अर्चना कुमारी। भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर पशु तस्कर भारतीय जवानों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। लेकिन बताया जाता है कि बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स की टीम ने पशु तस्करों के एक बड़े ग्रुप के प्रयासों को विफल करते हुए एक इंटरनेशनल पशु तस्कर को गिरफ्तार किया ।
दिल्ली मुख्यालय से बीएसएफ प्रवक्ता के अनुसार ड्यूटी पर तैनात सतर्क जवानों ने तस्करों को चुनौती दी। दोनों तरफ के तस्करों ने हाई बीम टॉर्च लाइटें जलाना शुरू कर दिया और बीएसएफ पार्टी पर देशी बम फेंके, जिसमें एक जवान घायल भी हो गया। बीएसएफ के जवानों ने मिर्ची ग्रेनेड और पीएजी राउंड फायर किए। तस्कर इतने में भी नहीं रुके और उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा। जवानों ने खतरे को भांपते हुए और सेल्फडिफेंस में फिर से गोलीबारी की।
नतीजन, जवानों ने तस्करों से तीन मवेशियों को छुड़वाने और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।8 वीं वाहिनी, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बहादुर जवानों ने 23 जून को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक पशु तस्कर को सफलतापूर्वक रोका और पकड़ भी लिया। बीएसएफ कर्मियों ने तीन बदमाशों को सीमा क्षेत्र के पास एक घायल तस्कर को ले जाते हुए भी देखा। बदमाशों को चुनौती देने पर उन्होंने घायल तस्कर को वहीं छोड़ दिया और तेजी से भारतीय क्षेत्र के गांव कनीबामिनी की ओर भाग गए।
जवानों ने घायल तस्कर को हिरासत में लेने में कामयाबी हासिल की। जिसकी पहचान बाद में पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के गांव कानीबामिनी, दत्तपुलिया के रहने वाले हसनूर मंडल के रूप में हुई।हसनूर मंडल ने खुलासा किया कि वह मवेशियों की तस्करी के प्रयास के दौरान पीएजी के छर्रों से घायल हो गया था। उसने आगे खुलासा किया कि मुंशीहाटी गांव के शेरो, रघु और कनीबामिनी गांव के सहर ने अपने तीन अन्य साथियों के साथ सीमा पार मवेशियों की तस्करी की साजिश रची थी।
उनकी योजना सीमा चौकी इच्छामति के पुल का उपयोग करके मवेशियों को अपने बांग्लादेशी समकक्षों, ज़हौर (समूह के नेता), राजू और बांग्लादेश के पोलियानपुर के पास रायपुर के सागर को सौंपने की थी। हसनूर मंडल ने कबूल किया कि उनके समूह के पास देसी बम थे। इसके अलावा, चाकू और पत्थर, जिनका उपयोग वे अपने पशु तस्करी अभियान को सुविधाजनक बनाने के लिए जवानों का ध्यान भटकाने और नुकसान पहुंचाने के लिए करना चाहते थे।
यह सफल ऑपरेशन एक बार फिर देश की सीमाओं को सुरक्षित करने और पशु तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।