अर्चना कुमारी । हिंदूवादी संगठन से जुड़े सदस्यों का एक समूह मंगलवार को कुतुब मीनार परिसर के बाहर पहुंचा और हनुमान चालीसा का पाठ किया। उनकी मांग थी कि स्मारक का नाम बदल कर ‘विष्णु स्तंभ’ किया जाए। पाठ करने वाले लोगों का कहना था कि कुतुब मीनार 27 हिंदू एवं जैन मंदिरों को ध्वस्त करके उनके अवशेषों का इस्तेमाल करके बनाया गया था ।
जिसका उल्लेख मीनार के मुख्य दरवाजे पर लगे शिलालेख से मिलता है। अनेक इतिहासकारों के अनुसार कुतुब मीनार से पहले यहां भगवान विष्णु का विशाल मंदिर था। दरअसल यूनाइटेड हिंदू फ्रंट ने कुतुबमीनार को विष्णु स्तंभ बताते हुए यहां मौजूद रहे मंदिरों की खंडित मूर्तियों का विसर्जन करने और संपूर्ण प्रतिमाओं का जीर्णाेद्धार करके उन्हें एक स्थान पर स्थापित करके वहां पूजा करने का अधिकार देने की मांग को लेकर धरना देने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने के कार्यक्रम की घोषणा कर रखी थी।
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राष्ट्रवादी शिव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने करना था लेकिन उन्हें शाहदरा स्थित उनके निवास स्थान पर एसीपी एवं थाना प्रभारी द्वारा हाउस अरेस्ट कर लिया गया। इस सब के बावजूद भारी संख्या में कार्यकर्ताओं ने क़ुतुब परिसर के समक्ष जोरदार प्रदर्शन करके वहां हनुमान चालीसा का पाठ किया।
पुलिस द्वारा इस अवसर पर 49 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके फतेहपुर बेरी थाने ले जाया गया जिनमें फ्रंट की अंतर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गुरु मां कंचन गिरि जी महाराज, मां पीतांबरा पीठ, दतिया के धर्मचार्य नवीन जी, फ्रंट के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र बेदी एवं उपाध्यक्ष अवध कुमार, उपाध्यक्ष जयप्रकाश बघेल, विनीता श्रीवास्तव, एवं सुमन प्रजापति आदि कार्यकर्ताओं के नाम उल्लेखनीय हैं।
अपनी मांगों के समर्थन में संगठन ने एक ज्ञापन केंद्रीय मंत्री अमित शाह को प्रेषित किया है जिसकी प्रतिलिपि केन्द्रीय संस्कृतिक मंत्री, कृष्ण रेड्डी सांस्कृतिक राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी जी, उपराज्यपाल, दिल्ली अनिल बेजल, आयुक्त, दिल्ली पुलिस को भी भेजी गई हैं।
दक्षिणी जिले के डीसीपी बेनिता मैरी जैकर ने मंगलवार को कहा कि परिसर के बाहर पाठ करने की अनुमति पुलिस की ओर से नहीं दी गई थी। बावजूद इसके लोगों ने विरोध प्रदर्शन सड़क पर करना शुरू कर दिया था।
इस कारण यातायात अवरुद्ध हो गया था और वहां से गुजरने वाले राहगीरों और वाहन चालकों को दिक्कतें हो रही थी। इस पर कार्रवाई करते हुए वहां मौजूद 44 लोगों को 65 डीपी एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था। हालांकि बाद में सभी को छोड़ दिया गया।