अर्चना कुमारी ! किसान दिल्ली आने को आमादा है लेकिन पुलिस उनको इसकी इजाजत नहीं देगी। अब हरियाणा पुलिस ने पंजाब पुलिस को पत्र लिखा है,जिसमे जेसीबी, टिपर्स आदि हर हाल में किसानों के पास से हटाए जाने का अनुरोध किया है। साथ ही महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों किसानों को शंभु बार्डर से दूर करने की अपील की है। इसके साथ ही मीडिया वाले की भी शंभु बार्डर से एक किलोमीटर दूर रहने को कहा गया है। इस बीच किसानों का दिल्ली चलो को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस ने दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है और काफ़ी बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया है।
पुलिस अधिकारियों ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विभिन्न सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि उसने पहले से ही कई हजार पुलिस कर्मियों को तैनात कर रखा है। टिकरी और सिंघू सीमा पर बहुस्तरीय सुरक्षा है। दिल्ली और हरियाणा के दोनों सीमा को भी सील कर दिया गया है। इसके अलावा, गाज़ीपुर बॉर्डर की दो लेन भी बंद कर दी गई हैं।
उधर, ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा,हमने तय किया है कि कोई भी किसान, युवा आगे नहीं जाएगा। सिर्फ नेता शांतिपूर्ण आगे जाएंगे। हम सरकार से आज भी मांग करेंगे कि दिल्ली से बड़ा फैसला करें। आप कहें कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाएंगे, ये आंदोलन अभी खत्म हो सकता है।
पुलिस सूत्रो ने बताया कथित किसान शंभू बॉर्डर पर पोकलेन मशीन लेकर पहुंच गए हैं। किसान नेता नवदीप जलबेड़ा पोकलेन मशीन लेकर शंभू बॉर्डर आए पोकलेन मशीन की मदद से प्रशासन द्वारा बॉर्डर पर लगाई गई स्टील की बाड़ाबंदी को किसान हटाएंगे। ऐसा दावा किया गया है।
शंभू बॉर्डर पर प्रशासन द्वारा बनाई गई सीमेंट की दीवारों को तोड़ने के लिए किसान खास तरह के हथियार’ लेकर आए हैं।
किसानों का कहना है कि सरकार की नीयत में खोट है। सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है। हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का फॉर्मूला तय करे।
किसान नेता पढेर का कहना है कि हम 21 फरवरी को दिल्ली कूच करने जा रहे हैं और सरकार से आगे फिलहाल कोई मीटिंग नहीं होगी लेकिन हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं।
डल्लेवाल ने कहा कि हमारी सरकार से अपील है की या तो हमारी मांगें मानी जाए या फिर शांति से हमें दिल्ली में बैठने की मंजूरी दी जाए। हमारी सभी किसान भाइयों से अपील है कि वे हिंसा नहीं करें।