भारत ने एक बार फिर अंतराष्ट्रीय मंच पर चीन को करारी मात दी है. और इस बार यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ा है. भारत अब अगले चार साल के लिये महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम कर रहे आयोग का सदस्य बन गया है. महिलाओं से जुड़ा यह आयोग UNSCSW यानि यूनाइटेड नेशन्सन्स कमिशन आंन स्टेटस आंफ वूमेन के नाम से जाना जाता है और यह आयोग एकांनामिक एंड सोशल काउंसिल (ECOSOC ) का हिस्सा है.
इस आयोग का सदस्य बनने के पश्चात भारत का कार्यकाल वर्ष 2021 से 2025 तक चलेगा. इस आयोग का सदस्य बनने की प्रतिस्पर्धिता में भारत के साथ दो देश थे – चीन और अफगानिस्तान. और इन दोनों को ही पछाड़्कर भारत ने महिला मुद्दों से जुड़े इस अहम आयोग की सदस्यता हासिल की. सबसे अधिक मायूसी तो चीन के हाथ लगी जिसे इस चुनाव में आधे वोट भी नहीं मिले.
कमिशन आंन स्टेटस आंफ वूमेन महिला अधिकारों के क्षेत्र में एक बेहद महत्व्पूर्ण संस्था है जो कि दुनिया भर की महिलाओं की स्थिति को रेखांकित करती हई और लैंगिग समानता पर बल देती है. ऐसी संस्था का सदस्य बनना भारत के लिये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि भारत का चुनाव जीतना महिला सशक्तीकरण और विकास के क्षेत्र में उसके द्वारा किये गये महत्वपूर्ण कार्यों को मान्यता देता है. वैसे भी बात जब जेंडर इक्वालिटी और महिला सशक्तीकरण की आती है तो भारत इस क्षेत्र में विश्व के कई देशों से आगे है. पिछले कुछ वर्षों में महिला विकास के क्षेत्र में भारत ने अप्रतिम प्रगति हासिल की है.
भारत में महिलाओं की शिक्षा के स्थिति सुधरी है. रोज़गार के क्षेत्र में भी गिलास सीलिंग ध्वस्त हुई है. यानि उनके कैरियर के रास्ते में जो रुकावटें थीं, वे हटी हैं या उन्हे कौन सा कैरियर अपनाना चाहिये, उसे लेकर जो रूढिवादी सोच थी, वह बदली है. आज भारत की महिलायें कमर्शियल पाइलट से लेकर पुलिस आंफिसर और सिक्यूरिटी ग़ार्ड्स तक का काम बखूबी कर रही हैं. यहां तक कि आर्मी में काम्बेट रोल्स के लिये महिलाओं को स्वीकृति मिलने के मुद्दे तक पर सोच विचार हो रहा है.
कमिशन आंन स्टेटस आंफ वूमेन की स्थापना 21 जून 1946 को हुई थी. इस संस्था में संयुक्त राष्ट्र के 45 सदस्य एक बार में सदस्य होते हैं. इसमे 13 सदस्य अफ्रीका, 11 एशिया और नौ लैटिन अमेरिका, 8 पश्चिमी यूरोप और चार पूर्वी यूरोप से सदस्य देश हैं।