श्वेता पुरोहित। विपाशा अथवा ‘विपाश’ पंजाब की व्यास (ब्यास) नदी का पौराणिक नाम है। कहा जाता है कि वसिष्ठ ऋषि पुत्र शोक से पीड़त होकर तथा आत्महत्या की इच्छा से अपने हाथ पैर बाँध कर इस नदी में कूद गये थे, किंतु नदी ने उनको पाशमुक्त करके वापस किनारे की ओर फेंक दिया था, इसी से इसका नाम ‘विपाशा’ अर्थात ‘पाशमुक्तकारिणी’ पड़ा।
महाभारत में विपाशा के तट पर विष्णुपद तीर्थ का वर्णन है-
‘एतद् विष्णुपदं नाम दृश्यते तीर्थमुत्तमम्,
एषा रम्या विपाशा च नदी परमपावनी।’
इसके आगे विपाशा के नामकरण का कारण पौराणिक कथा के अनुसार इस प्रकार वर्णित है-
‘अत्र वै पुत्रशोकेन वसिष्ठो भगवानृषिः,
वद्ध्वात्मानं निपतितो विपाशः पुनरुत्थितः।’
अर्थात “वसिष्ठ पुत्र शोक से पीड़ित हो अपने शरीर को पाश से बांधकर इस नदी में कूद पड़े थे, किंतु विपाश या पाशमुक्त होकर जल से बाहर निकल आए।”