अर्चना कुमारी उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकालने वाली टीम का हिस्सा रहे वकील हसन का घर दिल्ली में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान तोड़ दिया गया। अब दिल्ली विकास प्राधिकरण ने उनके परिवार को अस्थायी आवास मुहैया कराने की पेशकश की लेकिन हसन ने उसे ठुकरा दिया।
डीडीए के अधिकारियों ने उन्हें वसंत कुंज के एक गेस्ट हाउस में अस्थायी तौर पर ठहराने और जल्द ही गोविंदपुरी इलाके में एक मकान देने के बारे में कहा था लेकिन उन्होंने एजेंसी की पेशकश को ठुकरा दिया क्योंकि सिर्फ मौखिक तौर पर आश्वासन दिया गया था।
ज्ञात हो उत्तर-पूर्व दिल्ली के खजूरी खास इलाके में डीडीए द्वारा चलाये गये एक अभियान में हसन का मकान गिरा दिया गया था, जिसके बाद हसन ने आरोप लगाया था कि डीडीए ने बिना नोटिस दिये उनका मकान तोड़ दिया।
उसके बाद हसन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ फुटपाथ पर रात बिताने को मजबूर हैं। अपनी कार्रवाई को जायज ठहराते हुए डीडीए ने बाद में एक बयान जारी कर कहा कि एक प्राधिकरण के तौर पर अपनी भूमिका में एजेंसी अपनी जमीन पर अतिक्रमण या फिर अपने विकास क्षेत्रों में अनाधिकृत निर्माण की इजाजत नहीं दे सकती।
डीडीए ने यह भी कहा कि हसन इस बात से अवगत थे कि उनका मकान अतिक्रमण के दायरे में हैं और इसे 2016 में भी हटाया गया था लेकिन उन्होंने 2017 में फिर से कब्जा कर लिया।
डीडीए ने कहा कि यह ‘अतिक्रमण हटाने का एक नियमित अभियान‘ था और बुधवार की कार्रवाई किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर नहीं की गयी।
डीडीए ने एक बयान में कहा कि उत्तराखंड में मजदूरों को बाहर निकालने के अभियान में हसन के योगदान के बारे में जानने के बाद डीडीए ने परिवार को समर्थन देने के लिए हाथ बढाया लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
डीडीए ने स्पष्ट किया कि तोड़-फोड़ अभियान से पहले या उसके दौरान अधिकारियों को सिल्कयारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकालने वाले अभियान में हसन की भूमिका की जानकारी नहीं थी।
उधर बुधवार को जारी एक वीडियो संदेश में हसन ने कहा कि उनका घर तोड़ दिया गया, जिसकी वजह से उनका परिवार बेघर हो गया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि वकील हसन का घर कुछ ‘कानूनी मुद्दों’ से जुड़ा था। बहुत जल्द ही हसन को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मकान दिया जाएगा।
आरोप है उत्तराखंड टनल में फंसे 41 लोगों की जान बचाने वाली रेट माइनर दल के सदस्य वकील हसन के घर को अवैध बताकर तोड़ दिया गया। वकील हसन और उनके साथी मुन्ना कुरैशी ने जब डीडीए की कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस उन दोनों को उठाकर थाने ले गई। आरोप है कि पुलिस ने उन्हें रात आठ बजे थाने से छोड़ा, तब तक उनका पूरा मकान ध्वस्त किया जा चुका था।उनके परिजनों से भी मारपीट की गई।