
बॉलीवुड और अंडरवर्ल्ड नेक्सस: प्रेमिका के लिए फिल्मों में पैसा लगाया और बन बैठा फिल्म फाइनेंसर!
… दूसरा भाग
सन 1944 में अठारह साल का एक युवा तमिलनाडु से मुंबई पहुँचता है। बेहद ग़रीब परिवार का ये युवा कम समय में बेहद अमीर बनना चाहता था। अब तक वह अपने गांव में पंचर पकाने का काम करता था। मुंबई में उसने मैकेनिक का काम किया लेकिन इस काम से वह अपने लिए चमचमाती कार नहीं खरीद सकता था। इसके बाद वह मुंबई डॉक पर कुली का काम करने लगा। इसी डॉक से उसने अपने अपराधी जीवन की शुरुआत घड़ी और सोने की तस्करी से की। इस लड़के का नाम हाजी मस्तान था जो मुंबई का पहला अधिकृत डॉन कहा जाता है। हाजी मस्तान ही वही अपराधी था जिसने मुंबई फिल्म उद्योग में अपना काला धन सफ़ेद करने का बहुत बड़ा अवसर देखा।
हाजी मस्तान को हमेशा गरीबों का मसीहा बनाकर पेश किया जाता है जबकि था तो वह अपराधी ही, जिसकी पहली ख्वाहिश जीवन में बहुत सारा पैसा कमाने की थी। मुंबई डॉक से उसने इलेक्ट्रॉनिक सामान और सोने की तस्करी शुरू कर दी। कुछ ही साल में उसके पास सब-कुछ था। बड़ा बंगला, महंगी गाड़ी की तमन्ना पूरी हो चुकी थी और मस्तान के दिमाग में अब बॉलीवुड घूमने लगा था। एक अभिनेत्री सोना से उसे प्यार हो गया। तब तक बॉलीवुड में मस्तान की घुसपैठ अच्छी-खासी हो चुकी थी। दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, राज कपुर, संजीव कुमार तक से उसकी गहरी दोस्ती के चर्चे महानगरी में चला करते थे।
सोना से प्यार की खातिर मस्तान ने उसके लिए फिल्मों में पैसा लगाना शुरू किया। हालांकि ये फ़िल्में नहीं चली लेकिन ‘नेक्सस’ का जन्म हो चुका था। फिल्म उद्योग को समझ आ गया था कि फिल्म बनाने के लिए अंडरवर्ल्ड से मनचाहा धन मिल सकता है। अपराध जगत को भी इस इन्वेस्टमेंट से अपनी काली कमाई सफ़ेद करने का सुनहरी मौका नज़र आया। दोनों की जरूरते उन्हें पास लाई और इस तरह से इस अवैध गठजोड़ की शुरुआत हो गई। बाद में मस्तान ने और भी कई फिल्मों में अघोषित रूप से पैसा लगाया। तस्करी का लाखों रुपया उसने फिल्मों में लगाया।
इस परंपरा से हिन्दी फिल्म उद्योग को धन तो मिला लेकिन कला जगत में अपराध की एंट्री का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। अस्सी का दशक आते-आते ये हाल हो गया था कि कोई भी डॉन किसी भी फिल्म निर्माता के नाम से फिल्म में धन लगाने लगा। इस संगठित अपराध को रोकने के लिए कभी गंभीर प्रयास नहीं किये गए। इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ ही समय में अंडरवर्ल्ड फिल्म उद्योग के लिए मुख्य फाइनेंसर की भूमिका में आ चुका था।
आज भी मुंबई में हाजी मस्तान की धमक कायम है। उस पर फिल्म बनाने से पहले उसके परिवार की इज़ाज़त लेनी पड़ती है। हाजी मस्तान के रहते ही मुंबई में दाऊद इब्राहिम की एंट्री हो चुकी थी। दाऊद के ताकतवर होने के बाद फिल्म उद्योग उसके घर की बांदी बनने जा रहा था। अगले भाग में पढ़े दाऊद के आने के बाद कैसे बदला फिल्म उद्योग का माहौल?…
बॉलीवुड-अंडरवर्ल्ड नेक्सस के बारे जानने के लिए नीचे पढ़ें:
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