विपुल रेगे। सोशल मीडिया की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसने अमीर-गरीब, सेलिब्रेटी-आम आदमी को एक ही सड़क पर ला खड़ा किया है। आज आप बेहिचक किसी सेलेब्रेटी की हवा खराब कर सकते हैं। अभिनेत्री काजोल के एक बयान ने उन्हें सोशल मीडिया की पथरीली राह पर ला खड़ा किया है। विषाक्त ट्रोलर्स से से ट्रोल होने के बाद काजोल ने शनिवार को अपनी सफाई पेश की। एक विशेष प्रजाति, जिन्हे ‘भक्त’ कहा जाता है, वे काजोल को घेरे हुए हैं। ये प्रकरण एक बात और सीखा रहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग करना भारत में कितना कठिन हो चला है।
काजोल ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान देश की शिक्षा पर बात की। उन्होंने एजुकेशन सिस्टम पर कहा कि ‘भारत जैसे देश में बदलाव की गति इतनी धीमी इसलिए है क्योंकि हम अभी भी अपनी परंपराओं में धंसे हुए हैं। ज़ाहिर तौर पर इसके तार हमारी शिक्षा से जुड़े हुए हैं। जो हमारे नेता लोग हैं, वो पढ़ाई-लिखाई वाले बेकग्राउंड से नहीं आते। माफ करिएगा, मगर मुझे ये कहना पड़ेगा।’ इस कमेंट पर प्रतिक्रिया प्रकाश की गति से हुई।
भक्त प्रजाति ने सोचा कि ये कमेंट उनके नेताओं के लिए किया गया है लेकिन काजोल ने किसी का भी नाम नहीं लिया था। काजोल को ट्वीटर पर घेरकर अनाप-शनाप कहा गया। कुछ लोगों ने काजोल के पति अजय देवगन के गुटखे वाले विज्ञापन पर उन्हें घेर लिया। उन्हें कहा जाने लगा कि ये उन्होंने अपनी फिल्म के प्रचार के लिए कहा है और कुछ लोगों ने उन्हें कांग्रेसी नेताओं के घोटाले गिनाने शुरु कर दिए। स्पष्ट हो जाता है कि काजोल पर अटैक करने वाले लोग कौन थे और उनके नेता कौन हैं।
ट्रोलिंग से आतंकित काजोल को ये आशंका थी कि सोशल मीडिया पर उनके बहिष्कार का आव्हान किया जा सकता है। इस कारण उन्होंने शनिवार शाम अपने ट्वीटर अकाउंट से एक स्पष्टीकरण पोस्ट किया। हालाँकि ट्रोल करने वाले नहीं रुके। उन्होंने काजोल के स्पष्टीकरण का आदर नहीं किया। तर्क ये भी है कि काजोल ने स्वयं बीच में ही पढ़ाई छोड़ फिल्मों का रुख कर लिया था और इस नाते उनको देश के नेताओं की शिक्षा को लेकर कोई कमेंट नहीं करना चाहिए। कम शिक्षा के पक्ष में ट्रोलर्स ने बड़े ही विचित्र तर्क रखे हैं।
उनके अनुसार विज़न के लिए हायर एजुकेशन की आवश्यकता नहीं होती। ये तर्क काजोल पर भी लागू होना चाहिए कि उनके विज़न के लिए भी ग्रेजुएशन की डिग्री की आवश्यकता नहीं है। ये कोई तर्क नहीं है कि देश का कम पढ़ा लिखा व्यक्ति देश के नेताओं की शिक्षा पर कमेंट नहीं कर सकता। हाँ आप ये तर्क दे सकते हैं कि अजय देवगन का गुटखा बेचना कतई बुरा और अनैतिक है और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। देवगन पर आपका प्रहार नैतिक लगता है लेकिन काजोल पर नहीं।
देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रयोग की कोई मनाही नहीं है। आप किसी भी विषय पर अपनी बात कह सकते हैं। कहानी इसके आगे शुरु होती है। यदि आपने गलती से देश के नेताओं और सरकार के विरोध कुछ कह दिया या लिख दिया तो आपके इस अधिकार के चीथड़े उड़ा दिए जाते हैं ताकि आगे आप अपनी जुबान न खोले। ऐसा माहौल देखकर प्रतीत होता है कि हम एक अघोषित आपातकाल में जी रहे हैं। इस अघोषित आपातकाल में प्रश्न पूछना अपराध है और उससे बड़ा अपराध है सरकार की ओर उंगली उठाना। काजोल ने बिना नाम लिए ऊँगली उठाई और उनकी उंगली चौबीस घंटे में काट दी गई।