अर्चना कुमारी। हरियाणा प्रशासन की खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दोबारा ब्रजमंडल यात्रा निकालने की अनुमति दी जाती तो माहौल खराब हो सकता था क्योंकि वहां के लोगों को गौ रक्षक मोनू मानेसर के प्रति गुस्सा बरकरार है। रिपोर्ट में दावा किया है कि इसका असर सितंबर के पहले सप्ताह में आयोजित होने वाली जी 20 मीटिंग पर पड़ सकता था ।
इस वजह से शोभायात्रा निकालने की मंजूरी नहीं दी गई और सिर्फ 51 संतों के साथ जलाभिषेक की इजाजत देकर अधूरी यात्रा को पूरी करवा कर मामले को शांत कर दिया गया। सूत्र बताते हैं कि पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजरानिया ने जिला प्रशासन को एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें यात्रा की अनुमति नहीं दिए जाने के कई कारण बताए थे। इस रिपोर्ट में 31 जुलाई को हिंसा मामले को लेकर हुई प्राथमिकी के साथ-साथ आरोपियों के बयान भी सौंपे गए थे।
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि पुलिस हिंसा के मास्टरमाइंड के काफी करीब है जबकि इस रिपोर्ट को तीन हिस्से में जिला प्रशासन को सौपा गया था। पुलिस का कहना था कि अब तक हिंसा मामले को लेकर 61 मुकदमे दर्ज किए गए और करीब 292 लोगों को पकड़ा गया है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले मामले को लेकर 11 मुकदमे किए गए और एक आरोपी पकड़ा गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर हिंसा के मास्टरमाइंड की जानकारी जुटा रही है और हिंसा में शामिल लोगों के बारे में पता कर रही है जबकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गौ रक्षक मोनू मानेसर को लेकर मेवात में रहने वाले मुस्लिम लोगों में बहुत गुस्सा है और अब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं होने से वहां के मुस्लिम नाराज चल रहे हैं जबकि उन लोगों ने बिट्टू बजरंगी के गिरफ्तारी पर ज्यादा तवज्जो नहीं दिखाया है।
ज्ञात होगी कल सोमवार को अंतिम सोमवारी के दिन ब्रज मंडल यात्रा की सांकेतिक इजाजत दी गई और करीब 51 संतों ने जलाभिषेक यात्रा को संपन्न कराया। इससे पहले कई लोगों को गिरफ्तार किया गया जो इस यात्रा में शामिल होने वाले थे। हालांकि बाद में लोगों को रिहा कर दिया गया। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात हरियाणा पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर हकमुद्दीन की हार्ट अटैक से मौत भी हो गई।
हिंदुओं को इस यात्रा में रोके जाने के लिए जिला प्रशासन ने नूंह जिले में जहां निषेधाज्ञा लागू की वहीं राज्य सरकार ने नूंह जिले में एहतियाती कदम के तौर पर नेट सेवाएं बंद कर दी थी । मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया । भाजपा शासित खट्टर प्रशासन ने हिंदुओं को यात्रा में शामिल होने पर चेतावनी दी थी जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद यात्रा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे।