हिंदू ! फौरन सत्ता बदलो
शासन करना इसे न आता , आती केवल धोखेबाजी ;
केवल हिंदू को धोखा देता , लफ्फाजी व जुमलेबाजी ।
हिंदू ! तुझको धोखा देना , सबसे ज्यादा आसान है ;
सच्चे-धर्म से दूर हुआ जो , उसे मूर्ख बनाना आसान है ।
धर्म से दूरी क्या लाती है ? अज्ञान, मूर्खता ,विवेकहीनता ;
जितने भी हैं धर्म के द्रोही , इनमें गद्दारी व चरित्रहीनता ।
इन्हीं का होता मानसिक-खतना, अब्बासी-हिंदू बन जाते हैं ;
जो टुकड़ा पाकर पूॅंछ हिलाते , सरकारी-हिंदू कहलाते हैं ।
दस-प्रतिशत से ज्यादा हिंदू , ऐसे ही मक्कार हैं ;
नब्बे – प्रतिशत हिंदू – बाबा , हिंदू के गद्दार हैं ।
धर्म का सच्चा – मर्म न जाने , पर बन बैठे धर्माचार्य ;
शास्त्र का सम्यक-ज्ञान नहीं है , कथावाचकों के हैं कार्य ।
दिशाभ्रमित हो रहे हैं हिंदू , ऐसे ही मक्कारों से ;
अब धर्म की रक्षा कौन करेगा ? इन सारे गद्दारों से ।
हिंदू ! को ही संभलना होगा , ऐसे पाखंडी त्यागना होगा ;
रामायण, गीता ,महाभारत , पढ़कर स्वयं समझना होगा ।
हिंदू ! इसको अनिवार्य ही जानो , वरना सत्यानाश है ;
अब्बासी – हिंदू नेता के कारण , तेरा पूर्ण – विनाश है ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , सबसे बड़ा गद्दार है ;
मातृ – संस्था समलैंगिक है और म्लेच्छों के यार हैं ।
ये दुश्मन के धन पर पलते , उनके आगे पूॅंछ हिलाते ;
उनके तलवे चाट – चाट कर , कितने पुरस्कार पाते ?
हिंदू के चौकीदार चोर हैं , तरह-तरह से लुटवाते हैं ;
अब्राहमिक – एजेंडा इनका , हिंदू को मरवाते हैं ।
वुल्फ-अटैक बढ़ रहे कितने ? हिंदू के सिर कटते जाते ;
कानून – व्यवस्था पूर्ण – नपुंसक , कोई नहीं सजा पाते ।
एक-एक कर मिट रहा है हिंदू ,अब्बासी-हिंदू का मायाजाल ;
हिंदू ! तत्क्षण होश में आओ , तेरे सिर पर खड़ा है काल ।
केवल हिंदूवादी – दल ही , हिंदू ! तुझे बचा सकता है ;
“एकम् सनातन भारत”दल ही,न्याय का शासन ला सकता है।
सबसे बड़ा अन्याय चल रहा, तुष्टिकरण और तृप्तिकरण का ;
हमको इसे रोकना होगा , गजवायेहिंद के कारण का ।
हिंदू ! फौरन सत्ता बदलो , जीवन – मरण का प्रश्न है ;
अब्बासी-हिंदू को धूल चटाओ , तेरे अस्तित्व का प्रश्न है ।
“एकम् सनातन भारत”दल के,हर प्रत्याशी को जिताना होगा ;
आगे इसकी सरकार बनाकर , “राम-राज्य” लाना होगा ।