आज एक ख्वाजा साहब के पुस्तक विमोचन में संघ प्रमुख मोहन भागवत पर जमकर सेक्यूलर रंग चढ़ा रहा। गौ तस्करों की जगह गौ रक्षकों को नसीहत देने की पुरानी संघी बीमारी इन्होंने भी व्यक्त कर ही दिया।
काश! सनातन का जरा भी इन्हें ज्ञान होता तो मालूम होता कि गौ रक्षा के लिए अर्जुन ने गांडीव उठा लिया था। गौ की रक्षा के लिए गुरु वशिष्ठजी के सारे पुत्रों का बलिदान हो गया था।
वास्तव में संघ पोलिटकल हिंदुत्व का वाहक है, सनातन का नहीं। स्वयं मोहन भागवत सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि मेरा नाम भागवत है, लेकिन मैंने भागवत कभी नहीं पढ़ा है। अब बिना सनातन के ज्ञान के ऐसे विचार ही तो फूटेंगे?
सनातन ज्ञान से विहीन संघ हमेशा से हिंदुओं को मंझधार में डोलाता रहा है। महंत दिग्विजय नाथ और सीताराम गोयल का संघ पर विचार पढ़कर जो नहीं समझ में आया था, वो आज भगवत जी का विचार जान कर समझ में आ गया।