कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा ( टीकाकरण के दूरगामी परिणाम ) पिछले एक साल में हार्ट अटैक के केस बहुत तेजी से बढ़े हैं। ऐसा देखा गया है कि अधिकांश लोग जिनका हार्ट अटैक हुआ वे स्वस्थ थे और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक युवा थे। कोई एक्सरसाइज करते हुये जिम में या क्रिकेट खेलते हुये फील्ड या डांस करते हुये स्टेज पर अचानक हार्ट अटैक से चले गये। जिस गति से हार्ट अटैक के केस बढ़ रहें हैं उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि देश की लगभग 5% आबादी आने वाले 2 वर्षों में समाप्त हो जायेगी। मैं भविष्य वक्ता तो नहीं हूँ, परन्तु महामारी के विषय में मैंने जो भी लिखा है, उसे लोग आज साबित कर रहें हैं।
जीवन सुरक्षित करने हेतु लोग, अनजाने और नासमझी में किसी अन्य के निर्णय का शिकार बन गये। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुट्ठीभर सत्ताधारी लोगों ने, निहित स्वार्थी दवा निर्माताओं के प्रभाव में आकर, समस्त देशवासियों के जीवन को संकट में डालने का दुस्साहसिक निर्णय जानबूझकर लिया और ऐन केन प्रकारेण सभी को इस निर्णय पर अमल करने के लिए बाध्य कर दिया गया। सभी जानते हें कि, हर प्रकार की यात्रा, सरकारी एवं प्राइवेट ऑफिस में प्रवेश, कर्मचारियों के वेतन और ना जाने कितने प्रकार के अन्य प्रतिबंध लगाकर सभी को टीका लगवाने के लिये मजबूर कर दिया गया, “परन्तु टीका लगवाना स्वैच्छिक था” इस बात का पता सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गये 234 पेज के हलफनामे से लगा।
मॉडर्न मेडिसिन के साइड इफेक्ट की जानकारी से सभी वाकिफ़ हैं परन्तु टीके के सभी सुरक्षात्मक पहलुओं को दरकिनार कर देशव्यापी टीकाकरण अभियान का आह्वान करने के लिए इमर्जेंसी एप्रूवल दिया गया। जनसाधारण ने समझा कि इमर्जेंसी के कारण टीके को स्वीकृति दी गई है परन्तु टीके की इमर्जेंसी स्वीकृति का अभिप्राय सुरक्षात्मक पहलुओं को बाईपास करना था।
टीकाकरण के तुरन्त बाद लाखों लोगों की मृत्यु खून गाढा होने से हुई और अब हार्ट अटैक से मौत का सिलसिला शुरू हो गया। जो कुछ अभी तक हुआ है और आने वाले अगले 2 सालों में होगा उसे टीके का शार्ट टर्म इफेक्ट समझें। लाँग टर्म इफेक्ट की शुरूआत टीकाकरण के 3 साल बाद होगी, जिसका पूर्वाभास अभी से होने लगा है। बढ़ते हुये सिरदर्द, माइग्रेन, डिप्रेशन, एन्गजाइटी, अकारण साँस फूलना, याददाश्त कमजोर पड़ना आदि लक्षण आने वाले न्यूरोलॉजिकल डिस्टरबेन्स और डिफॉरमिटी के सूचक हैं। औरतों में असमय मासिक धर्म बंद होना, बढ़ते हुये पी सी ओ एस, पी सी ओ डी, स्तन, बच्चेदानी एवं सरविक्स में गांठें, थायरॉइड और हार्मोनल परिवर्तन से प्रजनन प्रक्रिया बाधित होगी। अतः भविष्य में हार्ट अटैक के साथ-साथ, लाँग टर्म साइड इफेक्ट के रूप में न्यूरो तथा इनफर्टिलिटी की संभावनायें हैं।
इसलिए सभी से अनुरोध है कि शरीर में आने वाले किसी भी लक्षण को हल्के में ना लें, सेल्फ मेडिकेशन ना करें और अपने हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें। प्रिवेंशन के लिए किसी ऐसे स्वास्थ्य सिस्टम को अपनायें जहाँ बिना किसी साइड इफेक्ट के आपको हार्ट, न्यूरो तथा हार्मोनल बैलेंस में सही सपोर्ट मिले।
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ऑफ ज़ायरोपैथी
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