैं सोशल मीडिया के अदृश्य तारों को भूत ही कहता हूँ। ये भूत उन लोगों को बहुत सताते हैं, जो निष्पक्षता का स्वांग रचते हैं। वर्तमान में ये अदृश्य भूत कंगना, शेखर सुमन और रवि किशन के साथ खड़े हैं।

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TAGGED: Amitabh Bachchan, jaya bacchan, Kangana Ranaut, Mumbai, rajya sabha news, ravi kishan, Sanjay Raut, sushant singh rajput death, Uddhav Thackeray
Vipul Rege September 15, 2020
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Vipul Rege
Posted by Vipul Rege
पत्रकार/ लेखक/ फिल्म समीक्षक पिछले पंद्रह साल से पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में सक्रिय। दैनिक भास्कर, नईदुनिया, पत्रिका, स्वदेश में बतौर पत्रकार सेवाएं दी। सामाजिक सरोकार के अभियानों को अंजाम दिया। पर्यावरण और पानी के लिए रचनात्मक कार्य किए। सन 2007 से फिल्म समीक्षक के रूप में भी सेवाएं दी है। वर्तमान में पुस्तक लेखन, फिल्म समीक्षक और सोशल मीडिया लेखक के रूप में सक्रिय हैं।
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