अर्चना कुमारी। आईएससी/अपराध शाखा की टीम ने धोखेबाज मनीष पोद्दार, उम्र 42 वर्षीय, निवासी यूनिटेक हाइट्स, ग्रेटर नोएडा सेक्टर-3, उत्तर प्रदेश को गिरफ्तार कर प्राथमिकी संख्या 192/23, धारा 420/468/471 भारतीय दण्ड संहिता, थाना अपराध शाखा, दिल्ली को सुलझा लिया है । 12 फर्जी डीपीसीसी प्रमाण पत्र, 01 लैपटॉप व 02 मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं।
घटना:
दिनांक 23.07.2023, शिकायतकर्ता ने बतलाया कि वह ग्रोवर स्वीट्स का मालिक हैं। उसकी एक मिठाई की दुकान पीतमपुरा, दिल्ली में है व मिठाई बनाने का कारखाना नारायणा औद्योगिक क्षेत्र, दिल्ली में है । उसे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। वह मनीष नामक व्यक्ति से मिला, जिसने दावा किया कि वह उसे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) प्रमाण पत्र दिलवा सकता है| मनीष ने फीस के नाम पर ₹ 2,01,600 ले लिए व 04 डीपीसीसी प्रमाण दे दिए। बाद में वे सभी डीपीसीसी प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
शिकायतकर्ता की शिकायत पर प्राथमिकी संख्या 192/23, धारा 420/468/471 भारतीय दण्ड संहिता, थाना अपराध शाखा , दिल्ली दर्ज की गयी ।
जानकारी, टीम और संचालन:
उप-निरीक्षक गौरव को गुप्त सूचना मिली कि थाना अपराध शाखा की प्राथमिकी संख्या 192/23 में शामिल आरोपी ग्रेटर नोएडा, सेक्टर-03, उत्तर प्रदेश में छिपा हुआ है। अगर समय पर कार्यवाही की जाये तो उसे वहाँ से पकड़ा जा सकता है ।
तदानुसार, संयुक्त आयुक्त एसडी मिश्रा और उपायुक्त अमित गोयल द्वारा सहायक आयुक्त रमेश चंद्र लांबा की देखरेख में व निरीक्षक सतेन्द्र मोहन और निरीक्षक महिपाल के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया | जिसमे उप-निरीक्षक सुरेंद्र राणा, उप-निरीक्षक गौरव, उप-निरीक्षक अंकित, सहायक उप-निरीक्षक यतंदर मलिक, प्रधान सिपाही नवीन, प्रधान सिपाही सुनील, प्रधान सिपाही तरुण, प्रधान सिपाही विनोद और प्रधान सिपाही नितेश शामिल थे ।
उपरोक्त सूचना के आधार पर टीम द्वारा यूनिटेक हाइट्स, ग्रेटर नोएडा, सेक्टर-3, उत्तर प्रदेश में जाल बिछाया गया और आरोपी मनीष कुमार पोद्दार को सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया।
पूछताछ:
पूछताछ के दौरान, आरोपी मनीष कुमार पोद्दार ने खुलासा किया कि उसने पूरी साजिश रची और नकली डीपीसीसी प्रमाण पत्र तैयार करने के लिए लैपटॉप व अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया। वह व्यापार संघों का दौरा करता था जहां वह विभिन्न व्यापारियों/कारखाने/दुकान मालिकों के संपर्क में आया जो आसानी से डीपीसीसी प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहते थे | उसने खुद को कमीशन एजेंट बताकर मौके का फायदा उठाया और उन्हें फर्जी डीपीसीसी प्रमाणपत्र दिये | उसने कई व्यापारियों को धोखा दिया। अब तक ऐसे 06 पीड़ितों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें उसने फर्जी डीपीसीसी प्रमाण दिये थे।
बरामदगी:
12 फर्जी डीपीसीसी प्रमाण पत्र।
फर्जी डीपीसीसी प्रमाण पत्र बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए 01 लैपटॉप और 02 मोबाइल फोन
आरोपी का प्रोफाइल:
मनीष कुमार पोद्दार, उम्र 42 वर्षीय, निवासी यूनिटेक हाइट्स, सेक्टर-03, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश, बी.टेक. स्नातक है| उसने गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित कॉलेज से एमबीए भी किया है। एमबीए के बाद उसने एचएसबीसी बैंक में सहायक प्रबंधक के रूप में काम किया और उसे बार्कलेज बैंक में भी नई नौकरी मिली। बाद में, उसने नौकरी छोड़ दी और नारायणा, दिल्ली और उद्योग विहार, गुरुग्राम, हरियाणा में छोटे उद्योगों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रदान करने के लिए अपनी फर्म शुरू की। इस दौरान उसे प्रदूषण प्रमाण पत्र और इसे प्राप्त करने की औपचारिकताओं के बारे में पता चला। वह खुद को कमीशन एजेंट बताकर लोगों को फर्जी डीपीसीसी प्रमाणपत्र देने लगा व ठगी करने लगा |