राष्ट्रवादी पत्रकार अर्णव गोस्वामी को घेरने के लिए सोनिया गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की महाराष्ट्र पुलिस ने अब तक कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी थी। पहले तो पालघर में संतों की हुई हत्या के मामले में अर्णव को नोटिस भेजा फिर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमई मौत को उजागर करने को लेकर परेशान किया फिर टीआरपी की जाल में जब अर्नब गोस्वामी नहीं फंसे तब उन्हें दो साल पर पुराने केस में लपेट लिया।
इतना ही नहीं प्रदेश के गृह मंत्री और NCP नेता अनिल देशमुख की अगुवाई वाले महाराष्ट्र के गृह विभाग ने अर्णब की गिरफ्तारी के लिए कोंकण रेंज के आईजी संजय मोहिते के अगुवाई में 40 सदस्यों की उच्च स्तरीय टीम का गठन किया गया था और इसमें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन बाजे को भी शामिल किया गया।
इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने मामले में जांच के लिए केस के दोबारा खोले जाने की रायगढ़ पुलिस की इजाजत के बाद मंगलवार देर रात से ‘ऑपरेशन अर्णब’ की तैयारी शुरू हो गई थी। मुंबई और रायगढ़ से कुल 40 तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को इकट्ठा किया गया था। जबकि प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख के देखरेख में अर्णब को गिरफ्तार करने की योजना को संजय मोहिते ने तैयार किया। हाई प्रोफाइल एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे को ऑपरेशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी सौंपी गई। जैसे कि कोई पत्रकार को नहीं पकड़ना है बल्कि किसी आंतकवादी का एनकाउंटर किया जाना है।
महाराष्ट्र सरकार में इस बात की चिंतन मनन हुई कि ‘अर्णब गोस्वामी काफी शक्तिशाली पत्रकार हैं। ऐसे में संजय मोहिते की अगुवाई वाली टीम के लिए इस प्लान को अमलीजामा पहना पाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। इसके बावजूद भी इस ऑपरेशन को पूरा करने का लक्ष्य दिया गया था। महाराष्ट्र के एक कैबिनेट मंत्री ने भी स्वीकार किया है कि अर्णव गोस्वामी को दबोचे जाने के लिए सीक्रेट मिशन तैयार किया गया।
उस मंत्री के अनुसार, हमारे पुलिसकर्मियों ने अर्णब गोस्वामी की बिल्डिंग के कई चक्कर लगाए। हमें डर था कि अगर कहीं यह बात लीक हो गई तो अर्णब गिरफ्तारी से बचने के लिए शहर छोड़ सकते हैं। उन्होंने यहां तक स्वीकार किया कि ऑपरेशन की अच्छे से तैयारी की गई थी। हर छोटी बात का ध्यान रखा गया। यह पहले से तय था कि दरवाजा कौन खटखटाएगा, अर्णब गोस्वामी और उनके परिवार के सदस्यों से बात कौन करेगा, विरोध होने पर कैसा ऐक्शन लिया जाएगा। गिरफ्तारी के दौरान अर्णब गोस्वामी ने विरोध भी किया।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे ने उन्हें जांच में सहयोग नहीं करने के कानूनी पहलू से भी अवगत कराया। बाद में सबकुछ आराम से निपट गया। ऑपरेशन को अंजाम देनेेे के लिए बुधवार सुबह 6.30 बजे ही रायगढ़ पुलिस अर्नब गोस्वामी के घर पहुंच गई। अर्नब के घर में घुसने से पहले पुलिस ने पूरे इलाके को चारों तरफ से घेर लिया था। चप्पे-चप्पे पर जवान मौजूद थे और पुलिस के हाथों में एक-47 जैसे हथियार भी थे। मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जानेवाले इंस्पेक्टर सचिन भी इस टीम में शामिल थे। रिपब्लिक टीवी का दावा है कि करीब डेढ़ घंटे चली हिल -हुज्जत के बाद आठ बजे अर्नब को गिरफ्तार कर लिया गया।
अर्नब गोस्वामी के वकील का दावा है कि गिरफ्तारी के समय अर्नब को बेल्ट पकड़कर खींचा गया और उनकी रीढ़ की हड्डी पर प्रहार किया गया। पहले से चोटिल उनके एक हाथ पर भी प्रहार किया गया। गिरफ्तारी के बाद पुलिस वैन में बैठे अर्नब गोस्वामी ने भी कहा कि उनके घर में घुसी पुलिस ने उनके बेटे को मारा तथा उन्हें उनके सास-ससुर से नहीं मिलने दिया। गिरफ्तारी के बाद अर्नब को रायगढ़ के अलीबाग पुलिस थाने ले जाया गया है।
सूत्रोंं का दावा है कि अर्णब गोस्वामी को घेरने के लिए महाराष्ट्र सरकार पहले से ताक में थी. उसे इस दो साल पुराने और पुलिस द्वारा अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो चुके खुदकुशी केस को फिर से खोलने का मौका मिल गया। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने यह बयान दिया कि फडणवीस सरकार इस केस को रफा-दफा करने की कोशिश की थी लेकिन ‘जब मैंने विधवा और उनकी बेटी की व्यथा सुनी तो मुझे काफी झटका लगा। मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा महाराष्ट्र में हो सकता है। हम नाइक परिवार को न्याय दिला कर रहेंगे।
आपको जानकर आश्चर्य्य होगा की इस ऑपरेशन के लिए एक ऐसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को शामिल किया गया , जिसका खुद का विवादों से नाता रहा है। उसका नाम है सचिन बाजे। सचिन बाजे भले ही आज नौकरी कर रहा है लेकिन वह जेल जा चुका है। पुलिस हिरासत में हुई ख्वाजा यूनुस नामक व्यक्ति की मौत के मामले में साल 2004 में वह गिरफ्तार किया गया था जबकि निलंबित होने के बाद उस पर आरोप था कि यूनुस की हिरासत में मौत से जुड़े तथ्य उसने छुपाए थे।
इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट भी दायर की थी, जिसमें वाजे को आरोपी बनाया गया था।घाटकोपर इलाके में बम विस्फोट की घटना हुई थी जिसमें साल 2002 के इस मामले में पुलिस ने पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस को गिरफ्तार किया था।
मुंबई पुलिस के क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) में पूर्व इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा, रिटायर्ड एसीपी प्रफुल्ल भोसले, पुलिस इंस्पेक्टर दयानंद नायक जैसे तेजतर्रार अधिकारियों के साथ एनकाउंटर स्क्वॉड का हिस्सा रहे वाजे ने साल 2008 में पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और वाजे का इस्तीफा काफी दिनों तक स्वीकार नहीं किया गया उसका निलंबन हटाकर फिर से बहाल कर दिया गया जबकि वह साल 2008 में नौकरी से इस्तीफा देकर शिवसेना में भी शामिल हुआ था।
हैरानी की बात तो यह है कि जिस इंटीरियर डिज़ाइनर अन्वय नाइक की आत्महत्या मामले में अर्णव गोस्वामी को फंसाया गया है । इसको लेकर ऐसा लगता है कि बड़ी साजिश तैयार की गई है। दरअसल अन्वय नाईक और अर्णब गोस्वामी के बीच में कोई निजी डील नहीं थी, बल्कि उस इंटीरियर डिजाइनर की फर्म और अर्णब गोस्वामी की कंपनी के बीच में डील हुई थी। दोनों के बीच जो शर्तें रखी गई थी उन शर्तों के अनुसार, अर्णब गोस्वामी ने उसे 90% पेमेंट दे दिया था और यह बात मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में लिखी गई है।
यह जानकर आपको हैरानी होगी कि 90% पेमेंट लेने के बाद अगर उस इंटीरियर डिजाइनर को यह लग रहा था कि उसके साथ धोखा हुआ है तब इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता था।आर्थिक मामले देखने वाले आर्बिट्रेटर होते हैं उनके पास सिविल केस फाइल हो सकता था।
आर्बिट्रेटर यानी माध्यस्थम एक वैकल्पिक विवाद समाधान प्रक्रम है जिसमें पक्षकर किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप के माध्यम से तथा न्यायालय का सहारा लिए बिना अपने विवादों का निपटान करवाते हैं लेकिन वहां भी इंटीरियर डिजाइनर नहीं गया। उस समय खुदकुशी की जांच करने वाली महाराष्ट्र पुलिस का दावा था कि कि यह मामला क्रिमिनल केस में नहीं आता है और मुंबई पुलिस ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि इंटीरियर डिजाइनर के परिवार के अनुसार, अर्णब गोस्वामी ने उसका पेमेंट नहीं दिया इसलिए वो दु:खी था, लेकिन हमारी जाँच में यह पता चला है कि उस इंजीनियर डिजाइनर ने अपना बाकी का 10% पेमेंट निकलवाने के लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं अपनाया। इसके लिए ना तो उसने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में अपील नहीं की और ना ही उसने आर्बिट्रेटर के पास कोई अपील की।
महाराष्ट्र पुलिस का कहना था कि घरेलू कारणों से इंटीरियर डिजाइनर मानसिक तनाव में था इसलिए उसने और उसकी माँ ने आत्महत्या कर ली। लेकिन अब उसकी पत्नी और बेटी अर्नब गोस्वामी पर आरोप लगा रही हैै कि उसके चलते अन्वय नाईक नायक की मौत हुई है । उसकी पत्नी तथा बेटी का दावा है कि अन्वय नाइक की कंपनी कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक अन्वय नाइक ने ‘सुसाइड नोट में दावा किया था कि अर्णव गोस्वामी, ‘आईकास्टएक्स/स्कीमीडिया के फिरोज शेख और ‘स्मार्ट वर्क्स के नितीश सारदा के उसके बकाया पैसों का भुगतान ना करने की वजह से वह आत्महत्या कर रहे हैं।
‘सुसाइड नोट के अनुसार इन तीनों कम्पनियों ने नाइक को क्रमश: 83 लाख रुपये, चार करोड़ रुपये और 55 लाख रुपये देने थे। पुलिस ने बताया कि ‘सुसाइड नोट में जिन अन्य दो लोगों का जिक्र किया गया है, उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
बकाये का भुगतान ना करने के दावों पर रिपब्लिक टीवी ने एक बयान में कहा कि ‘कॉनकॉर्ड को किए गए भुगतान के सारे सबूत पेश कर दिए गये हैं। यह सारी बातें उस समय मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में लिखी हैं, जो अदालत में पेश की गई और अदालत ने इस रिपोर्ट के आधार पर इस पूरे केस को क्लोज कर दिया था।
आनन-फानन में जब अरनव गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया गया तब इस राष्ट्रवादी पत्रकार को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद जज ने रायगढ़ पुलिस से पूछा आपने जो क्लोजर रिपोर्ट फाइल की थी उसके बाद आपको ऐसा क्या नया सबूत मिला, जिसके आधार पर आपने अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार किया और आप अर्णब गोस्वामी को अपनी कस्टडी में लेना चाहते हैं?
इस सवाल के जवाब मेंं रायगढ़ पुलिस अदालत का मुंह ताकती रह गई। जानकार बताते हैं कि बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान अर्नब गोस्वामी को पकड़ने वाली पुलिसकर्मी एक-दूसरे का मुँह देखते रहे और मुंबई पुलिस के वकील चुप हो गए। उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई भी नया सबूत नहीं है सिर्फ परिवार की एक एप्लिकेशन है कि इस केस को रीओपन किया जाए। तब अदालत ने मुंबई पुलिस के वकील से पूछा आप वकील है, क्या आपको पता है कि केस रीओपन का क्या प्रॉसिजर है?
इस पर पुलिस के वकील ने कहा इसके लिए कोर्ट में अपील की जाती है। तब जज ने रायगढ़ पुलिस के वकील से पूछा कि परिवार ने कौन से कोर्ट में अपील की है वह अपील दिखाएं? पुलिस ने सारे कानून को ताक पर रखकर केस ओपन किया था और अर्णव को उठाया था, फिर वह क्या जवाब देती?