आईएसडी नेटवर्क। इलाहबाद हाई कोर्ट ने ‘आदिपुरुष’ के निर्माता-निर्देशक को जमकर फटकार लगाई है। ओम राउत के निर्देशन में बनाई गई इस फिल्म को लेकर शुरु हुए विवादों का अंत होता नहीं दिख रहा है। सोमवार को न्यायालय में सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं की ओर से जिरह कर रहे वकील को न्यायाधीश ने आड़े हाथों ले लिया। कोर्ट ने सीधा सवाल पूछ लिया कि क्या सेंसर बोर्ड को अपनी जिम्मेदारियां पता नहीं है ? उधर बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म पूरी तरह धराशायी हो चुकी है।
‘आदिपुरुष’ को लेकर सरकार और बॉलीवुड का रुख़ भले ही नर्म दिखाई दे रहा हो लेकिन जनता इसका खुलकर विरोध कर रही है। इलाहाबाद के एक अधिवक्ता कुलदीप तिवारी ने फिल्म के विरोध में याचिका लगाई थी। इसकी सुनवाई सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में की गई। कुलदीप तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने भारतीय सेंसर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं की बधिया उधेड़कर रख दी।
कोर्ट ने सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा कि करते हुए सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा कि ‘क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? सिनेमा समाज का दर्पण होता है। क्या सेंसर बोर्ड अपनी ज़िम्मेदारियाँ नहीं समझता है ?’ कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं को कहा कि केवल रामायण ही नहीं बल्कि कुरान, गुरू ग्रंथ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों तो कम से कम बख्श दीजिए।
रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाए जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण जी को संजीवनी बूटी दिए जाने और आपत्तिजनक संवादों को कोर्ट के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। इन आपत्तियों पर कोर्ट ने सहमति जताई और अगली सुनवाई के लिए मंगलवार की तारीख दे दी। ‘आदिपुरुष’ के कलेक्शन अब रसातल में पहुँच चुके हैं। रिलीज के ग्यारहवें दिन सोमवार को फिल्म 1.75 करोड़ का कलेक्शन ही कर सकी।
रिलीज के दूसरे ही सप्ताह में फिल्म का सिनेमाघरों से पूर्णतः सफाया हो चुका है। शुक्रवार को कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की ‘सत्यप्रेम की कथा’ रिलीज होने जा रही है। पहले से सिनेमाघरों में सफलतापूर्वक चल रही ‘ज़रा हट के, ज़रा बच के’ ब्लॉकबस्टर हो चुकी है। इस फिल्म ने आदिपुरुष को बहुत डैमेज किया है और अब ‘सत्यप्रेम की कथा’ रिलीज होने के बाद ‘आदिपुरुष’ सिनेमाघरों से उतार दी जाएगी।