ओ हिंदू ! उद्देश्य बनाओ , “राम-राज्य” को पाना है ;
जिसके लिये परमावश्यक है , अच्छी-सरकार बनाना है ।
आवश्यकता है आज देश को , चरित्रवान नेताओं की ;
सत्यनिष्ठ हों , देशभक्त हों , कर्तव्यनिष्ठ नेताओं की ।
इसके विपरीत आज है स्थिति , नेता हैं अब्बासी-हिंदू ;
नहीं धर्म का , नहीं देश का , मिटा रहा चुन-चुन कर हिंदू ।
इतना भ्रष्टाचार बढ़ाया , पूरा देश नर्क कर डाला ;
चुनाव-प्रक्रिया पूरी दूषित , ई वी एम कर दिया है काला ।
लोकतंत्र की पावनता को , ये तेजी से मिटा रहा है ;
नारसिज्म इस कदर है हावी , सब-कुछ खुद पर लुटा रहा है ।
हनीट्रैप जितने हैं नेता , कैसे देश का भला करेंगे ?
अब्राहमिकों की कठपुतली बन , ये उनका ही भला करेंगे ।
इसी से हिंदू ! बहुत कष्ट में , अन्याय ही सहता रहता है ;
पूरे देश का भार उठाता , फिर भी गला कटाता है ।
कहीं नहीं इसकी सुनवाई , पूरी – पूरी रुसवाई है ;
हरेक जगह ठुकराया जाता , म्लेच्छों की बन आई है ।
कल्याण जो हिंदू ! अपना चाहे , अपनी सारी कमियां छोड़ो ;
स्वार्थ,लोभ,भय छोड़ना होगा,धर्म-विजय अभियान को छेड़ो ।
अपना अज्ञान मिटाना होगा , धर्म-सनातन जानना होगा ;
सारा सब – कुछ जानना होगा , सारा वैभव पाना होगा ।
तेरा वैभव लूटने वाले , सत्ता का सुख भोग रहे हैं ;
तेरी पीठ में छुरा मारकर , शत्रु की गोद में खेल रहे हैं ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , अपना शत्रु – मित्र पहचानो ;
जिसको हृदय-सम्राट बनाया , वो पसमांदा-सुल्तान ही जानो ।
शत्रु को मित्र समझने वाला , कैसे दुनिया में जी पायेगा ?
हरदम ही धोखा खायेगा , सर अपना कटवायेगा ।
विकसित करो संघर्ष की क्षमता,यथास्थितिवाद छोड़ना होगा ;
धर्म को सबसे ऊपर रखकर , पूरा-संघर्ष छेड़ना होगा ।
केवल धर्म-सनातन ही तो , मानव का दानव से भेद बताता ;
धर्म-सनातन भूलने वाला, हिंदू ! म्लेच्छों से मात है खाता ।
अपनी मात को जय में बदलो , हर हाल में हिंदू जीतना होगा ;
हिंदूवादी सरकार बनाकर , अपने विनाश को टालना होगा ।
हिंदू-विनाशक जो सरकारें , अबकी सत्ता से उन्हें हटाओ ;
“एकम् सनातन भारत” दल लाकर,हिंदू ! “राम-राज्य” लाओ ।
“जय सनातन-भारत “, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”