संदीप देव । जय सियाराम। आप सभी को रामनवमी की शुभकामनाएं।
कभी हिंदू गांधी को भी हिंदू नेता ही मानते थे। देखिए 30 मार्च 1928 को रामनवमी पर व्याख्यान देते हुए गांधी कैसे भगवान राम का उपहास उड़ा रहे हैं! उन्हें छल करने वाला बता रहे हैं।
उस वक्त भी गांधी के ऐसे पाखंड को समाज के समक्ष रखने वालों पर तब के हिंदू हमला करते थे! बाद में इसी गांधी ने बंटवारा करा कर उन्हीं हिंदुओं का सर्वनाश कर दिया!
बाद में ब्रांडिंग व मार्केटिंग के मध्यम से उसी गांधी के मरने पर जबरदस्ती उनके मुंह में ‘हे राम’ ठूंस कर सदा के लिए हिंदुओं को पाखंडी नेताओं का दास बनाने का कुचक्र रचा गया, जो आजतक जारी है!
‘हे राम’ आखिर हिंदू कब अपना प्रमाद तोड़ेगा और हिंदू वेश में छिपे कालनेमियों को पहचानेगा?
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फोटो और तिथि की सूचना साभार: शंकर शरण जी।
