संदीप देव। कम्युनिस्ट अपने शत्रु को नहीं छोड़ते। कलम का जवाब वो कलम से देते हैं। मैंने जब ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ लिखी थी तभी मुझे सचेत हो जाना चाहिए था!
खैर, हुआ यह कि भारत के लेफ्ट लिबरल्स ने इस छोटी उम्र में मेरी पूरी जीवनी अंग्रेजी में लिख दी। हार्पर कालिंन्स जैसे बड़े प्रकाशक ने इसे छापा है। रामचन्द्र गुहा और राजदीप सरदेसाई जैस लेफ्ट-लिबरल्स इसे इंडोर्स कर रहे हैं और लेफ्ट हमें हिडन शत्रु के रुप में प्रचारित कर रहा है!
‘Hindi Pop stars’ नाम से प्रकाशित इस पुस्तक को रामनाथ गोयनका अवार्ड प्राप्त पत्रकार कुणाल पुरोहित ने लिखी। वो हमसे 2019 में और उसके बाद एक बार और उसी दौर में मिलने आए थे। उन्होंने कहा कि आपसे संबंधित कुछ जानकारियां चाहिए। मेरा जीवन तो खुली पुस्तक है, इसलिए जो-जो पूछा बता दिया।
इस पुस्तक में मुझे इस्लामोफोबिक, आधा सच बताने वाला, लड़ाकू, संघी, राईट विंगर- और न जाने क्या-क्या साबित करने का प्रयास किया गया है! इस पुस्तक में तीन लोगों की बायोग्राफी है, जिसमें से तीनों कभी भाजपा समर्थक थे। दो अभी भी भाजपा समर्थक हैं। मैंने इन सबसे अलग सनातन धर्म की राह ले ली है।
इस पुस्तक से लेफ्ट-राईट दोनों प्रसन्न हैं। दोनों के मैसेज आ रहे हैं। दोनों ने मुझे एक समान शत्रु समझ लिया है। इस पुस्तक का एक बड़ा हिस्सा कम्युनिस्टों के एक वेब पोर्टल पर छपी है, जिसे पढ़कर शंकर शरण जी ने मुझे मैसेज किया:-
“यह स्थाई सेक्यूलरवादी (इस्लामपरस्त) नीति है। हिन्दू स्वर को ही अमान्य करना। सब को संघ से जोड़कर, और संघ को घृणित बताकर, वे इस में सफल होते हैं। इसीलिए वे सीताराम गोयल, राम स्वरूप, कूनराड, डेविड फ्राले, शौरी आदि को भी संघ-लेखक कहते हैं। यह बड़ी भयंकर चाल है: हिन्दू समाज को ही मंच से बाहर रखना, मानो उस की (सेकयूलर-लेफ्ट के सिवा) आवाज हो ही नहीं सकती!”
विडंबना कि इस दुरभिसंधि में संघ और संघ के सेक्यूलर निंदक, दोनों सोत्साह सहयोगी हैं कि हिन्दू समाज की अपनी कोई आवाज नहीं हो सकती। जो है सो संघ है।”
यही सच है। परंतु मैं No Left-No Right, Only Sanatan Voice के अपने सिद्धांत पर टिका रहूंगा, भले मेरे साथ केवल एक सनातनी ही खड़ा क्यों न हो?
मैं किसी आक्रमण से विचलित होने वालों में से नहीं हूं। मैं हर आक्रमण को इन्जॉय करता हूं। इसको भी इन्जॉय कर रहा हूं। आखिर कितने लोग होते हैं जिन पर पुस्तकें लिखी जाती है? यही सही! कलम तो मेरी भी पैनी है!
Aap sandeep ji itne bade kad ke ho gaye ki unko kitaab likhna pada aapke jeevan par.
Accha hai badnaam honge to kamse kam naam to badega hi, prasiddhi ye de rahe hain bina mehnat ke.
Aap signature bhi ek copy par kar ke bhej dijiye. Aage bhi likhne ki unko prerna mile. 😅