हिंदू ! तुमको मिला विकल्प
इसका दिया है बुझने वाला , अबकी बार न जल पायेगा ;
डर है ये बुझने से पहले , देश में आग लगा जायेगा ।
ट्रेन जलेंगी , बसें जलेंगी , शहर – शहर में आग लगेगी ;
जेहादी के रूप हैं जितने , असलियत सामने आयेगी ।
हिंदू ! हरदम चौकस रहना , सावधान तुमको रहना है ;
हिंदू ! तेरा देश है भारत , उसकी रक्षा करना है ।
अब्बासी-हिंदू कलंक देश का , हर हाल में इसे हटाना है ;
विदा करो गंदी – सरकारें , अच्छी – सरकार बनाना है ।
विकल्पहीनता थी हिंदू की , नहीं मिला हिंदूवादी दल ;
सब के सब हिंदू के दुश्मन , सब के सब निकले दलदल ।
घनी निराशा के बादल से, उज्जवल प्रकाश की रेखा फूटी ;
“एकम् सनातन भारत” आने से , दुश्मन की किस्मत फूटी ।
आने वाले हर चुनाव में , हिंदू ! तुमको मिला विकल्प ;
“एकम् सनातन भारत” दल ही , हिंदू का पहला संकल्प ।
अब न घर में आग लगेगी , अपने ही घर के चिराग से ;
दुश्मन को मुंहतोड़ है उत्तर , सनातनी – फौलाद से ।
“एकम् सनातन भारत” दल ही , सनातनी – फौलाद है ;
कान खोल कर वे सब सुन लें , जो दुश्मन की औलाद हैं ।
देशद्रोह न कर पायेंगे , ठीक तरह से रहना होगा ;
जस का तस कानून मानकर , “वंदे-मातरम्” कहना होगा ।
पुण्यभूमि है भारत जिनकी , मातृभूमि है पितृभूमि है ;
भारत की सच्ची-संताने , केवल उनकी पवित्र-भूमि है ।
डीएनए अब नहीं मिलेगा , समलैंगिकता भी न होगी ;
तृप्तिकरण की ऐसी-तैसी , झूठी मन की बात न होगी ।
जिसने भी मंदिर तोड़े हैं , वो खुद ही बनवायेंगे ;
एक बैल की तरह ही वे सब , हल में जोते जायेंगे ।
पड़ेगी इतनी चाबुक उन पर , दिमाग दुरुस्त हो जायेंगे ;
उनका सारा लेखा – जोखा , सामने सबके लायेंगे ।
बच न सकेगा कोई पापी , न्याय का पहिया घूमेगा ;
भ्रष्टाचारी ऊँट है जितना , पहाड़ के नीचे आयेगा ।
अब भी मौका अब भी सुधरो, पाप को पूरी तरह से छोड़ो ;
गलत राह जा रहे थे अब तक, अपनी दिशा को पूरा मोड़ो ।
दृढ़ प्रतिज्ञ हो चुका है हिंदू , अच्छी – सरकार बनायेंगे ;
“एकम् सनातन भारत” लाकर , “राम-राज्य” को पायेंगे ।