श्वेता पुरोहित। ओड़िसा के महान संत पंचसखा के भविष्य मालिका की भविष्यवाणी है कि दिनांक 4 मई, 2003 को भगवान कल्कि का जन्म प्रातः 05:25 बजे ओडिशा के जाजपुर/बिरिजा क्षेत्र में कमालपुर-महार गांव (शमशान के निकट) / जिला जाजपुर के विकासखंड बिंझरपुर के ग्राम पंचायत कल्याणपुर के आश्रित ग्राम समलपुर जो गोबराई नदी के निकट है, पिता अनन्त मिश्र, माता पद्मावती के घर , जो अत्यंत निर्धन परिवार है, पर हुआ । भगवान के शरीर पर शंख और चंद्रमा के चिन्ह अंकित है। द्वापरयुग में बाण जहां लगा था अर्थात पैर में घाव का निशान है। कदम्ब का पेड़ घर के उत्तरी भाग में तथा पिप्पल वृक्ष दक्षिण में होगा। घर जो झुग्गी-झोपड़ी होगा, के पास एक ताल है जिसमे कमल पुष्प खिले है।
भविष्य मलिका में लिखा है कि वैशाख शुक्ल तृतीया मेष लग्न में पांच ग्रह उच्च के होंगे – बृहस्पति कर्क राशि में उच्च का होगा, शुक्र मीन में उच्च, सूर्य मेष राशि में, मंगल मकर राशि में और चंद्रमा दूसरे घर में होगा। यह श्री राम की कुंडली के समान है। ऐसी कुंडलियां श्री विष्णु के अवतारों के लिए ही संभव हैं।
बलराम का जन्म गोपीनाथ/भूमादेवी के घर पर हुआ है, गोपीनाथ का संबंध कर्नाटक राज्य के राजा पद्मकेशर से होगा। भगवान कल्कि भुवनेश्वर के खंडगिरि में ध्यान-साधना करते है।
फरवरी 2023 को ओडिशा के गंजाम जिला अंतर्गत महेन्द्र गिरी पर्वत पर भगवान कल्कि ने परसुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया। भगवान कल्कि कनकी, कलाकार, रामचंद्र, अनंग केशरी, गजपति के नाम से प्रख्यात होंगे।
कल्कि देव की जय, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय