विपुल रेगे। कंगना रनौत का रियलिटी शो ‘लॉक अप’ के प्रतियोगियों का खुलासा होने के बाद सोशल मीडिया लोगों की प्रतिक्रियाओं से रंग गया है। जबसे ये समाचार आया है कि इस शो में स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी भी दिखाई देने वाले हैं, प्रतिक्रियाओं का जैसे सैलाब आ गया है। देश के भक्त वर्ग तो पहले से कंगना से नाराज़ दिखाई दे रहा है क्योंकि उन्होंने एक ऐसी फिल्म निर्माता के साथ हाथ मिला लिया, जिसका प्रचंड विरोध भक्त वर्ग करता आ रहा है।
ट्वीटर पर लोग कंगना और एकता के इस मिलन को सातवां आश्चर्य बता रहे हैं। मुनव्वर फारुकी के इस शो में आने की खबर के बाद उनके प्रशंसकों ने उनका ही विरोध शुरु कर दिया है। ये लोग इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि मुनव्वर कंगना की कैद में कैसे जा सकते हैं। मुनव्वर को जेल में देखकर भक्तों का एक वर्ग अवश्य प्रसन्न होगा। भक्त वर्ग में भी दो कैटेगरीज आती है।
इनमे एक वर्ग जागरूक और समझदार है व दूसरा वर्ग ऐसा है जो सिर्फ इसलिए अक्षय कुमार को सिर पर बैठाए रखता है क्योंकि उन्होंने कभी प्रधानमंत्री का इंटरव्यू किया था। जो अक्षय कुमार को सिर पर बैठाता है, वह लॉक अप में मुनव्वर को देखकर प्रसन्न होगा। भक्त वर्ग के एक धड़े में कंगना अभी तक इसलिए प्रिय बनी हुई है क्योंकि वे राष्ट्रीय मुद्दों और विवादों पर खुलकर प्रतिक्रिया देती है।
इस नाते कंगना को फेवरेट बनाए रखा गया है। अपितु कंगना एक हाथ से अमृत और एक हाथ से लोगों को विषपान करा रही है। भक्तों का वह वर्ग इस बात की गहराई में जाएगा ही नहीं कि हिन्दू धर्म का घटिया मज़ाक बनाने वाले कॉमेडियन को जाने-अनजाने ऑक्सीजन प्रदान कर दी गई है। मुनव्वर इन्दौर शहर में गिरफ्तार होने के बाद जेल गए थे।
इसके बाद एक कॉमेडियन के रुप में वे लगभग समाप्त हो चुके थे किन्तु इस रियलिटी शो में दिखाई देने के बाद उनकी बंद दूकान खुल जाएगी। तो एक तरफ कंगना बयानबाज़ी कर भक्तों के एक वर्ग को प्रसन्न करती हैं और दूसरी ओर एकता कपूर के शो में काम करती हैं। दो नावों में सवारी कब तक चल सकेगी, कहा नहीं जा सकता।
अभी उन्होंने आलिया भट्ट पर उनकी आगामी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ पर निशाना साध लिया है। इससे उनके भक्त प्रशंसक बहुत लहालोट हो रहे हैं। जो बयान उन्होंने हिज़ाब पर दिया, उससे हिंदुत्ववादी पार्टी के नेता लहालोट हो रहे हैं। भक्त वर्ग का एक धड़ा व्हाट्सएप और फेसबुक के अन्यत्र कहीं और देखना पसंद नहीं करता। वह समाचार नहीं देखता और वह अख़बार भी नहीं पढ़ता है।
इस धड़े का कार्य ये है कि कंगना और अक्षय कुमार की पताका लगातार सोशल मीडिया में लहराई जाए। वह समाचार नहीं देखता इसलिए अक्षय से प्रश्न भी नहीं करता कि वे भारत की नागरिकता क्यों नहीं लेते और वे अपना करोड़ों-अरबों रुपया किस देश में इन्वेस्ट करते हैं। मैंने इस बात पर गौर किया कि फेसबुक पर कंगना के लिए उठी नाराज़गी को दबाया जा रहा है।
जो लोग कंगना के दोहरेपन का विरोध कर रहे हैं, उनके विरोध को ये धड़ा समर्थन नहीं दिखा रहा है। एक समय था जब फिल्म उद्योग में किसी सितारे की छवि बहुत महत्वपूर्ण होती थी। आज छवि बनाए रखने के वे नियम टूट गए हैं। हार्पिक की बोतल लेकर संडास चमका रहे अक्षय कुमार को दर्शकों के बीच पृथ्वीराज चौहान बनकर जाना है। ये आज से बीस वर्ष पूर्व बहुत कठिन होता किन्तु आज नहीं है।
अंडरवियर बेचने वाले को दर्शक पृथ्वीराज चौहान के रुप में स्वीकार कर लेते हैं। जो कुछ वर्ष पूर्व ‘मणिकर्णिका’ बनकर पूज्यनीय हो गई थी, वह आज अर्द्ध नीली फिल्मों की निर्माता के साथ कार्य कर रही हैं।