वो अदालत ना भाजपा की थी ना RSS की थी। वो अदालत हिंदुस्तान से लगभग साढ़े छह हजार किलोमीटर दूर स्थित लन्दन की थी। जब माल्या केस में सुनवाई करते हुए न्यायधीश एम्मा आर्बथनॉट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, माल्या की एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर को कर्जा देने में भारतीय बैंकों ने अपने ही नियमों-कानून का जबरदस्त उल्लंघन किया, लोन देने में नियमों की धज्जियां उड़ाई गयीं। यह बात ‘बंद आंख से भी’ देखी जा सकती है।
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा आर्बथनॉट की उपरोक्त टिप्पणी की तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री चिदम्बरम द्वारा बैंकों की आपत्ति के बावजूद माल्या को कर्ज़ देने का आदेश देनेवाली उन चिट्ठियों को जिनमें बेंकों द्वारा ब्लैकलिस्ट किये जा चुके विजय माल्या को हज़ारों करोड़ का कर्ज और अधिक कर्ज़ देने की पैरवी और सिफारिश स्पष्ट शब्दों में बहुत खुलकर की गयी थी।
अतः लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा आर्बथनॉट ने भारतीय बैंकों द्वारा विजय माल्या को कर्ज देने में की गई जिस धांधली और भ्रष्टाचार को खुलकर उजागर किया है उसका जिम्मेदार क्या केवल बैंकों के अधिकारियों को माना जाए। क्या किसी बैंक अधिकारी को यह अधिकार होता है कि वह देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री द्वारा बाकायदा चिट्ठी लिखकर दिए गए आदेश को नकार दे।
न्यायाधीश एम्मा आर्बथनॉट ने बहुत साफ कर दिया कि भारत से बैंकों का हज़ारों करोड़ लूटकर भागे विजय माल्या से ज्यादा उस लूट का जिम्मेदार क्यू ना तब के भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ओर वित्तमंत्री पी चिदंबरम को माना जाये? राहुल गांधी को लन्दन की उस अदालत की टिप्पणी के बाद शर्म आनी चाहिए और देश को जवाब देना चाहिए कि कांग्रेसी प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री की जोड़ी ने बैंकों द्वारा ब्लैक लिस्ट हो चुके विजय माल्या को कर्ज देने की सिफारिश चिट्ठी लिखने का वह भ्रष्टाचारी कुकृत्य क्यों किया था जिसकी कलई लन्दन की अदालत में भी खुल रही है।
आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि कभी भी किसी भी सड़कछाप नेता के बयान को विवादित बताकर उसपर घण्टों बहस करनेवाले न्यूजचैनलों से लन्दन की अदालत की न्यायाधीश के बयान का समाचार गधे के सिर से सींग की तरह गायब है।
साभार: WhatsApp
नोट- इस पोस्ट का मूल लेखक अपना दावा पेश करे। हमें खुशी होगी उनका नाम देकर।
URL: Indian banks violate their own rules and regulations in giving loan to Kingfisher
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